मृत्यु

Last Updated 04 Jan 2017 05:58:18 AM IST

मृत्यु के समय ही मस्तिष्क शरीर से अलग होता है. इसलिए, उस समय जो भी छवि इंसान मन में रखता है वह अगले जन्म का कारण बनता है.


श्री श्री रविशंकर

यह वैज्ञानिक सत्य है. आप यह स्वयं देख सकते हैं. यदि आप ध्यान दें, सुबह उठने पर जो आपके मन का पहला विचार होता है, वह वही विचार होता है जो रात में सोने से पहले आपके मन में था.

अब आपका मन किसी-न- किसी प्रकार के विचारों से इतना घिरा रहता है कि मृत्यु के समय आपको नारायण नाम का जाप करना याद भी ना आए. इसी लिए पूर्वजों ने कहा है कि भगवान को याद करते रहो उनका (नारायण) नाम ले कर. हर रात सोने से पहले उन्हें याद करो; जब आप स्नान करो, भोजन करो तब भी, उन्हें याद करो और धन्यवाद करो प्राप्त हुए भोजन के लिए.

कुछ नया कार्य शुरू करने से पहले, उन्हें स्मरण करें एक शुभ आरम्भ के लिए. प्राचीन लोग बहुत ज्ञानी थे और उन्होंने इसे एक प्रथा बना दिया था. इसलिए, जब कोई एक नई दुकान खोलता है, पहला काम जो उन्हें करना चाहिए, वह है नाम स्मरण भगवान का नाम स्मरण करना और फिर वह अपनी दुकान शुरू करते हैं. यदि कोई कुछ नया खरीदता है तो उन्हें नारायण का नाम लेना चाहिए और फिर आरम्भ करना चाहिए. हम सब यह करते हैं, है कि नहीं? हम यह आज भी करते हैं.

यदि आप कोई परीक्षा लिखने जा रहे हैं, आप ईर को याद करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि परीक्षा सरल हो और आप उत्तर सही प्रकार से लिख पाएं. हर व्यक्ति प्रार्थना करता है, चाहे बच्चे हों, बड़े हो या वृद्ध. पर वे भय के कारण ऐसा करते हैं. मैं कहूंगा कि भय के कारण नहीं बल्कि प्रेम भाव से प्रार्थना करिये; एक गहरे आभार के भाव से. जब आप प्रेम और विश्वास के साथ प्रार्थना करते हैं. तब आप खिल उठते हैं. कोई नया कार्य करने से पहले भगवान का स्मरण करने में कठिनाई क्या है? आप ईर का स्मरण किसी भी नाम के जाप से कर सकते ह

जाप नारायण कह सकते हैं, जय गुरु देव या ओम नम: शिवाय भी. जो भी नाम आपको अच्छा लगता है, वही कहिए नहीं तो आप हर तरह के गाने गाते रहते हैं. अपने दिमाग में स्नान करते समय, खाना खाते समय, जैसे,‘डफली वाले डफली बजा’ एक डफली वाला आपके लिए डफली नहीं बजाएगा तो क्या बजाएगा? यह क्या कोई गाना है? अब मैंने हाल के गाने तो नहीं सुने, मुझे वक्त नहीं मिला. पर कुछ गाने ऐसे होंगे जिनका कोई अर्थ नहीं है.



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