अतीत

Last Updated 26 Jul 2017 05:25:12 AM IST

अभी जिसे आप ‘मैं’ कहते हैं, वह मात्र मन की एक खास बनावट है, जिसे आपने इकट्ठा कर रखा है. आपके मन में यह एक खास तरह की जानकारी है.


जग्गी वासुदेव

जब आप कहते हैं, ‘मैं एक अच्छा आदमी हूं’, ‘मैं एक बुरा आदमी हूं’, ‘मैं निडर हूं’, ‘मैं नम्र हूं’ इत्यादि यह सब मात्र मन की एक खास बनावट है. दूसरे शब्दों में यह मात्र अतीत का संग्रह है.

आप बस अपने अतीत के माध्यम से जिए जा रहे हैं, अगर अतीत को हटा दिया जाए तो बहुत सारे लोग अपने आप को बिल्कुल खोया महसूस करेंगे. हर चीज अतीत पर निर्भर करती है.

बीता हुआ क्षण हर चीज पर शासन करता है. यह क्षण महत्त्वपूर्ण नहीं होता. जब तक व्यक्तित्व महत्त्वपूर्ण है, इसका अर्थ है कि पिछला क्षण महत्त्वपूर्ण है. वर्तमान क्षण महत्त्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि व्यक्तित्व अतीत का है.

इस क्षण वास्तव में आपका कोई व्यक्तित्व नहीं है, इसे जरूर समझें. आप जिस व्यक्तित्व को ढो रहे हैं, वह एक मृत वस्तु है. जब आप एक मृत देह को अपने कंधों पर ढो रहे हैं, तब आप बहुत दूर तक नहीं चल सकते. मृत देह के साथ आप किधर जा सकते हैं? केवल श्मशान घाट, है कि नहीं?

अगर आप एक लाश को बहुत लंबे समय तक ढोते रहेंगे तो आपको भयानक दुर्गध सहनी होगी. आपका व्यक्तित्व जितना ज्यादा सशक्त होगा उतना ही ज्यादा दुर्गधयुक्त होगा. आप जीवन में दूर तक तभी जा सकते हैं जब आप अतीत को छोड़ सकें. यह वैसा ही है जैसा कि सांप का केंचुल छोड़ना. क्या आप यह जानते हैं कि एक सांप केंचुली कैसे छोड़ता है?

एक क्षण वह उसके शरीर का हिस्सा होती है और अगले ही क्षण वह केंचुली छोड़ कर बिना पीछे मुड़े चला जाता है. विकास केवल तभी होगा जब हर पल हम सांप की तरह केंचुली पीछे छोड़ते चलें. वह व्यक्ति जो इस क्षण में पिछले क्षण को नहीं ढोता, केवल वही व्यक्ति हर चीज से मुक्त होता है और वह गुण सभी जगह महसूस किया जाता है.

आप से मिलने के कुछ ही पलों में लोग आप पर इस हद तक विश्वास करने लगेंगे जितना वे अपने माता-पिता पर या पति या पत्नी पर भी विश्वास नहीं करते; मात्र इसलिए क्योंकि आप अपने साथ अतीत का बोझ नहीं ढो रहे हैं. अगर आप अपने साथ अतीत को ढोते हैं, तब आप अन्य लोगों की तरह दुर्गध फैलाने लगते हैं.



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