जीवन-मृत्यु
जब हम किसी प्रियजन को खोते हैं, चाहे उनकी बीमारी या मृत्यु हो जाए या वे छोड़ कर चले जाएं-चाहे हम किसी भी वजह से उन्हें खोएं, सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि हमारे जीवन में उनकी जो जगह थी, उसके कारण वे एक खालीपन छोड़ जाते हैं।
जग्गी वासुदेव |
हमें समझना चाहिए कि जीवन की प्रकृति ही ऐसी है कि आपको और आपके प्रियजनों को कभी न कभी मृत्यु का शिकार होना ही है। बात बस यह है कि किसकी मृत्यु पहले होगी।
अगर हमारे आसपास के लोगों ने हमारे जीवन को बेहतर बनाया है, और हम उन्हें याद करते हैं, तो हमें उन्हें खुशी के साथ याद करना चाहिए। उनकी रवानगी को दुखद नहीं बनाना चाहिए। उनकी यादों को आपके लिए खुशी और प्रेम के आंसू लेकर आना चाहिए, पीड़ा के नहीं। मैं समझता हूं कि आपके मृत प्रियजन आपके लिए क्या मायने रखते थे। मगर मैं चाहता हूं कि आप उन्हें सभी अच्छी बातों के लिए याद करें।
अगर आप उनसे पहले मर जाते, तो आप उन्हें एक बुरी जगह छोड़ जाते, इसलिए कृपया एक इंसान के रूप में अपना आत्मविश्वास बटोरें। अगर आपके मृत प्रियजन ने आपके लिए बहुत सी अच्छी चीजें कीं, तो कृपया वही चीजें आप उन लोगों के लिए कीजिए, जो अब भी आपके आसपास हैं। जीवन ऐसे ही आगे बढ़ता है। जब मैं ‘जीवन’ कहता हूं, तो मैं असली जीवन की बात कर रहा होता हूं, न कि आपके कामों के बारे में। अधिकांश लोगों को लगता है कि जीवन उन चीजों का एक कोलाज है, जिन्हें उन्होंने इकट्ठा किया है।
जब उस कोलाज का एक टुकड़ा गिर जाता है, तो अचानक आपको लगता है मानो जीवन खत्म हो गया है, जो कि सच नहीं है। आपके जीवन में कुछ लोगों के आने से पहले भी आप जीवित थे, हंसते थे, खुश होते थे। आपने लोगों को अपने जीवन में यह सोच कर जोड़ा कि इससे आपका जीवन समृद्ध होगा या शायद कोई जरूरत पूरी करनी थी। वह सब ठीक है, मगर अब पहचान जोड़ लेने के कारण किसी खास इंसान के चले जाने पर आपको लगता है कि जीवन का एक टुकड़ा चला गया है।
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