मां

Last Updated 13 Dec 2017 05:26:18 AM IST

क्या मां बनना हर औरत के जीवन का आवश्यक अंग है? क्या गर्भधारण न करने से उसकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है? जानते हैं.


जग्गी वासुदेव

सद्गुरु  आज के दौर में ऐसे जोड़ों खासकर महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, जो बच्चा नहीं चाहते. हालांकि आबादी के लिहाज से यह अच्छी बात है, लेकिन लोग कहते हैं कि मेडिकली यह जरूरी है कि एक औरत के लिए बीस से तीस साल की उम्र के बीच कम से कम एक बच्चा पैदा करना महत्वपूर्ण है.

क्या योग किसी तरह से प्रकृति के संतुलन की इस समस्या का समाधान कर सकता है, और अगर हां तो कैसे?
सच है कि औरत का शरीर गर्भधारण और बच्चे को जन्म देने के लिए बना है. तो जब शरीर का कोई हिस्सा खासकर महत्वपूर्ण हिस्सा इस्तेमाल में नहीं आता तो यह शरीर में कुछ खास तरह के अंसतुलन पैदा कर सकता है. कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है.

महिला का शरीर चौहद साल की उम्र से लेकर लगभग पचास साल की उम्र तक गर्भधारण के लिए तैयार होता है. तो इस काल में वह गर्भधारण की प्राकृतिक प्रक्रिया से गुजरती है और फिर बच्चे को अपना दूध पिलाती है तो लगभग हर ढाई से तीन साल बाद वह एक बच्चे को जन्म दे सकती है. प्रकृति ने ऐसी रोक लगाई है कि जब तक कोई औरत अपने बच्चे को स्तनपान कराती है, तब तक गर्भवती नहीं होगी.

लेकिन आज हमने अपनी जरूरतों या आधुनिक जीवन की जरूरतों के हिसाब से इन चीजों को बदल दिया है. नहीं चाहते कि कोई लड़की चौदह-पंद्रह साल की उम्र में मां बने. हम कम से कम उसके अठारह-बीस साल या उससे ज्यादा की उम्र होने पर उसके मां बनने की बात करते हैं. कुदरती तौर से देखें तो मां बनने की उम्र में देरी करना अप्राकृतिक है, लेकिन कुछ सामाजिक जरूरतें भी होती हैं.

कुछ वक्त की जरूरत भी होती है. हम चाहते हैं कि लड़कियां पढ़ें न कि चौदह-पंद्रह साल की उम्र में बच्चे पैदा करें. इसके अलावा, एक बात और समझनी होगी कि चौदह साल से लेकर पचास साल तक के गर्भधारण के काल में वह बारह से पंद्रह बच्चों को जन्म दे देती थी. आप तो जानते ही हैं कि पहले ऐसा ही होता था. दूसरी तरफ अगर शरीर बहुत स्थिर है तो गर्भधारण करना या न करना दोनों में ही उसकी उन्नति है. निश्चित तौर पर योगिक साधना ऐसा कर सकती है. 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment