शेयर बाजार : इस तेजी के मायने?
शेयर बाजार अर्थव्यवस्था की स्थिति का आईना होता है, उसकी स्थिरता, तेजी और मंदी दिखाती है, यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अर्थनीति के प्रति संवेदनशील होता है, जो भी घटनाएं देश की अर्थव्यवस्था और कंपनियों के कारोबार को प्रभावित करती हैं, वे शेयर बाजार में शेयरों की कीमतों पर असर डालती हैं।
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12 मई, 2025 को जब पाकिस्तान के साथ संघर्ष पर विराम लगा तो भारत के शेयर बाजार में ऐतिहासिक तेजी देखी गई। एक दिन में बीएसई सूचकांक 2975 अंक और निफ्टी सूचकांक 970 अंक ऊपर चला गया। 13 मई को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज डोउ में शेयरों का सूचकांक 1000 प्वॉइंट ऊपर चला गया जिसका मुख्य कारण था अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ पर चल रही वार्ता में सफलता। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले चीन पर 145% टैरिफ लगाई थी, उसे घटा कर 30% पर लाने पर दोनों देशों में सहमति हो गई।
पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा नियोजित बर्बर आतंकी हमले, जिसमें धर्म पूछ कर आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों की 22 अप्रैल को हत्या की थी, के बाद भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट दर्ज हो रही थी। 9 मई को शेयर बाजार तेजी से नीचे जाने लगा, बीएसई का सूचकांक 880 प्वॉइंट नीचे जाकर 79454 पर बंद हुआ और निफ्टी का 266 प्वॉइंट नीचे गया और सूचकांक 24008 पर बंद हुआ। सीजफायर के बाद 12 मई को भारत की बड़ी कंपनियों के शेयर जैसे इंफोसिस 7.67%, एचसीएल टेक 5.97%, टाटा स्टील 5.64%, जोमैटो 5.5% टीसीएस 5.42% और टेक महिंद्रा 5.36% के दर से ऊपर गए।
आईटी कंपनियों में 6.7%, मेटल्स में 5.86%, फाइनेंशियल सर्विसेज में 4.21% और ऑटो में 3.41% की बढ़ोतरी हुई। स्मॉल कैप और मिड कैप शेयरों में क्रमश: 3.5% और 3.1% की तेजी दर्ज की गई। बीएसई सूचकांक 82430 पर और निफ्टी 24925 पर बंद हुआ। अनुमान लगाया जाने लगा कि आने वाले कुछ महीनों में बीएसई सूचकांक 85000 पार कर जाएगा और निफ्टी 25000। पाकिस्तान के शेयर बाजार में भी 12 मई को ऐसी ही तेजी देखने को मिली जैसे भारतीय शेयर बाजार में, कराची स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों के भाव 9% ऊपर गए। 8 मई को जब संघर्ष शुरू हुआ था तो कराची स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों की कीमत 7.2% नीचे चली गई थी। 2023 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट थी।
भारत का शेयर बाजार पाकिस्तान की तुलना में लगभग 10 गुना बड़ा है, वैसे ही जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से 10 गुना से भी अधिक है। भारतीय शेयर बाजार में 5,000 से अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं, जबकि पाकिस्तान के शेयर बाजार में लगभग 500 कंपनियां। भारतीय शेयर बाजार विश्व के पांच बड़े शेयर बाजारों में एक है, इसका मार्केट पूंजीकरण लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर है। अकेले टाटा ग्रुप की कंपनियों का मार्केट पूंजीकरण लगभग 400 बिलियन डॉलर है, जो पाकिस्तान के कुल 347 बिलियन डॉलर से अधिक है।
हाल की जो घटनाएं भारत के शेयर बाजार में तेजी लाई उनमें पहलगाम के आतंकी हमले के बाद संघर्ष विराम के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक की मुद्रा नीति, चौथी तिमाही में कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी एवं अर्थव्यवस्था पर विदेशी निवेशकों का विश्वास प्रमुख थे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की जिससे लोन लेने वालों पर ब्याज का बोझ कम हुआ। घर के खचरे, कारों और जमीन-जायदाद खरीदने तथा अन्य आवश्यकताओं के लिए जो कर्ज लिए जाते हैं, वे सस्ते हुए, निवेश की संभावना भी बढ़ी। अधिकांश बड़ी कंपनियों के मुनाफे में चौथी तिमाही में अच्छी वृद्धि हुई जिसका शेयर बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। कंपनियों का कुल मुनाफा 12.4% था जो पिछले दो क्वार्टर में दो तिमाही में सबसे अधिक था, उनके कुल रेवेन्यू में भी 10% की वृद्धि हुई जो इसी समय पिछले वर्ष 7.62% थी। टाटा स्टील, हीरो मोटर्स, सिप्ला, ग्लैक्सो, ताज होटल, गेल इंडिया आदि कंपनियों का अच्छा प्रदर्शन रहा। विदेशी निवेशकों का विश्वास भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था पर बना रहा। शेयरों के दाम नीचे जाने के बाद भी विदेशी निवेश में भारी कमी नहीं आई, जैसे ही मार्केट ऊपर आया निवेश फिर से बढ़ना शुरू हुआ।
13 मई को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 1246 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, भारतीय संस्थागत निवेशकों ने 1448 करोड़ रुपये शेयर बाजार में लगाए। सत्रह कामकाजी दिनों के अंदर विदेशी संस्थागत निवेशकों ने कुल 8636 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, स्वदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा 11898 करोड़ रुपये की खरीद शेयर बाजार में हुई। भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ पर चल रही वार्ता के सफल होने की उम्मीद भी बाजार में स्थिरता की स्थिति में सहायक हुई। कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता और उपभोक्ता पदाथरे की मांग में वृद्धि का भी शेयर बाजार पर सकारात्मक प्रभाव रहा। पाकिस्तान के शेयर बाजार में सीजफायर और जिन अन्य परिस्थितियों का सकारात्मक प्रभाव हुआ उनमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा पाकिस्तान को 2.3 बिलियन डॉलर का लोन एवं पाकिस्तान स्टेट बैंक द्वारा रेपो रेट में 100 बेसिक प्वॉइंट की कमी थी, जिससे लोन सस्ते हुए और निवेश में वृद्धि हुई जिसमें विदेशी निवेश भी शामिल है।
पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा दिया जाने वाला लोन उसके लिए वरदान साबित हुआ। पाकिस्तान सर से पांव तक कर्ज में डूबा हुआ है, लोन और उसका ब्याज उतारने के लिए वह दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के दरवाजे खटखटाता रहा है। सबसे अधिक कर्ज पाकिस्तान ने चीन से लिया है, भारत के साथ संघर्ष में भी चीन उसका साथ देता रहा है। भारत से संघर्ष के बाद सीजफायर होने पर कराची स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक पहले की अपेक्षा 17% अधिक के स्तर पर पहुंच गया था। जिन कंपनियों के शेयरों में अच्छी वृद्धि हुई उनमें पाकिस्तान पेट्रोलियम, एग्री टेक, मैपल लीफ सीमेंट आदि उल्लेखनीय हैं।
(लेख में विचार निजी हैं)
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