जीवन डगर
हमारे आश्रम के लोगों और बहुत सारे दूसरों लोगों के साथ ऐसा होता है कि वे करते कुछ हैं, जबकि करना कुछ और होता है।
![]() जग्गी वासुदेव |
और फिर वह काम नहीं हो पाता। ऐसा थोड़े बहुत लोगों के साथ नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों के साथ होता है। अब काम पूरा नहीं हुआ तो इंसान की शुरु आती प्रवृत्ति होती है -‘उसके कारण ऐसा नहीं हुआ’ या ‘इसकी वजह से ऐसा नहीं हुआ।’ हालांकि हमने बड़े पैमाने पर अपने लोगों में यह सुधार किया है कि कुछ गलत होने पर वे किसी दूसरे पर उंगली न उठाएं। यह समझना चाहिए कि अगर कोई चीज काम नहीं कर रही तो जाहिर सी बात है कि उस काम को ठीक ढंग से नहीं किया गया होगा। हो सकता है कि उस काम के ठीक से न हो पाने की वजह फिलहाल आप नहीं समझ पा रहे हों-यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। लेकिन लोग काम न होने पर इसके लिए गूढ़ शक्तियों की तरफ देखने लगते हैं।
बहुत सारे लोगों के लिए मिस्टिसिज्म यानी रहस्यवाद का मतलब है-अपने जीवन की सरल और सहज चीजों को जटिल बना देना। जबकि वास्तव में रहस्यवाद का मतलब है कि ऐसी सारी रहस्यवादी चीजें, जिन्हें आप अपनी पांचों इंद्रियों के जरिए महसूस नहीं कर सकते या फिर आप अपने बुनियादी तर्क से उन तक नहीं पहुंच सकते, उन्हें ठीक-ठाक तार्किक तरीके से उपलब्ध कराना ही रहस्यवाद है। सरल चीजों को और गूढ़ बना देना किसी भी तरह का रहस्यवाद नहीं है। तो आपको यह जानने की जरूरत है कि अगर आप जो भी काम करते हैं, उसमें समस्या आती है, तो जाहिर सी बात है कि आप एक सैंडपेपर यानी रेगमाल की तरह हैं। आप जानते हैं न कि सैंडपेपर क्या होता है? जब भी आपका किसी से टकराव हो, आप सैंडपेपर से अपनी त्वचा को कहीं घिस लें।
ऐसे में अगर आप जल्दी ही अपने को नहीं सुधारते, तो फिर एक समय के बाद आपके शरीर में कहीं त्वचा बचेगी ही नहीं। जब आपके बदन पर त्वचा नहीं रहेगी, तो फिर आप किसी चीज से नहीं उलझेंगे। घषर्ण को कम करने के लिए एक आसान सी चीज आप कर सकते हैं, जो मैं कई बार पहले भी बता चुका हूं, लेकिन आप लोग इस पर ध्यान नहीं देते। यह आसान सी चीज है कि आप पूरे एक दिन में, एक घंटे में या एक मिनट में जो कुछ भी बोलते हैं, उसे पचास प्रतिशत तक कम कर दें। आप देखेंगे आपकी समस्याएं कम हो जाएंगी।
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