शिक्षा प्रणाली
हम जब भी शिक्षा की बात करते हैं, तो हमारे मन में बच्चों के बारे में ही विचार आते हैं. मुझे लगता है कि सबसे महत्त्वपूर्ण है शिक्षकों का विकास.
जग्गी वासुदेव |
शिक्षकों को लगातार अपना विकास करते रहना चाहिए. ऐसा नहीं है कि वे विकास के इच्छुक नहीं हैं. लेकिन न तो विकास के साधन हैं और न ही विकास के अवसर. बात सिर्फ यहां आकर खत्म हो जाती है-‘मुझे पता है कि अपना विषय कैसे पढ़ाना है.’
आप मेरी इस बात से सहमत होंगे कि आपके स्कूल के दिनों में जिस शिक्षक ने आपको सबसे ज्यादा दिलचस्पी व मौलिकता और नयेपन के साथ पढ़ाया था, अनजाने में वही आपका प्रिय विषय बन गया, चाहे वह गणित रहा हो या विज्ञान या फिर इतिहास.
कोई भी विषय सुंदर नहीं होता, लेकिन एक शिक्षक उसे खूबसूरत अंदाज में पढ़ाकर रोचक बना सकता है. इसके लिए एक शिक्षक का विकास बेहद जरूरी है, और यह विकास सिर्फ पढ़ाने की क्षमता को लेकर ही नहीं होना चाहिए, बल्कि एक इंसान के तौर पर उसका भीतरी विकास भी जरूर होना चाहिए.
अगर शिक्षक का भीतरी विकास नहीं होगा तो आज के दौर में जब सारी सूचना और जानकारी फोन पर उपलब्ध हो, तो जानकारी के मामले में शिक्षक का महत्त्व खत्म हो जाएगा. आज जानकारी हर जगह उपलब्ध है. ऐसे में आज शिक्षक से जिस चीज की जरूरत है, वह है प्रेरणा की.
अगर शिक्षक को प्रेरक होना है, तो उसके लिए उसे खुद का विकास इस तरह करना होगा कि लोग स्वाभाविक रूप से उसका आदर करने लगें. वरना कोई भी इंसान अपनी मूर्खतापूर्ण बातों से लोगों के लिए प्रेरक नहीं बन सकता. आप चाहे जितना बोलना चाहें, बोल लें, कोई भी आपसे प्रेरित नहीं होने वाला.
आपको किसी-न-किसी न रूप में एक उदाहरण बनना होगा. देश में शिक्षकों के आंतरिक विकास के लिए हमें बड़े पैमाने पर कुछ करने की जरूरत है, वरना हम लोग प्रेरणादायक शिक्षक तैयार नहीं कर पाएंगे. अगर हमने इंसानों को प्रेरित नहीं किया तो हम अपने पीछे अपने से कम प्रतिभाशाली पीढ़ी को छोडकर जाएंगे. यह हर पीढ़ी की बुनियादी जिम्मेदारी है कि वो अगली पीढ़ी को अपने से बेहतर बनाए.
अगर हम अपने से खराब पीढ़ी तैयार करते हैं, तो समझ लीजिए कि बतौर एक पीढ़ी हम नाकामयाब रहे. इतना ही नहीं, यह मानवता के प्रति एक अपराध है. तो इस तरह से जीवन का यह क्षेत्र बेहद महत्त्वपूर्ण है. शिक्षा जगत में आज कुछ नया करने की जरूरत है.
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