Manna Dey Death Anniversary: रफी साहब के थे पसंदीदा गायक
मन्ना डे ने हिंदी और बंगाली के अलावा गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड़ और असमिया में भी गाने गाए
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प्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक प्रबोध चंद्र डे को प्यार से मन्ना डे कहा जाता है। बॉलीवुड में करीब 3 हजार गानों को अपनी आवाज देने वाले मन्ना डे ने हर तरह के गाने गाए और उन्हें लोगों के दिलों में बसाया। 1 मई 1919 को कोलकाता में जन्मे मन्ना डे ने 24 अक्टूबर 2013 को अलविदा कह दिया।
मन्ना डे की अनूठी गायन शैली के कारण उन्होंने कई गायकों के बीच अपनी अलग जगह बनाई। मन्ना डे को बचपन से ही गाने का शौक था। उन्होंने अपने गायन करियर की शुरुआत 1942 में रिलीज हुई फिल्म 'तमन्ना' से की। मन्ना डे ने हिंदी और बंगाली के अलावा गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड़ और असमिया में भी गाने गाए।
बचपन से ही संगीत के शौकीन मन्ना डे ने खुद को इस दुनिया में इतना पारंगत बना लिया था कि वह संगीत की हर बारीकी को समझते थे। उन्हें यह अच्छे से पता था कि कौन सा गाना किस स्टाइल में गाना है। जब भी फिल्म निर्माता के पास कोई कठिन गाना होता था तो सबसे पहले उन्हें मन्ना डे ही याद आते थे। मन्ना डे कठिन गीत भी बड़ी सहजता से गाते थे। मन्ना डे ने कृष्ण चंद्र डे और उस्ताद दबीर खान से संगीत की शिक्षा ली।
1968 में आई फिल्म 'पड़ोसन' का गाना 'एक चतुर नार...' आज भी मुश्किल गानों में गिना जाता है। जब इस गाने के लिए गायक की तलाश की जा रही थी तो सबसे पहले मन्ना डे का नाम दिमाग में आया। जब मन्ना डे इस गाने को रिकॉर्ड कर रहे थे तो उन्हें किशोर कुमार का मजाकिया लहजे में गाना पसंद नहीं आया। जब मेकर्स ने समझाया कि यह फिल्म के सीन के मुताबिक है तो वे बड़ी मुश्किल से माने। दरअसल, वे संगीत को पूजा मानते थे और इसका अपमान उन्हें पसंद नहीं था।
रफी के गाने आज भी फिल्म जगत में सुने जाते हैं। उनकी गायकी के आज भी फैन हैं। लेकिन अगर रफी खुद किसी की बात सुनना पसंद करते थे तो वो थे मन्ना डे। रफ़ी को उनकी आवाज़ बहुत पसंद थी और वह खाली समय में मन्ना दा के गाने सुना करते थे। 'यशोमती मैया से', 'एक चतुर नार', 'ये रात भीगी-भीगी', 'प्यार हुआ इकरार हुआ', 'कसम वादे'। मन्ना डे ने 'प्यार वफ़ा', 'तू प्यार का सागर है', 'ये दोस्ती', 'जिंदगी कैसी है पहेली', 'आ जा सनम मधुर चांदनी' आदि कई सदाबहार गानों को अपनी आवाज दी है।
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