पितृ पक्ष में यूं घर बैठे श्राद्ध कर रहे यजमान
पितृ पक्ष में तर्पण और पूजन के लिए लोग दूर-दूर से उज्जैन पहुंचते हैं. लेकिन इस बार उज्जैन में एक नया नजारा देखने को मिल रहा है.
पितृ पक्ष में घर बैठे श्राद्ध कर रहे यजमान |
इस हाईटेक दौर में जिन लोगों के पास समय नहीं है वे पंडितों के माध्यम से देश-विदेश से घर बैठे ऑनलाइन तर्पण-पूजन करवा रहे हैं. पंडित उज्जैन में बैठकर अपने लैपटॉप पर ऑनलाइन मंत्र पढ़ते हैं और यजमान अपने घर में बैठकर श्राद्ध करते हैं. यही नहीं पूजन की दक्षिणा भी यजमान ऑनलाइन ही पंडों के बैंक अकाउंट में डालते हैं.
श्राद्ध पक्ष में उज्जैन का अपना अलग महत्व है. मान्यता है कि आदि अनादिकाल में भगवान राम वनवास के दौरान उज्जैन पहुंचे थे और उसी दौरान उन्होंने अपने पिता की मृत्य के पश्चात् उज्जैन में उनका तर्पण किया था. यहां के सिद्ध वट घाट का वर्णन स्कन्द पुराण में भी मिलता है. श्राद्ध पक्ष में लोग दूर-दूर से यहां आते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करवाते हैं.
उज्जैन में हाईटेक श्राद्ध
ऑनलाइन श्राद्ध कराने वाले पंडित राजेश त्रिवेदी बताते हैं कि आज के समय में देश-विदेश में रह रहे कई लोग ऐसे हैं जो धार्मिक परंपरा में विश्वास रखते हैं और पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध भी करना चाहते हैं. लेकिन काम की व्यस्तता और कई अन्य कारणों के चलते यहां नहीं आ सकते. ऐसे में लैपटॉप पर इंटरनेट, फेसबुक, व्हाट्सअप के जरिए पंडित ऑनलाइन मंत्र पढ़कर यजमान को घर बैठे श्राद्ध करवा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के पास श्राद्ध पक्ष में उज्जैन आने का समय नहीं है तो वह अपने पूर्वजों के लिए ऑनलाइन पूजा कर सकता है. उन्होंने बताया कि पहले यजमान को तीर्थ स्थल पर आने की सलाह दी जाती है. लेकिन किसी कारणवश वह यदि यहां नहीं आ सकता है और घर में ही पूजन की स्वीकृति देता है, तभी पूजन करवाते हैं.
तर्पण करने आए श्रद्धालु आर.पी. मंगरे के मुताबिक ऑनलाइन पूजा कराना ठीक है लेकिन उज्जैन आकर पूजन करने से मन को शांति मिलती है.
ऑनलाइन मंत्र पढ़ रहे हैं पंडित
पंडित लैपटॉप ऑन कर ऑनलाइन मंत्र पढ़ते हैं और उधर यजमान अपने घर के पूजा वाले स्थान पर अपना लैपटॉप खोलकर बैठता है और पंडितों के बताए निर्देश के अनुसार पूजा विधि संपन्न करता है.
पूजा शुरू करने से पहले पंडित फोन पर बाकायदा यजमान को एक बार पूरी विधि विस्तार से बता देते हैं ताकि पूजा के दौरान उसे समझने में परेशानी न आए.
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