बेजोड़ संगीतकार थे पंचम दा

Last Updated 27 Jun 2011 10:56:38 AM IST

राहुल देव बर्मन का नाम हिन्दी फिल्म जगत के सबसे चहेते संगीतकारों में शुमार होता है.


पंचम दा के नाम से मशहूर राहुल देव बर्मन का सोमवार को 72वां जन्मदिन है. हेमा मालिनी और आमिर खान जैसी हस्तियों ने इस महान संगीतकार को अपने-अपने तरीके से याद किया है.

महान संगीतकार सचिन देव बर्मन के पुत्र राहुल का जन्म 27 जून 1939 को कोलकाता में हुआ था. उनका घर का नाम पंचम था और बाद में चलकर संगीत की दुनिया में पंचम दा के नाम से वह मशहूर हुए.

आर डी बर्मन को बचपन से ही संगीत में रुचि थी और नौ वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पहले गाने को संगीत दिया था.

बाद में 1961 में प्रदर्शित फिल्म 'छोटे नवाब' से उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद वह लगातार 33 वर्षों तक फिल्मों में सक्रिय रहे.

इस दौरान पंचम दा ने 'रात कली एक ख्वाब में आई' (बु्ड्ढा मिल गया), 'पिया तू अब तो आजा' (कारवां), 'दम मारो दम' (हरे रामा हरे कृष्णा) और 'रैना बीती जाए' (अमर प्रेम) जैसे संगीत के नायाब नगीने बॉलीवुड को दिए.

आर डी बर्मन ने तकरीबन 331 फिल्मों में संगीत दिया जिनें 292 हिंदी फिल्में थीं. इसके अलावा उन्होंने बंगाली, तमिल, तेलुगू और उड़िया फिल्मों के लिए भी संगीत दिया. पंचम दा ने ढेरों फिल्मी गानों के लिए भी संगीत दिया.

बॉलीवुड अपने इस महान सपूत ने 4 जनवरी 1994 को अंतिम सांस ली थी.

बॉलीवुड की कुछ महान हस्तियों ने उन्हें कुछ इस तरह याद किया:

लता मंगेश्कर: संगीत की दुनिया में आर डी बर्मन और लता मंगेशकर की जोड़ी ने कई ऐतिहासिक गाने दिए हैं, पर कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है कि आर डी ने जब पहली बार लता को देखा, तो वह शॉर्ट पहने हुए ही उनका ऑटोग्राफ लेने आ गए थे.

लता ने पंचम दा के जन्मदिन पर इस बात को याद किया है.
   
लता ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘आज मुझे 13-14 साल का एक छोटा लड़का याद आ रहा है, जो एस डी बर्मन साहब की रिकॉर्डिंग के दौरान खाकी शॉर्ट और सफेद शर्ट पहने हुए मेरे पास मेरा ऑटोग्राफ लेने आ गया था. बर्मन दा ने मुझसे कहा कि यह मेरा बेटा पंचम है, अभी सरोद सीख रहा है.’’
   
उन्होंने लिखा है, ‘‘उस दिन मैं पहली बार पंचम से मिली. उसके कुछ सालों बाद मुझे महमूद साहब से यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि पंचम उनकी फिल्म में संगीत दे रहा है और वह मेरा गाना रिकॉर्ड करना चाहते हैं .’’
 
लता ने लिखा, ‘‘उस फिल्म का नाम ‘छोटे नवाब’ था और गाना था ‘घर आजा घिर आई.’’

सुरों की मल्लिका ने लिखा कि उन्हें गाना सुनने के बाद यह जानकर बड़ा अच्छा लगा कि इतना छोटा लड़का इतना अच्छा संगीत दे रहा है.

लता के मुताबिक, ‘‘मैंने वह गाना गाया और उसके बाद वह सिलसिला चलता रहा. मैंने उसके संगीत में कई कमाल के गाने गाए, वह बहुत छोटी उम्र में इस दुनिया से चला गया, इसका मुझे बहुत दु:ख है, उसके जाने के बाद मैंने उसका आखिरी गाना ‘कुछ ना कहो’ रिकॉर्ड किया.’’

उन्होंने लिखा है, ‘‘पंचम सच में बहुत महान संगीतकार था, आज उसके जन्मदिन पर मैं इतना ही कहती हूं कि पंचम तुम हम सबके दिलों में हमेशा रहोगे.’’

हेमा मालिनी: पंचम दा का संगीत आज भी स्फूर्तिदायक है. मेरे हिसाब से बर्मन साहब ने फिल्म 'शोले' में 'महबूबा' शीर्षक से जो गाना संगीतबद्ध किया था, वह उनके सबसे अच्छे गानों मे से एक है.

आमिर खान: किशोरावस्था से ही मैं बर्मन दा को काम करते देखता आ रहा था. उन्होने मेरे पिता ताहिर हुसैन के साथ काफी काम किया था. मैंने जब अपने पिता के साथ सहायक निर्देशक के तौर पर काम किया था तब मुझे पंचम दा के साथ भी काम करने का मौका मिला था. पंचम दा ने जितने गानों के लिए संगीत दिया, वे सभी हिट रहे.

प्रीतम चक्रवर्ती: पंचम दा मेरे सबसे बड़े प्रेरणा के स्रोत थे. मैंने उनके नाम पर कोलकाता में आरडी बर्मन फैन्स क्लब बनाया था. पंचम दा ने भारतीय फिल्म संगीत जगत में क्रांति लाने का काम किया था.

कैलाश खेर: पंचम दा सदियों तक आने वाले संगीतकारों को प्रेरित करते रहेंगे. उनका संगीत वक्त से काफी आगे था. वह अपने संगीत के माध्यम से आज भी हमारे बीच जिंदा हैं.



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