योग में स्थित
असतो मा सदगमय-एक आह्वान है, जो याद दिलाता है कि आप जो कर रहे हैं, वह काम हरेक के कल्याण के लिए है या नहीं.
जग्गी वासुदेव (फाइल फोटो) |
यह हर उस चीज पर लागू होता है, जो हम रच रहे हैं. फिर चाहे वह हमारे भीतर पैदा होने वाले विचार हों या फिर बाहरी तौर पर पैसा कमाने के लिए किए गए काम हों, जैसे बिजनेस, नौकरी आदि, या फिर बड़े पैमाने की बात करें तो राजनीति, अर्थव्यवस्था या युद्ध जैसी चीजें हों. अगर आप चाहते हैं कुछ इस तरह से चीजें की जाएं, जो कारगर हों, तो आपको अपनी भीतरी प्रकृति और अपने आसपास की दुनिया से जुड़े जीवन के उस पहलू से जुड़े सत्य को खोजना होगा.
योग का मतलब ही एक ऐसे जीवन की ओर आगे बढ़ना है, जहां हर चीज बेहतर तरीके से काम करती है-आपका शरीर, आपका मन, आपकी ऊर्जा, आपकी भावनाएं यहां तक कि आपके आसपास की स्थितियां भी. अगर आप इस बात पर गौर करें कि कैसे शरीर काम करता है, फिर देखें कि वह क्या चीज है जो आपके मन को ठीक रखती है? क्या चीज आपकी भावनाओं को खुशहाल बनाती है? क्या आपकी ऊर्जाओं को बेहतर काम करने देती है, फिर यह पता करना मुश्किल नहीं होगा कि कौन-सी चीज दुनिया को बेहतर बनाती है.
लेकिन फिलहाल हमने ऐसी सामाजिक स्थिति बना रखी है, जहां आपको इस बात की परवाह नहीं है कि आपका शरीर और मन कैसे काम करता है. आप बस इतना चाहते हैं कि आपका बैंक अकाउंट ठीक से काम करे. ऐसे में आपका पीड़ित होना तय है. अगर आप अपने पांवों को मजबूत बनाए बिना चलेंगे तो जाहिर-सी बात है कि आपके चेहरे धूल में सन रहे होंगे. सबसे पहले अपनी प्राथमिकताओं को तय करना सबसे जरूरी है.
जीवन जीने का तरीका मेरी दिलचस्पी हर उस चीज में है, जो काम करे. आज लोगों के पास जीवन बीमा है, लेकिन उनके पास जीवन नहीं है. वे अपने दुखों को स्थायी बना रहे हैं. आध्यात्मिक प्रक्रिया का मतलब अपनी प्राथमिकताओं को तय कर खुद से जुड़ी हर चीज को इस तरह अलाइन करना है कि हर चीज अच्छी तरह से काम करे.
इसका मतलब सारी चीजों को सही तरीके से देखने से है. अगर आप सभी चीजों को उसी तरह से देखेंगे, जैसी कि वे हैं तो फिर प्राथमिकताएं अपने आप उसी हिसाब से तय होंगी. सबसे पहले खुद को योग में स्थापित करो और फिर आप जो भी करना चाहते हैं कीजिए. यह नीति काम करेगी.
| Tweet |