अर्थव्यवस्था : प्रगति की तेज गति
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा 30 नवम्बर को जारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की गई जबकि विगत वित्त वर्ष की समान अवधि में जीडीपी वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही थी।
![]() अर्थव्यवस्था : प्रगति की तेज गति |
यह वृद्धि दर मौद्रिक नीति समिति के अनुमान 6.5 प्रतिशत से ज्यादा है।
बीते 5 सालों यानी वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी 6.80 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ी, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में 3.70 प्रतिशत, वित्त वर्ष 2020-21 में माइनस 6.60 प्रतिशत, वित्त वर्ष 2021-22 में 8.70 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2 प्रतिशत की दर से जीडीपी में वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2023 की जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 13.1 प्रतिशत रही थी, जबकि सितम्बर तिमाही में 6.3 प्रतिशत, दिसम्बर तिमाही में 4.4 प्रतिशत और मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही।
चालू वित्त वर्ष की सितम्बर तिमाही में सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही, जबकि अनुमान 6.8 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने का था। पहली तिमाही में इसमें 7.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई थी, जबकि विगत वर्ष की समान अवधि में यह 5.4 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ा था। जीवीए से उत्पादों की आपूर्ति से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों का पता चलता है, जबकि जीडीपी, मांग से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों को दर्शाता है। जीडीपी की बढ़ोतरी में शहरी खपत, विनिर्माण और सरकारी खर्च का विशेष योगदान रहा है। विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 13.9 प्रतिशत रही, जबकि निर्माण क्षेत्र में यह वृद्धि दर 13.3 प्रतिशत रही। वहीं, खनन क्षेत्र की वृद्धि दर 10 प्रतिशत रही, जबकि बिजली-पानी क्षेत्र में 0.1 प्रतिशत, रक्षा क्षेत्र में 7.6 प्रतिशत, वित्त-पोषण व प्रॉपर्टी क्षेत्र में 6 प्रतिशत और कारोबार व परिवहन क्षेत्र में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर रही।
हालांकि, कृषि क्षेत्र में वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में महज 1.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई। आधारभूत संरचना या कोर क्षेत्र में अक्टूबर महीने में 12.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इस क्षेत्र में 0.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई थी। अक्टूबर महीने में र्फटलिाइजर को छोड़कर दूसरे सभी क्षेत्रों में वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि सितम्बर महीने में कोयला, कच्चा तेल, स्टील, सीमेंट, रिफाइनरी, प्राकृतिक गैस और बिजली के क्षेत्र में 9.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज की गई थी। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 8 प्रमुख क्षेत्रों की उत्पादन वृद्धि दर 8.6 प्रतिशत रही, जो 1 साल पहले 8.4 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार जीडीपी वृद्धि दर में अगली तिमाही में भी तेजी देखी जा सकती है, क्योंकि अक्टूबर महीने में महंगाई 4.87 प्रतिशत रही थी, जो सितम्बर महीने में 5.02 प्रतिशत और अगस्त महीने में 6.83 थी और अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख मानक भी मजबूत बने हुए हैं।
अक्टूबर में भारत का राजकोषीय घाटा 8.03 ट्रिलियन रु पये था, जो पूरे साल के बजट अनुमान 17.86 ट्रिलियन का 45 प्रतिशत था। पिछले साल की समान अवधि में यह घाटा वित्त वर्ष 2022-23 के बजट अनुमान का 45.6 प्रतिशत था। इस तरह, राजकोषीय घाटे में 0.06 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। राजकोषीय घाटा सरकारी खर्च और सरकारी राजस्व के बीच के अंतर को दर्शाता है। एनएसओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की सितम्बर तिमाही में शहरी बेरोजगारी दर 6.6 प्रतिशत पर स्थिर रही।
पुरुषों के बीच बेरोजगारी दर जून तिमाही के 5.9 प्रतिशत से बढ़कर सितम्बर तिमाही में 6 प्रतिशत हो गई, जबकि महिलाओं के बीच बेरोजगारी दर जून तिमाही के 9.1 प्रतिशत से सितम्बर तिमाही में घटकर 8.6 प्रतिशत रह गई। 2022 की मार्च तिमाही में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी 20.4 प्रतिशत रही थी, जो जून तिमाही में बढ़कर 20.9 प्रतिशत, सितम्बर तिमाही में 21.7 प्रतिशत, दिसम्बर तिमाही में 22.3 प्रतिशत और 2023 की मार्च तिमाही में 22.7 प्रतिशत रही। 2023 की जून तिमाही में यह 23.2 प्रतिशत और सितम्बर तिमाही में 24.0 प्रतिशत रही।
स्टैंर्डड एंड पुअर वैश्विक (एस एंड पी ग्लोबल) ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर के अनुमान को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है। एजेंसी के अनुसार इसका कारण घरेलू बाजार में अर्थव्यवस्था के मानकों का मजबूत होना है। हालांकि, एस एंड पी ग्लोबल ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 6.9 प्रतिशत से घटा कर 6.4 प्रतिशत कर दिया है। एजेंसी को लगता है कि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में भारत में आर्थिक गतिविधियां कमजोर पड़ सकती हैं। एस एंड पी ग्लोबल के अनुसार भारत के अलावा इंडोनेशिया, मलयेशिया और फिलीपींस की अर्थव्यवस्था भी मजबूती से आगे बढ़ रही हैं, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था, जो विश्व में दूसरे स्थान पर है, के वित्त वर्ष 2024 में 4.6 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने का अनुमान है।
जीडीपी और जीवीए, दोनों में बढ़ोतरी से साफ है कि विविध उत्पादों की मांग और आपूर्ति में तेजी बनी हुई है, जिससे दूसरी आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आ रही है। राजकोषीय घाटे में कमी आना इस बात का सूचक है कि राजस्व संग्रह खर्च से अधिक है, जो मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेतक है। कोर क्षेत्र के मजबूत बने रहने से बुनियादी क्षेत्रों में मजबूती बनी हुई है। बेरोजगारी दर का स्थिर रहना बताता है कि हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत है और कोरोना महामारी के दुष्प्रभावों से पूरी तरह से बाहर निकल चुकी है।
श्रम बल में आधी आबादी की भागीदारी का बढ़ना देश में एक सकारात्मक बदलाव की बात कहता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के मुसलसल मजबूत रहने के कारण ही एस एंड पी ग्लोबल ने वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है, जबकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की जीडीपी के वित्त वर्ष 2023-24 में 4.6 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने का अनुमान लगाया है, जो भारत के जीडीपी वृद्धि दर अनुमान से बहुत कम है। आज जब दुनिया के कई देश वैश्विक मंदी के नकारात्मक प्रभावों से जूझ रहे हैं, तब भारत के विकास दर में लगातार इजाफा हो रहा है।
| Tweet![]() |