पांचवा नवरात्र: नवरात्र के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की पूजा, इन मंत्रों से करें प्रसन्न

Last Updated 21 Oct 2020 09:50:49 AM IST

मां दुर्गाजी के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। ये भगवान् स्कन्द ‘कुमार कार्तिकेय' की माता है।


पंचमं स्कन्दमातेति॥

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

इन्हीं भगवान् स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा जी के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। इनकी उपासना नवरात्र–पूजा के पांचवें दिन की जाती है।

इस दिन साधक का मन ‘विशुद्ध' चक्र में अवस्थित होता है। स्कन्दमातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर  वाली भुजा से भगवान् स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं और दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है उसमें कमल–पुष्प है। बायीं तरफ की ऊपर  वाली भुजा वर मुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो पर की ओर उठी है उसमें भी कमल–पुष्प ली हुई हैं।

इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है।

मां स्कन्दमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस मृत्युलोक में ही उसे परम शान्ति और सुख का अनुभव होने लगता है।
 

सहारा न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली


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