जिंदगी का सफर

Last Updated 06 Jan 2020 12:22:59 AM IST

एक प्रोफेसर अपनी क्लास में कहानी सुना रहे थे, जो कि इस प्रकार है; एक बार समुद्र के बीच में एक बड़े जहाज पर बड़ी दुर्घटना हो गई।




श्रीराम शर्मा आचार्य

कप्तान ने शिप खाली करने का आदेश दिया। जहाज पर एक युवा दंपति थे। जब लाइफबोट पर चढ़ने का उनका नम्बर आया तो देखा गया नाव पर केवल एक व्यक्ति के लिए ही जगह है। इस मौके पर आदमी ने औरत को धक्का दिया और नाव पर कूद गया। डूबते हुए जहाज पर खड़ी औरत ने जाते हुए अपने पति से चिल्लाकर एक वाक्य कहा।

अब प्रोफेसर ने रु ककर स्टूडेंट्स से पूछा, तुम लोगों को क्या लगता है, उस स्त्री ने अपने पति से क्या कहा होगा? ज्यादातर विद्यार्थी फौरन चिल्लाये, स्त्री ने कहा मैं तुमसे नफरत करती हूं! प्रोफेसर ने देखा एक स्टूडेंट एकदम शांत बैठा हुआ था, प्रोफेसर ने उससे पूछा कि तुम बताओ तुम्हें क्या लगता है? वो लड़का बोला मुझे लगता है, औरत ने कहा होगा हमारे बच्चे का ख्याल रखना! प्रोफेसर को आश्चर्य हुआ, उन्होंने लड़के से पूछा, क्या तुमने यह कहानी पहले सुन रखी थी?

लड़का बोला-जी नहीं, लेकिन यही बात बीमारी से मरती हुई मेरी मां ने मेरे पिता से कही थी। प्रोफेसर ने दुखपूर्वक कहा तुम्हारा उत्तर सही है! प्रोफेसर ने कहानी आगे बढ़ाई। जहाज डूब गया, महिला मर गई, पति किनारे पहुंचा और उसने बाकी जीवन अपनी एकमात्र पुत्री के समुचित लालन-पालन में लगा दिया। कई सालों बाद जब वो व्यक्ति मर गया तो एक दिन सफाई करते हुए उसकी लड़की को अपने पिता की एक डायरी मिली। डायरी से उसे पता चला कि जिस समय उसके माता-पिता उस जहाज पर सफर कर रहे थे तो उसकी मां एक जानलेवा बीमारी से ग्रस्त थी और उनके जीवन के कुछ दिन ही शेष थे।

ऐसे कठिन मौके पर उसके पिता ने एक कड़ा निर्णय लिया और लाइफबोट पर कूद गया। उसके पिता ने डायरी में लिखा था तुम्हारे बिना मेरे जीवन को कोई मतलब नहीं, मैं तो तुम्हारे साथ ही समंदर में समा जाना चाहता था। लेकिन संतान का ख्याल आने पर मुझे तुमको अकेले छोड़कर जाना पड़ा। जब प्रोफेसर ने कहानी समाप्त की तो, पूरी क्लास में शांति थी। इस संसार में कइयों सही-गलत बातें हैं। लेकिन कई जटिलताएं हैं, जिन्हें समझना आसान नहीं। इसीलिए ऊपरी सतह से देखकर बिना गहराई को जाने-समझे हर हालात का एकदम सही आकलन नहीं किया जा सकता।



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