सच को सामने लाने निकली सीबीआई

Last Updated 23 Aug 2020 01:35:52 AM IST

सीबीआई है तो सच है और सच की उम्मीद है। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को लेकर जनमानस में बनी ये धारणा निराधार नहीं है।


सच को सामने लाने निकली सीबीआई

सीबीआई की साख बनने और लोगों के मन में इस धारणा के मजबूत होने के पीछे इस जांच एजेंसी की वर्षो की कड़ी मेहनत है और पेचीदा मामलों से जूझने का जुनून है, लेकिन सीबीआई को लेकर राजनीतिक टिप्पणियां भी लगातार सामने आती रहीं हैं। विपक्ष सत्ताधारी दल पर इस जांच एजेंसी के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाता रहा है, लेकिन सच ये भी है कि जब भी किसी पेचीदा मामले की तह तक जाने के सारे रास्ते बंद हुए, तब इसी जांच एजेंसी ने अंधेरे में उम्मीद की लौ भी जलाई है। अपने गठन के बाद से ही इस जांच एजेंसी ने बेहतरीन उपलब्धियों का एक लंबा सफर तय किया है। यही वजह है कि जब बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में निष्पक्ष जांच की मांग उठी, तो सबकी जुबान पर एक नाम था और नाम था केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई।  

बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की की मौत का मामला देश का सबसे हाइप्रोफाइल केस बन गया है। 14 जून को आई सुशांत की मौत की खबर से पूरा देश सन्न रह गया। प्रथम दृष्टया ये मामला खुदकुशी का ही लगा। सुशांत की मौत की खबर सुनते ही मुंबई पुलिस भी हरकत में आई। सबसे पहले मुंबई के कूपर अस्पताल में सुशांत का पोस्टमार्टम कराया गया और फिर अंतिम संस्कार। मामला रफा दफा होता नजर आया, लेकिन अचानक इस मामले में इतने सारे संदेहात्मक बिंदु सामने आए कि देखते ही देखते इस मामले ने तूल पकड़ लिया। मुंबई पुलिस ने बिना केस दर्ज किए खुदकुशी के नजरिए से इस मामले की जांच शुरू कर दी। जाहिर है जब पुलिस ही मान ले कि ये खुदकुशी है और इसमें किसी तरह की कोई साजिश नहीं है, तो फिर जांच कैसी? लेकिन जैसे ही सुशांत के परिवार ने कुछ सवाल उठाते हुए, सुशांत की गर्लफ्रेंड रही रिया चक्रवर्ती और उसके परिवार के खिलाफ पटना में केस दर्ज कराया, मामला गंभीर हो उठा। शुरु आत में ये मामला मुंबई पुलिस बनाम बिहार पुलिस का होता दिखा, लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की तहकीकात सीबीआई सौंप दी गई।

सुशांत सिंह केस हाथ में आते ही सीबीआई की टीम ने जिस तत्परता से अपना काम शुरू किया है, उससे सुशांत को न्याय मिलने की उम्मीदें जग गई हैं। सीबीआई को भी इस केस की पेचीदगियों का इल्म था, लिहाजा देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ने उसी हिसाब से टीमें गठित की। सुशांत मामले की जांच करने वाली सीबीआई की 16 सदस्यीय टीम में हर किसी का काम बांट दिया गया है। मसलन वीडियो और तस्वीरों की जांच करना, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की स्टडी और फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की राय लेना, चश्मदीदों के बयान का मुआयना करना, सीन ऑफ क्राइम को रिक्रिएट करना, साथ ही केस से जुड़े अहम लोगों से पूछताछ करना। तेजतर्रार पुलिस अफसरों की ये टीम आईपीएस अधिकारी मनोज शशिधर के नेतृत्व में काम कर रही है। जांच के पहले ही दिन कई ऐसी बातें सामने आई, जिससे लोगों को सुशांत के खुदकुशी करने की बात पर शक गहराने लगा है। साथ ही इस पूरे मामले में कई हाईप्रोफाइल लोगों के भी शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में सीबीआई पर बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है। मुंबई पुलिस अगर चाहती तो ये मामला सुलझा सकती थी, लेकिन उसने पूरे मामले में अब तक जो हीलाहवाली की है, उससे देश में स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस के समकक्ष मानी जाने वाली मुंबई पुलिस की प्रतिष्ठा नि:संदेह धूमिल हुई है। घटना के दो महीने से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद हालांकि कई अहम सबूत नष्ट हो चुके होंगे, या फिर नष्ट किए जा चुके होंगे। ऐसे में सीबीआई को इस केस को सुलझाने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। हालांकि सीबीआई ने पहले दिन से ही कड़ियों को जोड़ना शुरू कर दिया है। सीबीआई के पहले दिन की जांच में जो बातें अब तक निकलकर सामने आई है, उससे इतना तो साफ है कि ये मामला उतना आसान नहीं है, जितना समझा जा रहा था। जांच के पहले दिन सीबीआई की टीम ने बांद्रा पुलिस स्टेशन जाकर सुशांत केस से जुड़े सारे दस्तावेज ले लिए हैं। साथ ही इस केस में अब तक दर्ज किए गए बयानों, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, जुटाए गए तमाम सबूत, फॉरेंसिक सबूत का हैंडओवर लिया गया है। इसके अलावा सुशांत के घर के सीसीटीवी फुटेज भी जब्त कर लिए गए हैं। उधर सीबीआई की एक टीम मामले से जुड़े लोगों से पूछताछ भी शुरू कर चुकी है, लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल सुशांत के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर सामने आ रहा है। जांच एजेंसी को शक है कि या तो पोस्टमार्टम ठीक से नहीं हुआ या फिर रिपोर्ट में कहीं-न-कहीं कोई गड़बड़ी है, क्योंकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत के समय जैसी अहम जानकारी का उल्लेख ही नहीं किया गया है।

सीबीआई ने सुशांत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जांच के लिए देश के जाने-माने फॉरेंसिक एक्सपर्ट और एम्स के डॉक्टर सुधीर गुप्ता को नियुक्त किया है। उन्होंने भी सुशांत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। ऐसे में तमाम चुनौतियों के बावजूद अगर सीबीआई केस से जुड़े तमाम उलझी कड़ियों को जोड़ने में कामयाब हो जाती है तो असली गुनहगार सलाखों के पीछे होंगे। चूंकि सीबीआई को मामले की जांच करने का जिम्मा घटना के दो महीने बाद मिला है, ऐसे में इसकी तह तक जाने की राह थोड़ी कठिन जरूर है, लेकिन पेचीदा मामलों को ही हल करने में तो सीबीआई को महारत हासिल है। अतीत की कुछ घटनाएं सीबीआई की कार्यकुशलता पर जनमानस के भरोसे को मजबूत करती हैं। सितम्बर 2011 में राजस्थान की भंवरी देवी की हत्या का मामला हो, या फिर साल 2017 में गुरु ग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल का प्रद्युम्न हत्याकांड मामला, सीबीआई ने जिस तरीके से तह में जाकर दोनों मामले को सुलझाया, वो इस जांच एजेंसी की कार्यक्षमता और दक्षता को दर्शाता है। भंवरी देवी हत्या मामले में सीबीआई ने चर्चित सीडी की जांच के दौरान मिले एक ऑडियो क्लिप से मुजरिमों तक पहुंचने का रास्ता ढूंढ़ निकाला था। तो वहीं प्रद्युम्न हत्या मामले को महज 8 सेकेंड की वीडियो फुटेज से सुलझा दिया। और असली दोषी को सलाखों को पीछे पहुंचा दिया। इसी तरह साल 2012 में इंद्राणी मुखर्जी-पीटर मुखर्जी की बेटी शीना बोरा की रायगढ़ के जंगलों में लाश मिली थी। मामले में कोई साक्ष्य मौजूद नहीं था, बावजूद इसके सीबीआई ने उपलब्ध तथ्यों को बारीकी से जोड़ते हुए कातिल को अपने गिरफ्त में ले लिया।

साल 2006 में निठारी कांड, 1992 का सिस्टर अभया र्मडर केस और 1996 का प्रियदर्शिनी मट्टू केस के अलावा घोटालों से जुड़े कई ऐसे मामले थे, जिसकी तह तक जाने में सीबीआई कामयाब रही। सत्यम कंप्यूटर के मालिक रामलिंगा राजू का हजारों-करोड़ों का घपला सीबीआई की जांच से ही सामने आ पाया। ये सीबीआई अधिकारियों की अथक मेनहत का ही नतीजा है कि भारतीय बैंकों को चपत लगाकर लंदन भागे कारोबारी विजय माल्या भारत लौटने के लिए दिन गिन रहे हैं। तमाम बेहतरीन उपलब्धियों के बावजूद ऐसा नहीं है कि देश की इस प्रमुख जांच एजेंसी के दामन पर विवादों के दाग न लगे हों। सबसे बड़ा आरोप तो इस संस्था के अधिकार और निष्पक्षता को लेकर सामने आता रहा है। इसी आरोप के तहत इस जांच एजेंसी को सरकार के इशारे पर काम करने वाली संस्था कहा जाता रहा है। अदालत की कार्यवाहियों में इस एजेंसी की कार्यक्षमता और इंन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट्स को लेकर लगातार टिप्पणियां होती रही हैं कि उत्कृष्ट संसाधनों से लैस इस संस्था की निष्पक्ष जांच और राजनीतिक दबाव में की गई जांच में एक बड़ा गैप है, लेकिन इन आरोपों के बावजूद इंवेस्टिगेशन में साइंटिफिक अप्रोच और आधुनिक तकनीक का कौशलपूर्ण इस्तेमाल इस संस्था को दुनिया की बेहतरीन जांच एजेंसियों की कतार में खड़ा करता है।

उपेन्द्र राय


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