युद्ध केवल सशस्त्र बल नहीं, बल्कि पूरा देश लड़ता है: CDS जनरल चौहान

Last Updated 14 Oct 2025 08:36:52 AM IST

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान (Anil Chauhan) ने सोमवार को कहा कि मई में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने निर्णय लेने और युद्ध का समय तय करने को लेकर एक नये विचार को आकार दिया।


उन्होंने साथ ही कहा कि युद्ध केवल सशस्त्र बलों द्वारा नहीं लड़ा जाता, बल्कि इसे पूरा देश लड़ता है।

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल चौहान ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व, राजनयिक और सैनिक सभी युद्ध के समय अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं।

जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक नया सामान्य (न्यू नॉर्मल) माहौल पैदा हुआ है, जिसमें साफ है कि अब बात और आंतक एक साथ नहीं चल सकते और देश परमाणु आक्रमण की धमकी भी सहन नहीं कर सकता।

उन्होंने ग्वालियर में सिंधिया स्कूल के 128वें स्थापना दिवस समारोह में छात्रों को संबोधित किया।

सीडीएस ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर ने युद्ध में निर्णय लेने और समय तय करने को लेकर एक नये विचार को आकार दिया है। सशस्त्र बलों के लिए अब भी कई चुनौतियां सामने हैं। कोई भी युद्ध अकेले सशस्त्र बलों द्वारा नहीं लड़ा जाता है, पूरा देश इससे लड़ता है। नेता, राजनयिक और सैनिक अपनी भूमिकाओं को जानते हैं।’’

उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों का काम देश में एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करा है, जबकि राष्ट्र निर्माण नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है।

जनरल चौहान ने कहा, ‘‘भविष्य भारत का है। आने वाला युग भारत का है और हम इस देश के 140 करोड़ लोग मिलकर इसे हासिल कर सकते हैं।’’

केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, कई पूर्व छात्र और छात्रों के माता-पिता ऐतिहासिक किले में आयोजित समारोह में मौजूद थे जिसमें यह स्कूल स्थापित है।

इस मौके पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी को माधव पुरस्कार से सम्मानित किया। मिसरी, पाकिस्तान के साथ चार दिवसीय संघर्ष (सात से 10 मई तक चले) के दौरान सशस्त्र बलों के अधिकारियों के साथ नियमित रूप से मीडिया को जानकारी देने वाले टीम का नेतृत्व कर रहे थे।

जनरल चौहान ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के लिए 2047 का लक्ष्य रखा है। आने वाले वर्षों में देश मजबूत और अधिक सुरक्षित होगा। हम देश को बदल देंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के बाद बातचीत में एक नई सामान्य स्थिति उभरी है कि बात और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकता।’’

सीडीएस ने भारत के खेल के मैदान में भी अपने चिर प्रतिद्वंद्वी को हराने की बात की।

जनरल चौहान ने कहा, ‘‘देश परमाणु हमले की धमकी को भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। पाकिस्तान को लगा कि वह परमाणु क्षमता से कुछ भी कर सकता है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने इसे गलत साबित कर दिया। ‘न्यू नॉर्मल’ का असर पाकिस्तान पर दिख रहा था – हमने खेल सहित हर क्षेत्र में उसे पछाड़ दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सशस्त्र बल दिन में 24 घंटे, साल में 365 दिन काम करते हैं। युद्ध अब वायु रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और ड्रोन जैसी नई तकनीकों का उपयोग करके लड़े जाते हैं।’’

वर्तमान दौर को ‘अमृत काल’ बताते हुए, जनरल चौहान ने युवाओं से 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश ने दुनिया को दशमलव और शून्य की अवधारणाएं दीं। भारतीय दिमाग हमेशा मजबूत याददाश्त और तर्क के साथ रचनात्मक रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारे लोगों की बुद्धि को विश्व स्तर पर पहचाना जाता है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें गुलामी की मानसिकता से छुटकारा पाना चाहिए।’’

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि छात्र भारत का भविष्य हैं।

उन्होंने सिंधिया स्कूल के इतिहास के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं है, यह हमें 128 साल पहले शुरू हुई यात्रा की याद दिलाता है। यह स्वर्गीय माधव महाराज की दृष्टि थी, जो एक ऐसी अकादमी बनाना चाहते थे जो अनुशासन और चरित्र को बढ़ावा दे। यह परंपरा आज भी जारी है।’’

सिंधिया ने कहा कि ‘‘सेना की वर्दी की वजह से 140 करोड़ भारतीय रात में चैन की नींद सोते हैं। एक राष्ट्र दृष्टि और मूल्यों के माध्यम से महान बनता है।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था, बल्कि साहस का संदेश था, जो भारत की संस्कृति और मूल्यों का प्रतीक है।

सिंधिया ने कहा, ‘‘जनरल चौहान के नेतृत्व में प्रौद्योगिकी और ‘टीम वर्क’ की बदौलत दुश्मन के कई ठिकानों को बिना किसी नागरिक के नुकसान के नष्ट कर दिया गया।

वर्ष 1977 से 1981 के बीच स्कूल में पढ़ने वाले और भारतीय विदेश सेवा के 1989 बैच के अधिकारी विदेश सचिव मिसरी ने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में अपने दिनों को याद किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने यहां चार साल बिताए और इन चार सालों ने मेरे करियर को आकार दिया। यह पुरस्कार मेरे सभी शिक्षकों और दोस्तों को समर्पित है जिन्होंने मेरे जीवन और करियर को संवारा। यहीं से मैंने चुनौतियों का सामना करना सीखा।’’

भाषा
ग्वालियर


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