नदियां

Last Updated 23 Aug 2017 04:43:24 AM IST

एक देश के तौर पर हमने कई शानदार चीजें की हैं, जबकि कई चीजें करने को रह गई हैं. राष्ट्रमंडल देशों में भारत एक महान लोकतंत्र के तौर पर खड़ा हुआ है.


जग्गी वासुदेव

औपनिवेशिक या कोलोनियल ताकतों द्वारा की गई लूट से खाली होने और बंटवारे के बुरे हालातों से गुजरते हुए यहां तक पहुंचने का इस देश का सफर काफी रोमांचक रहा है.

लेकिन देश के सभी नागरिकों को विकास के रास्ते पर आगे न ले जा पाने का दर्द, भ्रष्टाचार से जुड़ीं कई चुनौतियां और पड़ोसी देशों की ओर से आ रहा तनाव अभी भी इस देश को परेशान कर रहा है.

पिछले सत्तर सालों में हमने सचमुच विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, रक्षा, शिक्षा, महिला अधिकारों और औसत आयु बढ़ने के मामले में ऊंचाइयों को छुआ है, फिर भी हम अपने किसानों को गरीबी के कुचक्र से बाहर निकालने में नाकाम रहे हैं.

कोलोनियल ताकतों द्वारा फिर से गढ़े गए इस प्राचीन देश की सभी उपलब्धियों में से सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि हमारे किसान नाममात्र के बुनियादी ढांचे के बावजूद आज एक अरब से ज्यादा लोगों का पेट भर रहे हैं.

लेकिन अगर हमने अपनी धरती, उसकी मिट्टी व पानी को नहीं बचाया और फिर से उनका भरण-पोषण नहीं किया तो यह चीज भी हमसे छीन जाएगी. खासकर हमारी नदियों पर तुरंत वैज्ञानिक तरीके से ध्यान दिए जाने की जरूरत है. अपने देश की संभावनाओं को साकार रूप देने का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू अपने यहां की मिट्टी व पानी को बचाना और उनका पोषण करना है.

इस समस्या से निबटने के लिए एक मजबूत इरादे से भरा तरीका होना चाहिए, जिससे देश में सभी का कल्याण हो सके. ‘नदी अभियान’ ने अब जैविक तरीके से रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया है. इसे लेकर देश भर में जो उत्साह दिखाई दे रहा है, वह दिल को छू लेने वाला है. अपने देश की संभावनाओं को साकार रूप देने का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू अपने यहां की मिट्टी व पानी को बचाना और उनका पोषण करना है.

इसे लेकर समाज के सभी वगरे में उत्साह नजर आ रहा है. यह हमारा प्यारा भारत है, जहां बड़ी-बड़ी हस्तियों से लेकर आम लोग तक, दिग्गज नेताओं से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चे तक यह समझने के लिए अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं कि हमें नदियों के लिए रैली करने की क्या जरूरत है.



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