कर्मों से छुटकारा
अगर आप अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लेते हैं, फिर आप कुछ खोएंगे नहीं. बस अपनी वासनाओं को शिक्षित करें, अपनी वासनाओं को सही दिशा में बहने की शिक्षा दें, सिर्फ इतना ही. जीवन में सिर्फ सर्वोच्च की इच्छा करें.
धर्माचार्य जग्गी वासुदेव |
वासनाओं को सर्वोच्च की ओर मोड़ दें. क्रोध भी करते हैं, उसे भी सर्वोच्च की दिशा में लगाएं. अपनी वासनाओं के साथ पेश आने का भी यही तरीका है. ऊर्जा का हर अंश जो अभी आपके पास है, उसे आप इच्छा, वासना, भय, क्रोध तथा कई दूसरी चीजों में खर्च कर देते हैं.
हो सकता है ये भावनाएं अभी आपके हाथ में न हों, लेकिन इन्हें एक दिशा देना आपके हाथ में है. आपकी ऊर्जा का हरेक अंश, आपकी हरेक आकांक्षा, भावना, विचार सभी एक दिशा में केंद्रित हो जाएं तो परिणाम बहुत शीघ्र मिलेगा. एक बार जब आप जान लेते हैं कि कुछ बेहतरीन है और आप वहां पहुंचना चाहते हैं, फिर उस संबंध में कोई प्रश्न नहीं होना चाहिए. अब, आपके साथ यह बार-बार हो रहा है.
यह आध्यात्मिकता, आत्मज्ञान, ईश्वर-साक्षात्कार बहुत दूर दिखाई देता है. एक क्षण के लिए यह बहुत करीब तो दूसरे ही क्षण करोड़ों मील दूर दिखाई देता है. फिर एक खास तरह की संतुष्टि आ जाती है. आपको हमेशा सिखाया गया है कि हाथ में आई एक चिड़िया झाड़ी पर बैठी दो चिड़ियों से ज्यादा कीमती है. अभी जो यहां है, वो कहीं और की, किसी अन्य चीज से बेहतर है. आपको समझने की जरूरत है-यह कहीं दूसरी जगह नहीं है, यह अभी और यहीं है.
जहां आप अभी हैं, यहां से अनन्त की ओर चलना बहुत आसान है, क्योंकि यह ठीक यहीं है. यह जान लें कि जो सहज है, जरूरी नहीं कि वो आसान भी हो. यह बहुत सूक्ष्म और नाजुक है. जब तक कि आप अपनी पूरी जीवन-ऊर्जा इसमें नहीं लगा देते, यह नहीं खुलेगा. आधी-अधूरी पुकारों से ईश्वर कभी नहीं आता. आधे मन से कोशिश करने पर आत्म ज्ञान कभी नहीं होता. इसे सब कुछ होना होगा तभी यह पल भर में घटित हो सकता है.
इसमें बारह वर्ष लगेंगे, ऐसा नहीं है. एक मूर्ख को अपने अंदर तीव्रता पैदा करने में भले ही बारह वर्ष लगे, यह अलग बात है. अगर आप अपने अंदर खूब तीव्रता पैदा करते हैं, तो बस एक पल में घटित होगा. उसके बाद जीवन धन्य हो जाता है. फिर आप सहज जीते हैं, आप जैसे चाहें, जो भी मार्ग चुनें. परंतु उस एक पल को पैदा किए बिना हर तरह की बेतुकी चीजें करना फायदा क्या है?
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