संवाद

Last Updated 26 Nov 2019 01:01:40 AM IST

संवाद का मतलब होता है कि दूसरे को खुले मन से समझने का प्रयास करना। सत्य तक पहुंचने के लिए एक-दूसरे का हाथ थाम लेना, राह ढूंढ़ने में एक-दूसरे की मदद करना संवाद है।


आचार्य रजनीश ओशो

यह मित्रता है, सत्य पाने के लिए साथ-साथ चलना, सत्य पाने में एक-दूसरे की मदद करना। अभी किसी के पास सत्य नहीं है, लेकिन जब दो लोग ढूंढ़ने का प्रयास करते हैं, सत्य के बारे में एक साथ खोजने लगते हैं, यह संवाद है-और दोनों ही समृद्ध होते हैं। और जब सत्य मिलता है, तब वह ना तो मेरा होता है, न ही तुम्हारा। जब सत्य पाया जाता है, यह हम दोनों से बड़ा है जिन्होंने खोजने में सहभागिता की, यह दोनों से बड़ा है, यह दोनों को घेर लेता है-और दोनों समृद्ध होते हैं। अतीत में शिष्यों ने संगठन खड़े किए हैं।

यह उनका रिश्ता था कि ‘हम ईसाई हैं’, ‘ कि ‘हम हिन्दू हैं’,’ कि ‘हम एक धर्म के हैं, एक विश्वास के हैं, और चूंकि हम एक विश्वास रखते हैं, हम भाई और बहन हैं। हम विश्वास के लिए जिएंगे और विश्वास के लिए मरेंगे। ‘सारे संगठन शिष्यों के बीच बने रिश्तों से पैदा हुए। सच तो यह है कि दो शिष्य एक-दूसरे से जरा भी जुड़े नहीं हैं।

शिष्यों में कोई रिश्ता नहीं होता। हां, उनमें एक तरह की मैत्री होती है, एक तरह का प्रेमपूर्ण नाता। मैं ‘रिश्ते’ शब्द को टाल रहा हूं क्योंकि यह बंधन है। इसे मित्रता भी नहीं कह रहा, बल्कि ‘मैत्री’-चूंकि वे सह यात्री हैं, एक ही मार्ग पर चल रहे हैं, गुरु  के साथ प्रेम करते, पर वे गुरु  के द्वारा एक-दूसरे से जुड़े हैं। सीधे एक-दूसरे से नहीं जुड़े हैं। अतीत में यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात हुई है कि शिष्य संगठन बन गए आपस में जुड़कर, और वे सभी अज्ञानी थे।

और अज्ञानी लोग दुनिया में नासमझी पैदा कर देते हैं। सभी धर्मो ने ठीक यही किया है। मेरे लोग मेरे से व्यक्तिगत रूप से जुड़े हैं। और चूंकि वे सभी एक ही मार्ग पर हैं, निश्चित ही वे एक-दूसरे से परिचित हो जाते हैं। एक मैत्री पैदा होती है, एक प्रेमपूर्ण माहौल बनता है, लेकिन इसे मैं किसी तरह का संबंध नहीं कहना चाहता।

शिष्यों के सीधे आपस में जुड़ने के कारण हम बहुत अधिक दुख देख चुके हैं, धर्म, वर्ग, मत पैदा करके, और आपस में झगड़े। वे और कुछ नहीं कर सकते। कम से कम मेरे साथ, इसे याद रखो: तुम एक-दूसरे के साथ किसी भी तरह से नहीं जुड़े हो। बस एक तरह की मैत्री, पक्की मित्रता नहीं, पर्याप्त है-और अधिक सुंदर है, और भविष्य में मानवता को किसी तरह के नुकसान की संभावना के।



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