मां की सातवीं शक्ति कालरात्रि देती हैं शुभ फल

Last Updated 05 Oct 2019 10:10:49 AM IST

नवरात्र के सातवें दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना की जाती है। मां कालरात्रि सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकरी' भी है।


मां कालरात्रि

एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।

मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अन्धकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्माण्ड के सदृश गोल हैं।

इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें नि:सृत होती रहती हैं। इनकी नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं।

इनका वाहन गर्दभ है। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है।

बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है।

दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन 'सहस्त्र चक्र' में स्थित रहता है।

 



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