जिंदगी
आज तक का समाज दुख से भरा हुआ समाज है, उसकी ईट ही दुख की है, उसकी बुनियाद ही दुख की है।
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
जब दुखी समाज होगा तो समाज में हिंसा होगी क्योंकि दुखी आदमी हिंसा करेगा। जब समाज दुखी होगा और जीवन दुखी होगा तो आदमी क्रोधी होगा, दुखी आदमी क्रोध करेगा। और जब जिंदगी उदास होगी, दुखी होगी, तो युद्ध होंगे, संघर्ष होंगे, घृणा होगी। दुख सब चीज का मूल उद्गम है। यदि नये समाज को जन्म देना हो तो दुख की ईटों को हटा कर सुख की ईटें रखनी जरूरी हैं, तो वे तभी रखी जा सकती हैं, जब हम जीवन के सब सुखों को सहज स्वीकार कर लें और सब सुखों को सहज निमंतण्रदे सकें। जिंदगी का अपना सौंदर्य है, मृत्यु का अपना। जो देखने में समर्थ हो जाता है वह सब चीजों से सौंदर्य और सब चीजों से सुख पाना शुरू कर देता है। लेकिन यह क्यों भूल हो गई कि आदमी इतना उदास और दुखी क्यों हमने निर्मिंत किया? यह भूल इसलिए हो गई कि हम शरीर के शत्रु हैं। इंद्रियों के दुश्मन हैं। इंद्रियों की दुश्मनी की जरूरत नहीं है। इंद्रियों की गुलामी न हो, इतना ही काफी है। इंद्रियों की मालकियत बहुत है। लेकिन इंद्रियों की मालकियत के लिए इंद्रियों से दुश्मनी करने की कोई जरूरत नहीं है। सच तो यह है कि जिसके हम दुश्मन हो जाएं उसके हम मालिक कभी भी नहीं हो पाते। मालिक तो हम सिर्फ उसी के हो पाते हैं जिसे हम प्रेम करते हैं। इंद्रियों और शरीर की दुश्मनी के कारण एक द्वैत आदमी में हमने पैदा किया है।
हमने बताया है कि शरीर कुछ और, इंद्रियां कुछ और, तुम कुछ और; और तुम्हारे और शरीर के बीच सतत दुश्मनी है, लड़ाई है। अब हम अपने ही द्वार-दरवाजों से लड़ रहे हैं। जैसे कोई आदमी एक घर में रहता हो, और अपनी खिड़कियों का दुश्मन हो जाए, अपने दरवाजों का दुश्मन हो जाए, और खिड़कियों और अपने बीच दुश्मनी मान ले। हम यहां जिस तरह की जिंदगी जीते हैं, आगे जो जिंदगी है हम उसके आधार यहीं रखते हैं, इसी पृथ्वी पर, इस पृथ्वी के विरोध में नहीं। अगर आत्मा की कोई जिंदगी है तो उसके आधार हम रखते हैं शरीर की जिंदगी में, शरीर के विरोध में नहीं। अगर अतींद्रिय कोई आनंद हैं, तो उनके भी आधार हम रखते हैं इंद्रियों के आनंदों में, उसके विपरीत नहीं। जिंदगी विरोध नहीं, हार्मनी है। यहां किसी चीज में कोई विरोध नहीं है। न शरीर और आत्मा में विरोध है, न पदार्थ और परमात्मा में विरोध है। यहां किसी चीज में विरोध नहीं है, जिंदगी एक इकट्ठी चीज है।
Tweet![]() |