नवरात्र
नवरात्रि देवी मां के सम्मान में भारत भर में मनाये जाने वाले पर्व में से मुख्य पर्व है.
श्री श्री रविशंकर |
यह उत्सव अमावस्या के पश्चात शुक्लपक्ष के प्रारम्भ का भी प्रतीक है. यह एक विशेष पर्व है, जिसमें पारम्परिक पूजन, नृत्य व संगीत सब सम्मिलित रहते हैं.
‘नवरात्रि’ शब्द दो शब्दों से बना है ‘नव’ अर्थात ‘नौ’ और ‘रात्रि’ अर्थात ‘रातें’. यह उत्सव नौ रातों और दस दिन तक चलता है और दसवें दिन ‘दशहरा’ या ‘विजयदशमी’ मनाने के साथ समाप्त होता है.
नवरात्रि नौ रातों तक उत्सव मनाने और देवी मां दुर्गा का पूजन करने का पर्व है. ‘नवरात्रि’ का अर्थ है, ‘हमारे जीवन के सभी तीन तत्त्वों को, नौ दिन तक विश्राम देना.’ जिस प्रकार एक शिशु को जन्म लेने में नौ माह लगते हैं, उसी प्रकार देवी मां ने नौ दिन का विश्राम लिया और दसवें दिन जिसकी उत्पत्ति हुई, वो था निर्मल प्रेम व श्रद्धा.
नवरात्रि के पहले तीन दिन ‘तामसिक दिन’ होते हैं, उसके बाद ‘राजसिक दिन’ आते हैं और अंत के तीन दिन ‘सात्त्विक दिन’ होते हैं. रात को, सब चीजों का आनंद उठाने वाली देवी मां के लिए आरतियां गाई जाती हैं. शास्त्रीय नृत्य व गायन होता है और विभिन्न वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं.
हर दिन का अपना विशेष महत्त्व होता है. यज्ञ, पूजा और होम किए जाते हैं. अग्नि को अर्पित की जाने वाली सामग्री में विभिन्न जड़ी-बूटियां, फल, वस्त्र और मंत्र शामिल होते हैं, जोकि मुग्ध कर देने वाले तेजोमय दैवीय वातावरण का निर्माण करते हैं. नकारात्मक से सकारात्मक. नवरात्रि के समय, सर्वप्रथम मन की अशुद्धियों को दूर करने के लिए मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है. इस प्रकार, पहला कदम लालसा, द्वेष, दम्भ, लोभ आदि प्रवृत्तियों पर विजय पाना है.
एक बार, आप नकरात्मक आदतों और प्रवृत्तियों को छोड़ देते हैं, तो अध्यात्मिक मार्ग पर अगला कदम अपने सकारात्मक गुणों को बढ़ाना व बलशाली बनाना होता है. इसके पश्चात, उत्कृष्ट मूल्यों व गुणों और समृद्धि को विकसित करने के लिए मां लक्ष्मी का आह्वान किया जाता है. अपनी सभी नकारात्मक प्रवृत्तियों के त्याग कर लेने और सभी भौतिक व आध्यात्मिक संपन्नता की प्राप्ति के पश्चात, आत्म के सर्वोच्च ज्ञान की प्राप्ति के लिए मां सरस्वती का आह्वान किया जाता हैं. ये नौ रातें बहुत महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनमें सूक्ष्म ऊर्जा भरी होती है और सूक्ष्म ऊर्जा का संवर्धन होता है.
Tweet |