उपलब्धि : सर्वाधिक पर्यटक आकर्षित कर रही काशी

Last Updated 20 Dec 2023 01:21:48 PM IST

अगर कोई यह मानता है कि सबसे अधिक पर्यटक समुद्र के किनारे के तटों पर या फिर आकाश को छूते पहाड़ों में सैर करने को आते हैं, तो उसे एक बार फिर से सोचना होगा।


उपलब्धि : सर्वाधिक पर्यटक आकर्षित कर रही काशी

मतलब यह कि अब न तो सबसे अधिक पर्यटक गोवा आ रहे हैं, और न ही शिमला, नैनीताल या कश्मीर या हिमाचल के किसी अन्य हिल स्टेशन पर। सबसे ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने लगा है वाराणसी। आईसीआईसीआई के एक सर्वे से पता चला है कि 2022 में वाराणसी में 7.02 करोड़ पर्यटक पहुंचे। गोवा के हिस्से में आए मात्र 85 लाख के आसपास पर्यटक।  

यूं तो वाराणसी में लगातार खूब पर्यटक पहले से ही आते थे पर 2015 के बाद तो स्थिति वाराणसी के पक्ष में पूरी तरह से पलट गई। इस लिहाज से गेमचेंजर साबित हुआ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे (अब स्मृति शेष) का धर्म नगरी वाराणसी के दशामेध घाट पर गंगा आरती में 2015 में भाग लेना। पर्यटन क्षेत्र के जानकार कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री आबे के गंगा आरती में भाग लेने के बाद सारे देश में वाराणसी को लेकर नई तरह की सकारात्मक सोच विकसित होने लगी। इसी का नतीजा है कि वाराणसी में देश-दुनिया के पर्यटक पहले से अधिक संख्या में पहुंचने लगे। काशी विनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह कॉरिडोर भव्य इमारत भर नहीं है, बल्कि हमारी आध्यात्मिक, परंपरा और गतिशीलता की प्रतीक है। काशी विनाथ कॉरिडोर के निर्माण के दौरान पुनर्वास का मुद्दा भी उठा था।

विपक्ष लगातार इस बात को उठा रहा था कि आम लोगों को उजाड़ा जा रहा है लेकिन जिन 300 संपत्तियों का अधिग्रहण किया गया था उनसे जुड़े लोगों का पुनर्वास हो चुका है। भरपूर मुआवजा मिला, सो अलग। काशी में श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के अलावा पर्यटकों की सुविधा का भी खास ख्याल रखा जाता है। काशी की यात्रा करने वाला हरेक शख्स बौद्ध पर्यटक केंद्र सारनाथ तो जाता ही है। भगवान बुद्ध ने बोध गया में आत्मज्ञान प्राप्त करने के पश्चात पहला प्रवचन दिया था। जहां प्रवचन दिया था वहां पर धामेक स्तूप है। इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने 500 ईसवी में करवाया था। हालांकि, कोविड के कारण बौद्ध धर्म को मानने वाले देशों से काशी में उड़ानें नहीं आ रही हैं पर श्रीलंका, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान और शेष बौद्ध देश के नागरिक आने लगे हैं।

काशी से लेकर सारनाथ तक घूमते हुए रोज सैकड़ों विदेशी पर्यटक नजर आते हैं। जाहिर है, इनमें ज्यादातर बौद्ध देशों के ही होते हैं। इन सभी क्षेत्रों की देखरेख आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की तरफ से की जाती है। हम आम तौर पर सरकारी महकमों को उनकी काहिली के कारण कोसते हैं लेकिन इस जगह को एएसआई बेहतरीन तरीके से व्यवस्थित कर रही है। बीते सावन के दिनों में काशी भर गया था पर्यटकों से। आंकड़ों के मुताबिक सावन महीने में 2.5 से 3 लाख पर्यटकों का रोजाना काशी में आगमन हुआ। कहना न होगा कि बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने से काशी की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए हैं। काशी आने वाले सबसे ज्यादा श्रद्धालु और पर्यटक काशी विनाथ मंदिर में दर्शन, घाटों की गंगा आरती करने, नमो घाट और सारनाथ का भ्रमण करने के लिए पहुंचते हैं। वाराणसी में अनेक प्रकार के फेस्टिवल और सांस्कृतिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं।

मुझे कुछ समय पहले ईस्ट अफ्रीकी देश केन्या के मेरे मित्र स्टीफन मुंगा कह रहे थे कि वे अपनी आगामी भारत यात्रा के समय काशी जरूर जाना चाहेंगे। मैंने उनकी काशी के प्रति दिलचस्पी की वजह पूछी तो वह कहने लगे कि भारत को समझने के लिए काशी को देखना जरूरी लगता है। वैसे बाबा विनाथ का दशर्न कौन नहीं करना चाहेगा? काशी ने गोवा, केरल और देश के बाकी प्रमुख पर्यटन स्थलों-राज्यों को पीछे छोड़ दिया है, पर्यटकों को अपनी तरफ खींचने के स्तर पर, लेकिन देश के पर्यटन उद्योग से जुड़े सभी लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों को विकसित करना होगा। भारत के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन को बढ़ावा देना लाभदायक होगा।

बेशक, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश का पर्यटन 10 गुना तक बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अयोध्या में 30,000 करोड़ रु पये से आधारभूत सुविधाओं के विकास की परियोजनाओं पर कार्य कर रही है। कुछ समय पहले देश भर के टूर ऑपरेटर्स की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि घरेलू पर्यटकों की पसंद के मामले में इस समय उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में धार्मिंक, आध्यात्मिक, ईको टूरिज्म के सभी बड़े केंद्र  मौजूद हैं। जब अयोध्या में 2024 तक श्रीराम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा तो वहां 10 से 50 गुना तक पर्यटन बढ़ने का अनुमान है। कृष्ण जन्मभूमि का कॉरिडोर तैयार होने पर यही हाल मथुरा-वृंदावन का भी होना है। अयोध्या हर सनातनी की आस्था का केंद्र है जहां भव्य मंदिर का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। राज्य में रामायण, कृष्ण और बौद्ध सर्किट को व्यावहारिक धरातल पर उतारने के प्रयास युद्धस्तर पर चल रहे हैं।

डॉ. आर.के. सिन्हा


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