एहतियात से दूर होगा कोरोना का ‘रोना’
हमारे लिए भी इतनी राहत तो है ही कि चीन के पड़ोसी होने के बावजूद देश में अब तक कोरोना का वैसा असर नहीं दिखा है, जैसा दुनिया के बाकी देशों। उम्मीद इस वजह से भी कायम रखनी चाहिए कि कोरोना वायरस अपने एक हजार मरीजों में से फिलहाल केवल एक की जान ले रहा है यानी लाइलाज होने के बावजूद इतना रहमदिल तो है कि एहतियात बरतने पर जिंदगी बख्श रहा है।
एहतियात से दूर होगा कोरोना का ‘रोना’ |
चीन की ‘कैद’ से आजाद होकर कोरोना वायरस अब पूरी दुनिया में फैल गया है। दुनिया भर से आ रही खबरों से यह पता चल रहा है कि अंटार्कटिका को छोड़ कर अब कोई महाद्वीप इसके संक्रमण से नहीं बचा है। पूरी दुनिया की सेहत पर नजर रखने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी यह कहकर खतरे की घंटी बजा दी है कि यह वायरस अगर सभी देशों में नहीं, तो भी ज्यादातर देशों में अपने पैर पसार सकता है। इस चेतावनी को सही ठहराते हुए कोरोना वायरस अब तक 72 देशों में घुसपैठ कर चुका है और अब यह हमारे घर में भी अनचाहे अतिथि की तरह घुस आया है।
भारत में अब तक कोरोना के 30 से ज्यादा पीड़ित सामने आ चुके हैं और करीब 30 हजार संदिग्ध सरकार की निगरानी में हैं। बेशक यह आंकड़ा फिलहाल सब कुछ नियंत्रण में होने का भाव देता हो, लेकिन इसमें सतर्क हो जाने का संकेत भी दिखता है। खास तौर पर इस वजह से भी कि कोरोना से प्रभावित बाकी दुनिया और हमारे देश की बसाहट में एक बुनियादी फर्क है। भारत में आबादी का घनत्व सबसे ज्यादा है और इस मामले में चीन के अलावा दो-तीन दक्षिण एशियाई देश ही हमें टक्कर देते हैं। हमारे यहां झुग्गियों में सघन बसाहट है जहां एक-एक कमरे में चार से पांच लोग तक रहते हैं जो संक्रमण के बेलगाम होने की आशंका को बढ़ा देते हैं। वैसे भी अब तक इस वायरस का कोई इलाज नहीं मिलने के कारण सावधानी रखना जरूरी है, क्योंकि फिलहाल तो केवल बीमारी के लक्षण कम होने वाली दवाइयां ही दी जा सकती हैं। कुछ अस्पतालों में एंटी-वायरल दवाओं की तैयारी जरूर चल रही है, लेकिन इसको अमल में लाने में कई महीने लग सकते हैं।
होली न खेलने का सही फैसला
कोरोना वायरस को लेकर हमारी पर्सनल हाईजीन की आदतें, अज्ञानता, गरीबी भी सवालों में आती है। इसे इसलिए भी चिंता का विषय बनना चाहिए क्योंकि दिल्ली में मिले कोरोना वायरस के एक मरीज ने अपने घर पर ही बच्चे के बर्थडे की पार्टी दी थी। इसमें शामिल होने आए रिश्तेदारों में से भी 6 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। टेस्ट होने से पहले यह मरीज कितने लोगों के संपर्क में आए होंगे, इसकी जानकारी जुटाना जरूरी तो है, लेकिन आसान बिल्कुल भी नहीं। यही कोरोना का सबसे बड़ा खतरा भी है कि ग्लोबल हिस्ट्री बन जाने के बावजूद यह अब तक दुनिया के लिए मिस्ट्री बना हुआ है। हालांकि सरकार दावा कर रही है कि उसने देश के सभी एंट्री प्वाइंट्स पर स्क्रीनिंग के पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं। एयरपोर्ट से लेकर बंदरगाहों तक और जमीनी सीमाओं से लेकर आइसोलेशन सेंटर तक सरकार खुद को हर मोर्चे पर मुस्तैद बता रही है। सरकार के इन दावों पर संदेह की कोई वजह भी नहीं दिखती, लेकिन उसकी दावेदारी के बीच कोरोना से लड़ने में आपकी-हमारी जिम्मेदारी भी कम नहीं हो जाती। खासकर इस वजह से भी कि होली का त्योहार सामने खड़ा है। बाकी त्योहारों से होली का मिजाज इस मायने में अलग है कि इसमें लोगों के बीच आपसी संपर्क के ज्यादा अवसर होते हैं जो कोरोना के फैलने के लिए बेहद मुफीद है। इस लिहाज से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरकार के इस बार होली नहीं खेलने के संकेत को समझना जरूरी हो जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में इस बात पर खासा जोर दिया है कि कोरोना से बचने के लिए एक साथ भीड़ में जमा होने से बचना भी जरूरी है। यानी इस बार होली के पर्व पर समाज के साथ-साथ राष्ट्र के लिए भी जिम्मेदारी निभाते हुए इससे जितना बचा जाए, उतना बेहतर होगा। इस मामले में हम चीन से सबक ले सकते हैं, जहां मानवाधिकार ताक पर रखने वाली सख्ती के बावजूद वहां के नागरिकों ने सरकार का हर स्तर पर सहयोग किया है। इसी तरह सोशल मीडिया पर कोरोना के इलाज से लेकर इसके खतरे की बेतुकी दलीलों से भी बचने की जरूरत है। जब मेडिकल एक्सपर्ट्स तक इस बात पर एक राय नहीं हो पा रहे हैं कि भारत के गर्म मौसम में कोरोना वायरस के जीवित रहने की संभावना कितनी है, तो सोशल मीडिया के इन ‘नीम-हकीमों’ पर एतबार करने में एहतियात बरतना जरूरी हो जाता है।
गिरती आर्थिकी साधना भी जरूरी
सवाल सिर्फ स्वास्थ्य का ही नहीं, देश और दुनिया की आर्थिक सेहत पर मंडरा रहे खतरे का भी है। इस साल की पहली तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में पिछले साल के मुकाबले चार फीसद तक की गिरावट का अनुमान है। वैश्विक अर्थव्यवस्था भी 0.2 फीसद तक पिछड़ सकती है। आज के दौर में दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं जिस तरह एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं, उसमें भारत भी इसकी चपेट में आ सकता है। पहले से ही सुस्ती की गिरफ्त में चल रही अर्थव्यवस्था के लिए संकेत अच्छे नहीं हैं। कोरोना के संक्रमण को लेकर अब तक दो अनुमान सामने आए हैं। ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट यानी ओईसीडी ने साल 2020-21 के दौरान भारत की विकास दर का अनुमान घटाकर 5.1 फीसद कर दिया है। इसी तरह मूडीज ने यह अनुमान 6.6 फीसद से कम कर 5.4 फीसद कर दिया था। खास कर पर्यटन, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो इंडस्ट्री पर दबाव और बढ़ने वाला है।
आगे की राह जब निराशाजनक दिख रही है, तो दुनिया के बाजार पीछे पलटकर उम्मीद तलाश रहे हैं। साल 2003 में सार्स, 2014 में इबोला और 2016 में जीका वायरस से भी ग्लोबल इकॉनोमी के चौपट होने का डर पैदा हुआ था। तीनों मौकों पर भारी नुकसान झेलने के बावजूद दुनिया न केवल संभली, बल्कि नई रफ्तार से आगे भी बढ़ी है। लेकिन कोरोना वायरस से पैदा हुए हालात पहले से अलग हैं। इसने दुनिया के बनाए हुए गोरे-काले, अमीर-गरीब और बड़े-छोटे देशों का फर्क खत्म कर दिया है। कोरोना के सामने अति-आधुनिक होती जा रही दुनिया की खुद को सुरक्षित मानने वाली तैयारियों की पोल भी खुल गई है। तीन महीनों में 72 देशों के सफर और तीन हजार मौत के साथ करीब एक लाख लोगों पर असर डालने के बावजूद समाधान तो दूर की बात है, कोई अब तक इसके फैलने की असली वजह भी नहीं बता पा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे पैन्डेमिक यानी पूरी दुनिया पर असर डालने वाली संक्रामक बीमारी मान लिया है। ईरान, चिली और अर्जेंटीना जैसे देशों की क्या बिसात कही जाए, कोरोना पर अमेरिका से लेकर इटली, ब्रिटेन और फ्रांस तक में हाहाकार मचा हुआ है। हमारे अपने देश में भजन-कीर्तनों का दौर शुरू हो चुका है और ईसा मसीह की जन्मस्थली बेथलहम में पहली बार चर्च को बंद करना पड़ा है। भारत के साथ ही दुनिया के तमाम देशों में जितनी बड़ी तादाद में एक साथ स्कूल बंद हुए हैं, वैसा आम तौर पर क्रिसमस की छुट्टियों पर ही देखने को मिलता है। हमारे लिए भी इतनी राहत तो है ही कि चीन के पड़ोसी होने के बावजूद देश में अब तक कोरोना का वैसा असर नहीं दिखा है, जैसा दुनिया के बाकी देशों में दिख रहा है। उम्मीद इस वजह से भी कायम रखनी चाहिए कि कोरोना का वायरस अपने एक हजार मरीजों में से फिलहाल केवल एक की जान ले रहा है। यानी लाइलाज होने के बावजूद यह इतना रहमदिल तो है कि एहतियात बरतने पर जिंदगी बख्श रहा है। हालांकि कोशिश तो इस बात की होनी चाहिए कि जान गंवाने वाले इस एक मरीज को भी बचाया जा सके।
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