लगाव
मैंने कभी नहीं कहा कि आप अपने संबंधों के धागे काट दीजिए। अफसोस की बात है कि फिलहाल आपके संबंधों के धागे बहुत कम लोगों से जुड़े हैं।
![]() जग्गी वासुदेव |
आखिर, आप अपने धागे को काटना क्यों चाहते हैं? जीवन को जानने का सिर्फ एक ही तरीका है: जीवन से जुड़ना। आप जुड़ाव नहीं रखेंगे, तो क्या जीवन में कभी किसी भी चीज के बारे में जान पाएंगे? जब आप जुड़ने में भेदभाव करते हैं, तो यह उलझन बन जाता है। आप बिना किसी भेदभाव के जुड़ें। जिस धरती पर चलते हैं, जो भोजन करते हैं, जो पानी पीते हैं, जिस हवा में सांस लेते हैं, और उस स्थान में जहां रहते हैं, कोशिश कीजिए कि इन सारी चीजों से पूरी तरह जुड़ सकें। हालांकि इन चीजों से तो आप अभी भी जुड़े हुए हैं, लेकिन फिलहाल यह जुड़ाव अचेतन है। आप उस हवा से जुड़ाव नहीं रखेंगे, जिसमें आप सांस लेते हैं, तो आप मर जाएंगे। आपको बस जुड़ाव को लेकर सचेतन होना है। आप किसी चीज से अचेतन रूप से जुड़ते हैं, तो यह एक बड़ा बोझ लगता है। लेकिन आप सचेतन रूप से किसी चीज से जुड़े हुए हैं, तो यही अनुभव आनंदमय अनुभव बन जाता है।
वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि शरीर के परमाणु का हर कण इस पूरे ब्रह्मांड के साथ संपर्क बनाए हुए है। इसे नजरअंदाज करके आप उस विशाल शक्ति को अनदेखा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो आपके जीवन और इस सृष्टि का आधार है। अपने परिवार से जुड़ना, आपकी पीड़ा का कारण नहीं है, बल्कि आपकी पीड़ा का कारण जीवन को अनदेखा करना है। जीवन का अनुभव केवल जीवन से जुड़कर ही किया सकता है। जितनी मजबूती से जुड़ेंगे, जीवन को लेकर होने वाले अनुभव भी उतने ही प्रबल होंगे। अपने जुड़ाव को लेकर आपके भीतर डर इसलिए आया कि पिछली बार आपका जुड़ाव जहां हुआ था, वहां से आपको चोट मिली। इसलिए अब आपके भीतर विरक्ति है। खुद को जीवन से अलग करना चाहते हैं, तो अपने सर में गोली मार सकते हैं। यह सचमुच आपको जीवन से अलग कर देगा। आप यहां जीवन का अनुभव करने के लिए आए हैं, या फिर उसको अनदेखा करने के लिए? सबसे पहले हम यही तय करते हैं। आप जीवन में रहना भी चाहते हैं, और उससे दूरी भी चाहते हैं। ऐसा करके आप खुद को मृत्यु तक कष्ट देते रहेंगे। आज लोगों के साथ यही हो रहा है।
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