बतंगड़ बेतुक : फांसी उन्हें भी होनी चाहिए

Last Updated 05 May 2024 12:47:33 PM IST

झल्लन ने हमें देखते ही कहा, ‘ददाजू, हमें तो रत्तीभर आशंका नहीं थी कि ऐसे ऊंचे कुल में ऐसा कुलबोरा पैदा हो जाएगा जो पलक झपकते ही कुल की सारी साख बहा ले जाएगा और न जाने कितनों की जिंदगी को गहरे जख्म दे जाएगा।’


हमने कहा, ‘तू किसकी बात कर रहा है झल्लन, किस कुल में कौन ऐसा पैदा हो गया जो तेरी नजर में कुलबोरा हो गया?’ झल्लन बोला, ‘क्या ददाजू, आपको ये भी पता नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के पोते ने क्या कर दिया है, अपने खानदान को ही नहीं, हर सभ्य, शरीफ इंसान को शर्मिदा कर दिया है।’ हमने कहा, ‘ओह, तो तू हासन के सांसद प्रज्वल रेवन्ना की बात कर रहा है जिसने अपने सेक्स स्कैंडल से भूचाल ला दिया है और अपनी पार्टी की जड़ों को हिला दिया है।’ झल्लन बोला, ‘हां ददाजू, सुनते हैं उसकी काली करतूतों के अब तक करीब तीन हजार अश्लील वीडियो सामने आ गये हैं और पूरे देश के मीडिया में छा गये हैं। समझ में नहीं आता ददाजू, इस देश की जनता ऐसे लंपट लोगों में क्या देखती है जो उन्हें आंख बंदकर चुनाव में जिताती है और संसद में भेजती है। अब देखिए, विपक्षी पार्टियां इसे जोर-शोर से चुनावी मुद्दा बना रही हैं और हमारी प्रियंका गांधी तो सीधे-सीधे नरेन्द्र मोदी पर ही आरोप लगा रही हैं कि वह प्रज्वल रेवन्ना जैसे राक्षस को बचा रहे हैं, उसके कुकृत्यों को लेकर जुबान तक नहीं हिला रहे हैं।’

हमने कहा, ‘झल्लन, पहली बात तो ये कि अगर जनता को सचमुच जानकारी होती कि प्रज्वल रेवन्ना नाम का यह बदमाश लड़कियों-औरतों का यौन शोषण कर रहा है, उनके साथ अपने कृत्यों को वीडियो में बंद कर रहा है तो शायद वह इसे लेकर अपना सर ही धुनती, इसे कभी भी संसद के लिए नहीं चुनती। दूसरी बात विपक्ष की राजनीति की है तो विपक्ष चूक थोड़े ही जाएगा, क्योंकि भाजपा और जेडीएस साथ चुनाव लड़ रहे हैं तो वह जितना भुना सकेगा इस मुद्दे को भुनाएगा।’ झल्लन बोला, ‘लेकिन ददाजू, अमित शाह ने तो कह दिया है कि हम नारी शक्ति का सम्मान करते हैं, हम नारी शक्ति के साथ हैं सो प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, उसे कोई रियायत नहीं दी जानी चाहिए और अगर कोई ढील बरती जा रही है तो इसके लिए कर्नाटक की कांग्रेस सरकार आरोपित होनी चाहिए।’ हमने कहा, ‘झल्लन, प्रज्वल रेवन्ना जैसे लोग हर पार्टी में घुसे रहते हैं, इनकी राजनीतिक हनक में इनके पाप छुपे रहते हैं। जब इनके पाप की कोई घटना उजागर होती है तो समूची इंसानियत को शर्मसार करती है, समूचे सभ्य समाज पर सवाल खड़ा करती हैं। शर्मनाक यह है कि हर दल अपने व्यक्ति के कुकृत्य की जिम्मेदारी लेने से कतराता है और भले ही खुद के पांव पंक में धसे हुए हों पर आरोप दूसरे पर लगाता है। दरअसल, ऐसी लंपटता का दोष किसी एक पार्टी का नहीं सबका माना जाना चाहिए और इसके लिए समूची राजनीति को कटघरे में लाना चाहिए।’

झल्लन बोला, ‘ददाजू, आपको नहीं लगता कि गलती औरतों और लड़कियों की भी है कि जब उन्हें यौन शोषण का शिकार बनाया जा रहा था तो उनको प्रतिरोध दिखाना चाहिए था और इसकी शिकायत लेकर सामने आना चाहिए था। अगर पहले से ही इसके विरुद्ध शिकायत दर्ज करा दी जाती तो इसकी वीडियो श्रृंखला बहुत पहले ही रुक जाती और इसकी राह संसद की तरफ नहीं सीधे-सीधे जेल की तरफ जाती।’ हमने कहा, ‘झल्लन, सारी त्रासदी इसी बिंदु को लेकर है कि औरतें अपनी सामाजिक इज्जत, अपमान और असुरक्षा के कारण अन्याय, अत्याचार के बावजूद चुप्पी साध जाती हैं और बदनामी के डर से असहाय होकर सब कुछ सह जाती हैं।’ झल्लन बोला, ‘लेकिन ददाजू, जब हजारों वीडियो से रेवन्ना की करतूत सामने आ गयी है तो उसकी शिकार हजारों निरीह महिलाओं की पहचान भी उजागर हो गयी है, इससे इनकी बदनामी तो अब भी हो जाएगी, इस कांड की शिकार बनी कोई भी महिला बदनामी से कैसे बच पाएगी?’

हमने कहा, ‘झल्लन, तूने एक बहुत ही गंभीर मुद्दे की तरफ इशारा किया है जिसने मौजूदा राजनीति के चरित्र का बहुत ही गंदा और घिनौना रूप सामने आया है। हम भी यही सोच रहे हैं कि प्रज्वल रेवन्ना का जो कुकर्म उजागर हुआ है उसे लेकर उसका जो होगा सो होगा लेकिन जिन महिलाओं को बेपर्दा किया गया है उनका क्या होगा? कोई घरेलू महिला है, कोई नौकरीपेशा है, कोई सामाजिक कार्यकर्ता है कोई राजनीतिक कार्यकर्ता है, कोई पत्नी है, मां है, बहन है, बेटी है इन सबके अपने-अपने घर हैं, परिवार हैं, सोच कि उनके जीवन में कैसा भूकंप आएगा, उनके इर्द-गिर्द कैसी तबाही फैलाएगा। जिन्होंने रेवन्ना के खिलाफ राजनीति की है वे तो अपना फायदा उठा जाएंगे लेकिन उनके घिनौने काम की वजह से हजारों महिलाओं के जीवन तबाह हो जाएंगे। इसलिए हमारा मानना है कि रेवन्ना के खिलाफ जो किया जाये सो किया जाये लेकिन जिन लोगों ने अश्लील वीडियो और सीडीस् को पुलिस में न देकर कानून विरुद्ध बड़े नियोजित ढंग से पूरे समाज में फैलाया है उन पर भी कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए और हमारी तो राय होगी कि ऐसे घिनौने लोगों को सरेआम चौराहे पर फांसी दी जानी चाहिए।’

विभांशु दिव्याल


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