नया वर्ष
नये वर्ष के नये दिन पर पहली बात तो यह कहना चाहूंगा कि दिन तो रोज ही नया होता है, लेकिन रोज नये दिन को न देख पाने के कारण हम वर्ष में कभी-कभी नये दिन को देखने की कोशिश करते हैं।
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
दिन तो कभी भी पुराना नहीं लौटता, रोज ही नया होता है । लेकिन हमने अपनी पूरी जिंदगी को पुराना कर डाला है। उसमें नये की तलाश मन में बनी रहती है। तो वर्ष में एकाध दिन नया दिन मान कर अपनी तलाश को पूरा कर लेते हैं। लेकिन सोचने जैसा है: जिसका पूरा वर्ष पुराना होता हो उसका एक दिन नया कैसे हो सकता है? मैं कल तक जो रोज हर दिन को, हर सुबह को पुराना देखा हूं, आज की सुबह को नया कैसे देख सकूंगा? और मेरा जो मन हर चीज को पुरानी कर लेता है वह आज को भी पुराना कर लेगा। तब फिर नये का धोखा पैदा करने के लिए नये कपड़े हैं, उत्सव है, मिठाइयां हैं, गीत हैं; फिर नये का हम धोखा पैदा करना चाहते हैं। लेकिन न नये कपड़ों से कुछ नया हो सकता है, न नये गीतों से कुछ हो सकता है। नया मन चाहिए! नया मन जिसके पास हो, उसे कोई दिन कभी पुराना नहीं होता। जिसके पास ताजा मन हो, फ्रेश माइंड हो, वह हर चीज को ताजी और नई कर लेता है। लेकिन ताजा मन हमारे पास नहीं है। तो हम चीजों को नई करते हैं।
मकान पर नया रंग-रोगन कर लेते हैं। पुरानी कार बदल कर नई कार ले लेते हैं। हम चीजों को नया करते रहते हैं क्योंकि नया मन हमारे पास नहीं है। नई चीजें कितनी देर धोखा देंगी? नया कपड़ा कितनी देर नया रहेगा? नई कार कितनी देर नई रहेगी? पोर्च में आते ही पुरानी हो जाती है। कभी सोचा है यह कि नये और पुराने होने के बीच में कितना फासला होता है? जब तक जो नहीं मिला है, नया होता है; मिलते ही पुराना। अगर नई कार खरीद लाए हैं तो कल तक सोचा था कि नई कार कैसे आए और आज से ही सोचना शुरू कर देंगे कि और नई कैसे आए! इससे छुटकारा कैसे हो! चीजों को नया करने वाली इस वृत्ति ने सब तरफ जीवन को बड़ी कठिनाई में डाल दिया है क्योंकि कार ही नई नहीं करनी पड़ेगी, पत्नी भी नई लानी पड़ेगी। चीजें नई होनी चाहिए न! मकान को नया पोत कर नया कर लेने पर, नई कार खरीद लेने पर पत्नी भी खुश हो रही है, पति भी। लेकिन उन्हें ख्याल नहीं कि यह जो आदमी चीजों को नया करने में लगा है, यह एक पत्नी से जीवन भर राजी नहीं रह सकता; न यह पत्नी एक पति से। क्योंकि नये होने का मतलब चीजें बदलना होता है। तो पहले पश्चिम में मकान बदले, कारें बदलीं, फिर अब आदमी बदलने लगे हैं। वह यहां भी होगा।
Tweet![]() |