वासंतिक नवरात्र : षष्ठं कात्यायनी

Last Updated 27 Mar 2023 09:09:33 AM IST

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शादरूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवद्यातिनी।।


वासंतिक नवरात्र : षष्ठं कात्यायनी

मां दुर्गा के छठवें स्वरूप का नाम कात्यायनी है। प्रसिद्ध महषर्ि कत के पुत्र ऋषि कात्य के गोत्र में महषर्ि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। उन्होंने भगवती पराम्बा की घोर उपासना की और उनसे अपने घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने का आग्रह किया।

कहते हैं, महिषासुर का उत्पात बने पर ब्रrा, विष्णु, महेश तीनों के तेज के अंश से देवी कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थीं।

मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। ये ब्रजमण्डल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएं हैं। इनका दाहिना ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है तथा नीचे वाला वर मुद्रा में है। बायें ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं। इनका वाहन सिंह है।

इनकी पूजा के लिए साधक को मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित करना चाहिए।



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