30 मई को गंगा दशहरा और 31 को निर्जला एकादशी, दोनों पर्वों में है जल का महत्व

Last Updated 28 May 2023 03:06:47 PM IST

अगले सप्ताह दो बड़े व्रत और पर्व रहेंगे। जहां मंगलवार, 30 मई को गंगा दशहरा मनाया जाएगा वहीं बुधवार, 31 मई को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।


इन दोनों व्रत-पर्वों का बहुत अधिक महत्व है। हिंदु ग्रंथों की मान्यता के मुताबिक स्वर्ग लोक से ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को सूर्यवंशी राजा भगीरथ ‘देवनदी गंगा' को पृथ्वी पर लाए थे। इस दिन को लोग गंगा दशहरा के रूप में मनाते हैं।

ज्‍येष्ठ मास के शुक्‍ल पक्ष की दशमी तिथि का आरंभ 29 मई को सुबह 11 बजकर 49 मिनट पर होगा और इसका समापन 30 मई दिन मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर होगा। उदया तिथि की मान्‍यता के अनुसार गंगा दशहरा 30 मई को मनाया जाएगा।

मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से भक्तों के सारे पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं। राजा भगीरथ ने अपने पितरों के उद्धार के लिए कठोर तप किया था और देवी गंगा से पृथ्वी पर आने का वर मांगा था। गंगा के प्रबल वेग को शिव जी ने अपनी जटाओं में धारण किया था। इसके बाद जटाओं से सात धाराओं में पृथ्वी पर गंगा को छोड़ा था।

इसके अगले दिन निर्जला एकादशी का व्रत किया जाएगा। धर्मग्रन्थों में सालभर में 24 प्रकार की एकादशी बताई गई है। जिन सब का अलग अलग महत्व है। लेकिन सभी एकादशियों में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व है। इस दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत रखना होता है। यह व्रत सभी एकादशी व्रतों में कठिन होता है।

भक्त दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करते है और निर्जला एकादशी की कथा सुनते हैं। जो भक्त ये व्रत करते हैं, उन्हें सालभर की सभी एकादशियों के व्रत के बराबर पुण्य मिलता है।

भीम ने भी किया था निर्जला एकादशी व्रत

कथा के मुताबिक महाभारत के समय यानी द्वापर युग में भीम ने सबसे पहले इस व्रत को किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। कहा जाता है कि भीम को छोड़कर युधिष्ठिर, अर्जुन और नकुल-सहदेव सालभर की सभी एकादशियों पर व्रत करते थे। एक दिन भीम ने इस बारे में वेद व्यास जी से बात की। उन्होंने व्यास जी से कहा कि मैं तो थोड़ी देर भी भूखे नहीं रह पाता हूं, ऐसे में एकादशी व्रत करना मेरे लिए संभव नहीं है। क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है, जिससे मुझे भी एकादशी व्रत का पुण्य मिल सके।

ये बात सुनकर व्यास जी ने भीम को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी यानी निर्जला एकादशी के बारे में बताया। व्यास जी ने कहा कि सालभर में सिर्फ एक एकादशी का व्रत कर लिया जाए तो सालभर की सभी एकादशियों का पुण्य मिल सकता है। इसके बाद भीम ये व्रत किया था।

इस व्रत में सुबह जल्दी नहाकर भगवान विष्णु की पूजा में जल दान का संकल्प भी लिया जाता है।

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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