संविधान चित्रण : कलात्मकता का चरम

Last Updated 30 Nov 2024 01:31:02 PM IST

पांच हजार से अधिक वर्षो की सभ्यता के इतिहास को दस्तावेज, जो देश की स्वतंत्रता के समय एक नये स्वतंत्र हुए राष्ट्र के भाग्य का मार्गदर्शन करने वाला हो, के रूप में व्यक्त करना कठिन है। लेकिन आचार्य नंदलाल बोस के लिए भारत के संविधान पर चितण्रकार्य भर नहीं था।


उनकी दृष्टि हड़प्पा सभ्यता के समय से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति के समय तक भारत की यात्रा का वर्णन करती है। ये सभी चितण्रसंविधान के अंतिम पृष्ठ पर सूचीबद्ध हैं, और उन्हें बारह ऐतिहासिक काल में वर्गीकृत किया गया है: मोहनजोदड़ो काल, वैदिक काल, महाकाव्य काल, महाजनपद और नंद काल, मौर्य काल, गुप्त काल, मध्यकालीन काल, मुस्लिम काल, ब्रिटिश काल, भारत का स्वतंत्रता आंदोलन, स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी आंदोलन और प्राकृतिक विशेषताएं। संविधान की शुरुआत हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के चितण्रसे होती है। बोस इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि प्रतीक में शेर बिल्कुल असली शेरों की तरह दिखें, उनकी चाल और चेहरे के हाव-भाव सही हों और आयु के हिसाब से उनमें बदलाव हो।

राष्ट्रीय प्रतीक के डिजाइनर दीनानाथ भार्गव, जो उस समय कला भवन में युवा छात्र थे, इस कलाकृति को चित्रित करने से पहले शेरों के हाव-भाव, शारीरिक भाषा और तौर-तरीकों का अध्ययन करने के लिए महीनों कलकत्ता  चिड़ियाघर गए। प्रस्तावना पृष्ठ और कई अन्य पृष्ठों को बेहर राममनोहर सिन्हा ने डिजाइन किया था। बोस ने बिना किसी बदलाव के प्रस्तावना हेतु सिन्हा की बनाई कलाकृति का समर्थन किया। इस पृष्ठ पर निचले दाएं कोने में देवनागरी में सिन्हा का संक्षिप्त हस्ताक्षर राम है। संविधान की प्रस्तावना एक हाथ से लिखा हुआ लेख है जो आयताकार बॉर्डर से घिरा हुआ है। बॉर्डर के चार कोनों में चार पशुओं को दर्शाया गया है।

दर्शाए गए चार जानवर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के आधार से लिए गए हैं। बॉर्डर की कलाकृति में कमल की आकृति प्रमुखता से दिखाई देती है। कमल की आकृति बॉर्डर कलाकृति में प्रमुखता से दिखाई देती है। संविधान का प्रत्येक भाग एक चित्र से आरंभ होता है, और अलग-अलग पृष्ठों पर अलग-अलग बॉर्डर डिजाइन दर्शाए गए हैं।  कलाकारों के हस्ताक्षर चित्र पर और बॉर्डर के पास दिखाई देते हैं जो इस प्रोजेक्ट में सभी के सहयोग को दर्शाता है। अनेक पृष्ठों पर कई हस्ताक्षर हैं जो बंगाली, हिन्दी, तमिल और अंग्रेजी में हैं। संविधान के भाग 19 में विविध विषयों से संबंधित चित्र है जिसमें नेता जी सैन्य पोशाक में अपने सैनिकों से घिरे हुए सलामी दे रहे हैं।  

बोस के हस्ताक्षर चितण्रपर दिखाई देते हैं  और ए. पेरु मल के हस्ताक्षर पृष्ठ के बाएं निचले कोने पर दिखाई देते हैं। वे कला को लोगों तक ले जाने वाले कलाकार के रूप में प्रसिद्ध हुए।  शांतिनिकेतन के गांवों में जाते और संथाल घरों की दीवारों को जानवरों, पक्षियों और पेड़ों वाली प्रकृति की थीम से सजाते। शांतिनिकेतन के कला भवन में चार दशकों से अधिक समय तक बोस जैसे महान कलाकारों के साथ काम किया। उन्हें स्नेह से ‘पेरु मलदा’ कहा जाता था। संविधान का भाग, जो प्रथम अनुसूची के भाग  में राज्यों से संबंधित है, ध्यानमग्न भगवान महावीर के समृद्ध रंगीन चित्र से शुरू होता है, जिसमें वे आंखें बंद किए हथेलियां एक दूसरे पर टिका कर बैठे हैं। भगवान महावीर के दोनों ओर एक-एक पेड़ हैं और फ्रेम में एक मोर भी दिखता है जो प्रकृति में सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व दर्शाता है। यह मूल संविधान के कुछ रंगीन चित्रों में से एक है। रंगीन चित्रों में जमुना सेन और नंदलाल बोस के हस्ताक्षर हैं। इस पृष्ठ पर बॉर्डर डिजाइन में राजनीति नामक कलाकार के हस्ताक्षर भी हैं।

भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों पर केंद्रित है। इस पृष्ठ पर दिए गए चित्रों में भारत के दो वीर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज और गुरु  गोविंद सिंह दिखाए गए हैं। इस पृष्ठ चित्र धीरेंद्र कृष्ण देब बर्मन द्वारा बनाए गए हैं, जो त्रिपुरा राजघराने से थे और रवींद्रनाथ टैगोर और बोस के साथ उनके घनिष्ठ संबंध थे। बॉर्डर डिजाइन पर कृपाल सिंह शेखावत के हस्ताक्षर हैं, जो भारत के प्रसिद्ध कलाकार और मिट्टी के बर्तन बनाने वाले थे, जिन्हें जयपुर की प्रतिष्ठित ब्ल्यू पॉटरी की कला को पुनर्जीवित करने के लिए जाना जाता है। शांतिनिकेतन में ललित कला संस्थान कला भवन ने भारत और दुनिया के सभी कोनों से छात्रों और कलाकारों को आकर्षित किया। इस प्रकार विभिन्न प्रभावों को समाहित करते हुए उत्कृष्टता की निरंतर खोज करते हुए एक इकोसिस्टम निर्मिंत किया और अनूठी भारतीय शैली और कला निर्मिंत की।

इस पर काम करने वाले कई कलाकारों ने अपने कॅरिअर में महान ऊंचाइयां हासिल कीं लेकिन इस परियोजना के समय शांतिनिकेतन के छात्र और सहयोगी ही थे जो अपने श्रद्धेय ‘मास्टर मोशाय’ बोस के सपने को जीवंत करने के लिए प्रयत्नशील थे। संविधान में चित्रों की प्रेरणा भारत के विशाल इतिहास, भौतिक परिदृश्य, पौराणिक चित्र और स्वतंत्रता संग्राम में निहित है। संविधान का भाग 13 ‘भारतीय क्षेत्र में व्यापार, वाणिज्य और उनके परस्पर संबंधो’ से संबंधित है। इस पृष्ठ पर चितण्रमें महाबिलापुरम में स्मारकों के समूह का हिस्सा है जो यूनेस्को द्वारा अंकित विश्व धरोहर स्थल है। ‘गंगा का अवतरण’ बड़ी, खुली हवा में बनी चट्टान की नक्काशी वाली मूर्ति है जो स्वर्ग से धरती पर गंगा अवतरण की कथा को पत्थर में दर्शाती है। बोस के हस्ताक्षर चित्र पर हैं, और जमुना सेन का नाम बॉर्डर के बाएं निचले कोने पर दिखता है। भाग 3, जो मौलिक अधिकारों से संबंधित है, में रामायण का दृश्य है। इस पृष्ठ के बॉर्डर पर जमुना सेन के हस्ताक्षर हैं। भाग 4, जो राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों से संबंधित है, में महाभारत का दृश्य है। बानी पटेल और बोस के नाम दाई ओर नीचे दिए गए चितण्रपर दिखते हैं, और विनायक शिवराम मसोजी का नाम बॉर्डर के बाएं कोने पर दिखाई देता है।

संविधान का भाग 7 ‘पहली अनुसूची के भाग बी में शामिल राज्यों’ से संबंधित है। इस खंड की शुरु आत में दिए गए चितण्रमें सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के प्रसार को दर्शाया गया है। वे सजे हाथी पर सवार हैं, जो बौद्ध भिक्षुओं से घिरा है। यह चितण्रअजंता की शैली में है, जिसमें भिक्षुओं को शरीर के ऊपरी हिस्से को बिना वस्त्रों और आभूषणों के साथ दिखाया गया है। यह चितण्रबोस ने किया  था, जिनका काम अजंता के भित्तिचित्रों की कलात्मक परंपराओं से प्रभावित था। चितण्रके निचले बाएं भाग पर पेरुमल का नाम भी दिखता है। बॉर्डर डिजाइन में ब्योहर राममनोहर सिन्हा के हस्ताक्षर हैं, जिन्होंने प्रस्तावना और कई अन्य पृष्ठों को भी डिजाइन किया था। यहां उन्होंने हिन्दी में राममनोहर के रूप में हस्ताक्षर किए हैं। यह संविधान के उन कुछ पन्नों में से एक है, जिस पर बोस और उनके सबसे वरिष्ठ छात्र ब्योहर राममनोहर सिन्हा, दोनों के नाम हैं।

भारत का संविधान इस मायने में अनूठा है कि यह मूल रूप से हस्तलिखित दस्तावेज था। इसे अंग्रेजी में प्रेम बिहारी रायजादा और हिन्दी में वसंत के. वैद्य ने सुलेखित किया था। रायजादा ने प्रवाहपूर्ण इटैलिक शैली का इस्तेमाल किया और सुलेख की कला अपने दादा से सीखी। संविधान हॉल (जिसे अब कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है) के एक कमरे में काम करते हुए उन्होंने छह महीने के दौरान दस्तावेज तैयार किया। इसे लिखते समय सैकड़ों पेन निब का इस्तेमाल किया। भारत के संविधान के अंग्रेजी संस्करण के सुलेखक प्रेम बिहारी नारायण रायजादा (प्रेम) के हस्ताक्षर दस्तावेज के हर पृष्ठ पर दिखाई देते हैं। राष्ट्रीय महत्त्व की इस परियोजना को शुरू करने के लिए उन्होंने यही एकमात्र अनुरोध किया था।

भारत का संविधान एक मौलिक कला ग्रंथ है, जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है। भारतीय संविधान में कलात्मकता भारत के बहुस्तरीय इतिहास को दर्शाती है और सामाजिक, सांस्कृतिक, पौराणिक, क्षेत्रीय, आध्यात्मिक, भौतिक परिदृश्य तथा अन्य कारकों के प्रति श्रद्धांजलि है जो भारत को अद्वितीय और जीवंत अनुभव बनाते हैं। यह एक ऐसे राष्ट्र की वास्तविकता को दर्शाता है जो अपने प्राचीन अतीत को स्वीकार करता है, विविधता में एकता का उत्सव मनाता है, और भविष्य की ओर देखता है।
(लेखक केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री हैं)

गजेंद्र सिंह शेखावत


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment