संसार का सच

Last Updated 02 Jan 2017 06:20:43 AM IST

यह सम्पूर्ण जगत अजीबोगरीब रहस्यों से भरा हुआ है. रहस्य का अर्थ है जो हमें चमत्कृत कर दे, आश्चर्य में डाल दे.


सुदर्शनजी महराज

इसीलिए इस पूरे ब्रह्मांड को हमारे संत महात्मा रहस्यमय ब्रह्मांड  कहते हैं; क्योंकि जिस प्रकार यह विश्व ब्रह्मांड  चल रहा है, वह स्वयं में एक रहस्य है, एक महाआश्चर्य है. अनादि काल से यह सम्पूर्ण जगत गतिमान है. इसे न कोई चलाने वाला दिखता है और न कोई ऐसी व्यवस्था दिखती है, जिस व्यवस्था से अंतरिक्ष के सारे ग्रह, नक्षत्र, तारे एक ही गति से चलते चल रहे हैं.

इस रहस्य को विज्ञान समझने का प्रयास अवश्य कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई भी परिणाम हाथ नहीं आ सका है. इसका मूल कारण यह है कि विज्ञान केवल पदार्थ की गति और भाषा समझता है, पदार्थ के अतिरिक्त जो कुछ भी है उसे विज्ञान पकड़ नहीं पाता. स्पष्ट है कि इस जगत को चलाने वाली कोई ऐसी शक्ति है, जो अनुभवगम्य नहीं है.

हमारे शास्त्रों में अणु और विभु दो बड़े ही महत्त्वपूर्ण शब्द आए हैं. अणु का अर्थ है-पदार्थ और विभु का अर्थ है, अ-पदार्थ. पदार्थ के अतिरिक्त और सभी कुछ. विभु-भाव रूप है, इसलिए यह दिव्य है. इसे कोई पकड़ नहीं सकता, छू नहीं सकता.

कोई अनुभव कर सकता है, जो लोग इस विभु का अनुभव कर लेते हैं, वे आसानी से इस निसर्ग-प्रकृति को समझने लगते हैं. प्रकृति का अर्थ है, प्र-कृति. जो कृति पहले से है, जो अस्तित्व है. इस अस्तित्व का कभी लोप नहीं होता. उसी अस्तित्व से यह प्रकृति अथवा जीव-जगत चलता रहता है. नक्षत्र, ग्रह और तारों में जो गति है, वह इसी अस्तित्व के कारण है.

अस्तित्व ही प्राण है, शक्ति तेज और आकषर्ण है, जिसकी चुंबकीय शक्ति से यह सम्पूर्ण ब्रह्मांड अनन्त काल से समान दूरी पर नाचते हुए गतिमान हो रहा है. वह एक ही शक्ति है, जो विभिन्न रूपों में दृश्यमान हो रही है. ‘कहा गया है कि ब्रह्मांड के मूल में एक ही तेज है, जो विभिन्न आकार-प्रकार में प्रकट होता है और फिर विलीन हो जाता है.’

यह सत्य है, कि हमारी आंखों में उतनी शक्ति नहीं है, कि हम उन परिवर्तनों को देख सकें. इसलिए प्रकृति के बदलते हुए स्वरूप को हम नया मानने लगते हैं. जिस प्रकार कलाकार मिट्टी से खिलौना बनाता है, कभी हाथी, कभी घोड़ा बहुत चीज बनाता है. हाथी और घोड़ा बनकर तैयार भी हो जाता है हम उसे सही भी मान लेते हैं, लेकिन जब उस मिट्टी के घोड़े को तोड़ा जाता है तो वह फिर मिट्टी बन जाता है, इस जगत की सभी प्रक्रिया उसी प्रकार चल रही है.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment