शारदीय नवरात्रि 2020: इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, जानें किस देवी की कब पूजा

Last Updated 13 Oct 2020 10:00:47 AM IST

शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा पूरे नौ दिनों तक की जाती है। नवरात्रि 17 अक्टूबर से प्रारंभ होगी और 25 अक्टूबर को प्रातः 7 बजकर 41 मिनट तक नवमी रहेगी उसके बाद दशमी लग जाएगी।


देवी भागवत पुराण के अनुसार‚ यदि शनिवार से नवरात्रि का प्रारंभ होता है तो माता रानी अश्व पर सवार होकर आती हैं तो इस बार माता रानी अश्व पर सवार होकर आएंगी।
देवी भागवत पुराण के अनुसार‚ माता रानी के अश्व रूपी वाहन पर सवार होकर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध की संभावना‚ राज्यों की सत्ता में उथल पुथल‚ सरकार को किसी कारण जनविरोध का सामना करना पड़़ता है। कृषि कार्यों के लिए वह साल समान्य होता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि आप नवरात्रि पर घटस्थापना नहीं करते हैं तो आपको आपकी पूजा का कोई भी फल प्राप्त नहीं होगा। लिहाजा हम आपको बताएंगे कि आप शारदीय नवरात्रि पर घटस्थापना किस प्रकार से कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और घटस्थापना की संपूर्ण विधि॥।

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना 2020 शुभ मुहूर्तः सुबह 6 बजकर 23 मिनट से सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक घटस्थापना

अभिजित मुहूर्तः सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक

घटस्थापना सामग्रीः मिट्टी का कलश‚ कलश में भरने के लिए शुद्ध जल या गंगाजल‚ कलश पर बांधने के लिए मोली‚ इत्र‚ कलश पर रखने के लिए सिक्के‚ अशोक या आम के 5 पत्ते‚ कलश को ढकने के लिए ढक्कन‚ ढक्कन में रखने के लिए साबूत चावल‚ एक जटा वाला नारियल‚ नारियल पर लपेटने के लिए चुनरी या लाल कपडा‚ फूल माला‚ जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र‚ जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़  की हुई मिट्टी‚ पात्र में बोने के लिए जौ आदि चीजों की आवश्यकता होती है।

विधिः घटस्थापना नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि के दिन की जाती है। लेकिन उससे पहले जौ को बोया जाता है। जौ बोने के लिए एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी रखें और उसके ऊपर जौ को डाल दें। जौ बोने के बाद तांबे का कलश लें और उसमें जल और गंगाजल डालें। इसके बाद उसमें साबूत सुपारी डालें और इत्र छिड़कें। कलश में यह सभी सामग्री डालने के बाद उसमें कुछ सिक्के अवश्य डालें। इसके बाद उस कलश पर अशोक या आम के पत्ते रख दें और उस कलश का मुख ढक दें। कलश का मुख ढकने के बाद उस कलश पर अक्षत अवश्य रखें। इसके बाद एक नारियल पर मोली लपेटें और उस नारियल को लाल चुन्नी से लपेट कर कलश पर रख दें। नारियल स्थापित करने के बाद कलश को जौ के पात्र के बीच में रख दें। इसके बाद सभी देवताओं का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वह मां दुर्गा के साथ नौ दिनों तक इस कलश में स्थान ग्रहण करें।

कलश की स्थापना करने के बाद घी का दीपक जलाकर और धूप दिखाकर कलश की पूजा करें। इसके बाद कलश पर माला‚ फल‚ फूल‚ मिठाई और इत्र आदि अर्पित करें।

पूजा कहां और किस दिशा में करें
वास्तुशास्त्री रीता द्विवेदी के अनुसार‚ विश्वकर्मा जी कहते हैं‚ ईशान्यां देवतागहे अर्थात ईश्वर की उपासना‚ चिंतन व ध्यान ईशान कोण में करना चाहिए। ईशान अर्थात उत्तर व पूर्व के मध्य का कोण है‚ इसके स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं तथा इस कोण के देवता स्वयं भगवान शंकर यानी रुद्र हैं।

नवरात्रि की पूजा में कलश स्थापना माता की मूर्ति की बाईं ओर करनी चाहिए और पूजा अर्चना करते समय साधक को अपना मुख पूर्व दिशा की ओर करना चाहिए। '

किस देवी की कब पूजा
17 अक्टूबर को मां शैलपुत्री
18 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी
19 अक्टूबर को मां चंद्रघंटा
20 अक्टूबर को मां कूष्मांडा
21अक्टूबर को मां स्कंदमाता
22अक्टूबर को मां कात्यायनी
23अक्टूबर को मां कालरात्रि
24अक्टूबर को मां महागौरी व
25अक्टूबर को मां सिद्धिदात्री की॥

 

पंडित चंद्रप्रकाश अग्निहोत्री


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