वास्तविक फिल्में चली, पलायनवादी सिनेमा नहीं मरा : फरहान
बॉलीवुड में छोटे शहरों पर आधारित और असल मुद्दों को लेकर बनने वाली फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन अभिनेता-फिल्मकार फरहान अख्तर ने कहा कि पलायनवादी सिनेमा अब भी मरा नहीं है.
अभिनेता-फिल्मकार फरहान अख्तर (फाइल फोटो) |
इस साल सलमान खान और शाहरूख खान दोनों की महत्वाकांक्षी फिल्में ट्यूबलाइट और जब हैरी मेट सेजल क्रमश: आई, लेकिन दोनों ही फिल्मों को दर्शकों ने खराब प्रतिक्रिया दी. वहीं बरेली की बर्फी, टॉयलेट: एक प्रेम कथा और शुभ मंगल सावधान जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रहीं.
अभिनेता-फिल्मकार फरहान अख्तर ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, इसके (बॉलीवुड) के लिए बहुत अलग तरह का साल रहा है. जिन फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया और उनकी प्रशंसा हुई वे फिल्में हमारे असल मुद्दों के बारे में बात करती हैं और कल्पना पर कम और असलियत पर ज्यादा थीं.
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी चीज है कि उन फिल्मों पर काम किया गया लेकिन मैं नहीं समझता हूं कि यह पलायनवादी सिनेमा की मौत है.
अभिनेता ने कहा कि यह बताता है कि दर्शक चाहते हैं कि उनके वक्त और पैसे का सम्मान किया जाना चाहिए.
फरहान ने कहा, पलायनवादी सिनेमा में भी अगर आपको बताने के लिए अच्छी कहानी मिलती है तो यह अच्छा करती है.
अभिनेता-फिल्मकार फरहान अख्तर की अगली फिल्म लखनऊ सेंट्रल है और जेल की पृष्ठभूमि पर बनी है. इस फिल्म में वह एक कैदी की भूमिका में हैं और अन्य कैदियों के साथ एक संगीत बैंड गठित करते हैं.
| Tweet |