तीसरी लहर पड़े न भारी संयम से शमन की तैयारी

Last Updated 26 Jun 2021 10:25:03 AM IST

कोरोना की दूसरी लहर अभी ठीक से विदा भी नहीं हुई है और पूरा देश तीसरी लहर से बचाव की चर्चा में संलग्न हो गया है। वैसे तो दो नावों की सवारी कभी अच्छी नहीं मानी गई, लेकिन कोरोना ने जिस तरह पिछले एक साल में कई नियमों को बदला है, उसी तर्ज पर इस कहावत में संशोधन भी जरूरी न सही, हमारी मजबूरी हो गया है। पहली और दूसरी लहर में कोरोना ने जिस तरह हम पर औचक हमला करते हुए हमें नुकसान पहुंचाया है, उसे देखते हुए भविष्य के लिए अब पूर्व तैयारी आवश्यक हो गई है।


तीसरी लहर पड़े न भारी संयम से शमन की तैयारी

दुनिया में कोरोना की दो लहरों के बीच 18 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं, और करीब 40 लाख लोगों की जानें गई हैं। संक्रमण का छठा हिस्सा और मौत का दसवां हिस्सा भारत का है। ऐसे में तीसरी लहर का डर भारत समेत दुनिया को सता रहा है। इंग्लैंड, ब्राजील जैसे देशों में तीसरी लहर का कहर शुरू हो चुका है और इसे स्वीकार कर लिया गया है। इंग्लैंड में तीसरी लहर की वजह डेल्टा वैरियंट है जो भारत में दूसरी लहर की वजह बना था। अलग-अलग देशों में अलग-अलग वैरियंट तीसरी लहर का कारण बन रहे हैं। ब्राजील में 19 वैरियंट हैं, जिनमें अमेजन वैरियंट सबसे ज्यादा कहर बरपा रहा है। भारत में भी डेल्टा के बाद अब डेल्टा-प्लस वैरियंट के अब तक 40 मामले सामने आ चुके हैं, और तीसरी लहर का खतरा इसी वैरियंट से है।
 

डॉक्टर और शोधकर्ता साफ तौर पर कह रहे हैं कि कोरोना वायरस लगातार स्वरूप बदल रहा है और नये-नये म्यूटेंट पैदा हो रहे हैं। वैक्सीन से एक बड़ा रक्षा कवच जरूर बना है। मगर, कुछेक म्यूटेंट ऐसे बन रहे हैं, जो वैक्सीन को भी मात दे सकते हैं। यही आशंका चिंता का सबब है। हालांकि इंग्लैंड में तीसरी लहर में देखा जा रहा है कि संक्रमण की रफ्तार धीमी है, मगर बगैर लक्षण के हो रहे संक्रमण से चिंता बढ़ गई है। एशिया में इंडोनेशनिया ऐसा उदाहरण है जहां इंग्लैंड की ही तरह चार महीने बाद डेल्टा वैरियंट ने चिंता बढ़ाई है। दोनों देशों में दैनिक संक्रमण 10 हजार का आंकड़ा पार कर गया है। जिन देशों में तीसरी लहर का प्रकोप आया है वहां औसतन 98 दिन तक इसका प्रकोप देखा गया है यानी तीन से चार महीने। दूसरी लहर 108 दिन चली थी। यह समय भी तीन से चार महीने के दायरे में आता है। वैिक स्तर पर दूसरी लहर का पीक पहली लहर के मुकाबले 5.2 गुणा ज्यादा था। भारत में यह 4.2 गुणा अधिक रहा। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि तीसरी लहर का पीक दूसरी लहर से 1.8 गुणा अधिक होगा। अगर ऐसा हुआ तो भारत में तीसरी लहर में दैनिक संक्रमण 7 लाख 45 हजार तक पहुंच सकता है, जो निश्चित रूप से भयावह होगा।

लापरवाही ने लिखीं दुख की अनगिनत कथाएं
भारत में दूसरी लहर की शुरु आत से पहले पांच राज्यों में चुनाव और धार्मिंक आयोजन जैसी घटनाएं हुई थीं। इंग्लैंड में तीसरी लहर अनलॉक होने के एक महीने बाद जी-7 देशों की बैठक के बाद शुरू हुई है। अन्य देशों के भी अनुभव ऐसे ही हैं जहां जरा-जरा सी लापरवाही ने दुख और तकलीफ की अनगिनत कथाएं लिख दी हैं। इस लिहाज से भारत में तीसरी लहर की आशंका को इस बात से जोड़ा जा रहा है कि लापरवाही किस हद तक रोकी जा सकती है। दूसरी लहर के बाद अनलॉक होते भारत में ‘दो गज की दूरी मास्क है जरूरी’ का पालन तीसरी लहर से बचाव के लिए बेहद जरूरी माना जा रहा है। भारत में अगला चुनाव कार्यक्रम फरवरी, 2022 में प्रस्तावित है। चुनावी फिजां बनने लगी है। अगर मध्य जून को दूसरी लहर में अनलॉक होने का समय मानें तो इंग्लैंड की तर्ज पर तीसरी लहर के लक्षण मध्य जुलाई से दिखने लग जा सकते हैं। डेल्टा प्लस की आहट इसकी पुष्टि कर रही है। डॉक्टर और शोधकर्ता भी आगाह कर चुके हैं कि भारत में अक्टूबर तक तीसरी लहर आ सकती है। इसका मतलब यह है कि एक बार फिर चुनाव आते-आते इसका खौफ देखने को मिल सकता है।
 

बचाव की एक राह व्यापक टीकाकरण में दिखती है। भारत में 18 फीसद लोगों का टीकाकरण हो चुका है, और चार फीसद लोगों ने टीके की दोनों खुराकें ले ली हैं। भारत सरकार ने इस साल के अंत तक टीकाकरण अभियान को पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जो वर्तमान गति से पूरा होता नजर नहीं आता। फिर भी अगर यह मान लें कि कुछ विलंब से ही सही, यह लक्ष्य हासिल हो जाता है तो तीसरी लहर से लड़ाई के लिए यह मजबूत रक्षा कवच होगा। डेल्टा प्लस के बारे में माना जा रहा है कि यह वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों के इम्यून सिस्टम को बहुत प्रभावित नहीं कर पाएगा। ऐसे में आज की तारीख में कम से कम चार प्रतिशत लोग तीसरी लहर के प्रकोप से सुरक्षित हो चुके हैं, ऐसी उम्मीद की जा सकती है।

तीसरी लहर और सुरक्षा कवच
नई गाइडलाइंस के तहत शुरू हुआ टीकाकरण महाअभियान अपनी शुरु आती रफ्तार के रिकॉर्ड को कायम रखने में आगे भी सफल रहता है, तो हम तीसरी लहर के लिए समय रहते अपने नागरिकों को एक विशाल सुरक्षा कवच के दायरे में ला भी सकते हैं। साथ ही, कोरोना गाइडलाइंस का सख्ती से पालन तीसरी लहर को रोकने में कारगर सिद्ध होगा। तीसरी लहर से लड़ने के लिए दुनिया के 21 वैज्ञानिकों ने जो 8 बिंदुओं में सुझाव दिए हैं, उनमें कोरोना से लड़ाई को जिला स्तर पर विकेंद्रित करने और जरूरत के हिसाब से तुरंत सक्रिय होने की व्यवस्था की अनुशंसा शामिल है। इन सुझावों का सार यह है कि कोरोना के नये वैरियंट को उन्हीं इलाकों तक सीमित कर दिया जाए जहां ये सबसे पहले पाए जाएं। इसके लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत जरूरी है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर के जानलेवा होने का कारण ही यही था कि पहली लहर से हमने कोई सीख नहीं ली। गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू, बेड, आवश्यक दवाएं, ऑक्सीजन जैसी सुविधाओं को जिला स्तर पर उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती जरूर है लेकिन यही बचाव का मंत्र भी है। कोरोना की दोनों ही लहर के दौरान अर्थव्यवस्था आईसीयू में चली गई। नकारात्मक विकास दर को ऑक्सीजन लेवल में भारी कमी के तौर पर देखा जा सकता है। मानव संसाधन में भारी गिरावट से अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है। अर्थव्यवस्था का ‘इम्यून सिस्टम’ मजबूत करने के लिए इसे सक्रिय करना होगा, छोटे-मझोले उद्योगों को दोबारा खड़ा करना होगा और बेहद गरीब तबके में नकदी का वितरण भी जरूरी है ताकि देशव्यापी स्तर पर अर्थव्यवस्था का रक्तसंचार बना रहे। लॉकडाउन में ठप हुए कारोबार को दोबारा खड़ा करने के लिए मदद का मैकेनिज्म बनाना भी जरूरी है। अमेरिका से सीख ली जा सकती है जिसने रेस्टोरेंट तक को मदद देकर फिर से सक्रिय बनाया है। तीसरी लहर को लेकर यह आशंका जताई गई है कि बच्चों को यह ज्यादा प्रभावित करेगी। हालांकि इस आशंका का कोई मजबूत आधार सामने नहीं आया है। फिर भी यह आशंका बेचैन करने वाली है। अब तक फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन ही हैं, जो 12 साल के बच्चों को भी टीका का रक्षाकवच देती हैं। जब तक बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक स्कूल खोले जाने के बारे में सोचा नहीं जाना चाहिए। अगर स्कूल खोले भी जाएं तो शिक्षकों और स्कूल स्टाफ का वैक्सीकरण सुनिश्चित करने के बाद ही ऐसा किया जाना चाहिए।
 

अच्छा यही है कि कोरोना का खतरा बने रहने तक स्कूल को ऑनलाइन ही चलाया जाए क्योंकि जान है तो जहान है।  तीसरी लहर की रफ्तार को थामने के लिए विदेश यात्राओं को सीमित किया जाना जरूरी है, विदेश में खेल की गतिविधियां अनिवार्य नहीं हैं। खुदरा कारोबार, सब्जी-फल बेचने वालों, रेहड़ी वालों, ड्राइवर, सफाईकर्मी, परिवहनकर्मी, दफ्तर आदि में काम करने वालों के लिए कोरोना के दोनों डोज जल्द से जल्द सुनिश्चित किए जाने चाहिए। वास्तव में यही लोग जाने-अनजाने कोरोना वायरस के संवाहक बन जाते हैं। इम्यून सिस्टम ठीक करने के लिए जो देसी उपचार हैं, उन पर अमल करने का तरीका विकसित करने के भी अच्छे नतीजे मिल सकते हैं। हर तरह की सामाजिक भीड़ को रोकने का पुख्ता इंतजाम किया जाए। कोई जरूरी नहीं कि शादी समारोह में धूमधाम हो या फिर जुलूस, प्रदशर्न, रैलियां निकाली जाएं। अगर तीसरी लहर को रोकना है या इसके प्रभाव को कम ही करना है तो संयम, अनुशासन और योजनाबद्ध तरीके से कोरोना से संघर्ष के तौर-तरीकों को अमल में लाना होगा।                                                                   

उपेन्द्र राय


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