खेल : स्वर्णिम इबारत लिखता भारत
सितम्बर 23 से 8 अक्टूबर तक आयोजित हुए हांगझोऊ एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन के साथ 107 पदक जीतकर तमाम देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था।
![]() खेल : स्वर्णिम इबारत लिखता भारत |
हमारे पैरा एथलीटों ने भी हांगझोऊ पैरा एशियाई खेलों में 29 स्वर्ण, 31 रजत और 51 कांस्य के साथ कुल 111 पदक जीत कर ऐसा इतिहास रच दिया है, जो किसी भी ऐसी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में बहुत बड़ी उपलब्धि है। 22-28 अक्टूबर तक चले पैरा एशियाई खेलों में 43 देशों के करीब 4 हजार एथलीटों ने भाग लिया था, जिनमें भारत के 313 खिलाड़ियों का दल भी शामिल था।
पदकों की संख्या के लिहाज से देखें तो 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में 101 पदक हासिल कर भारत ने पहली बार 100 का आंकड़ा पार किया था और इस वर्ष एशियाई खेलों के दोनों ही संस्करणों में हमारे खिलाड़ियों ने पदकों का शतक पार करते हुए खेलों की दुनिया में ऐसी स्वर्णिम इबारत लिख डाली है, जिससे साबित हो गया है कि भारत अब खेल महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है। भारत के लिए विशेष बात यह भी कि पुरुष खिलाड़ियों के साथ-साथ महिला खिलाड़ी भी मैदान में दम-खम दिखाते हुए पदक बटोर रही हैं। एशियाई खेलों में 107 और पैरा एशियाई खेलों में 111 पदकों की सुनहरी चमक के साथ भारतीय खिलाड़ियों द्वारा रचा गया इतिहास निश्चित रूप से भविष्य की अन्य अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धाओं के लिए शुभ संकेत हैं। माना जा रहा है कि भारतीय खिलाड़ियों की इन स्वर्णिम उपलब्धियों ने अगले साल फ्रांस में होने वाले ओलंपिक खेलों में भारत के लिए उम्मीदों के नये द्वार खोल दिए हैं। भारतीय पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष दीपा मलिक ने तो एशियाई पैरा खेलों में भारत के शानदार प्रदशर्न के बाद कहा भी है कि हम पेरिस पैरालंपिक में भी टोक्यो से ज्यादा पदक जीतेंगे।
यह गर्व की बात है कि ओलंपिक हों या राष्ट्रमंडल अथवा एशियाई खेल या अन्य अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाएं, हर कहीं हमारे खिलाड़ी अपना जलवा दिखा रहे हैं। वे अब ऐसे-ऐसे खेलों में भी अद्भुत प्रदशर्न कर रहे हैं, जहां कभी हमारे खिलाड़ी टिक तक नहीं पाते थे। बैडमिंटन अथवा हॉकी हो या कुश्ती अथवा भारोत्तोलन, कबड्डी हो या भाला फेंक, लंबी दौड़ हो या तलवारबाजी या तीरंदाजी, निशानेबाजी हो या टेबल टेनिस, सभी स्पर्धाओं में खिलाड़ी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं। एशियाई खेलों ने तो बखूबी प्रमाणित भी कर दिया है कि हमारे यहां खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत है उन्हें प्रेरणा, प्रोत्साहन और प्रशिक्षण देकर उनकी प्रतिभा निखारने के उचित प्रयासों की।
खिलाड़ियों को पर्याप्त अवसर और सुविधाएं मिलें तो वे तमाम खेलों में विश्व भर में धाक जमाते हुए भारत को खेल महाशक्ति बनाने का सामथ्र्य रखते हैं। विभिन्न स्पर्धाओं में भारत का विश्व चैंपियन बनना, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारतीय पुरुष-महिला खिलाड़ियों द्वारा शानदार प्रदशर्न करते हुए निरंतर रिकॉर्ड बनाना, ओलंपिक खेलों में प्रदशर्न में सुधार, एशियाई चैंपियनशिप तथा राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का परचम लहराना, खेलों की दुनिया में भारत के बढ़ते दबदबे का संकेत है। रसातल में जाती हॉकी के मामले में भी भारत की तस्वीर धीरे-धीरे सुधर रही है। एशियाई और पैरा एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने जिस जोश, हौसले और जुनून के साथ क्रमश: 107 और 111 पदक जीत कर खेलों की दुनिया में नया इतिहास रचा है, उस जोश और जुनून को भविष्य में भी बरकरार रखने की जरूरत है।
देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कुछ समय से टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना, खेलो इंडिया, फिट इंडिया मूवमेंट, साई प्रशिक्षण केंद्र योजना इत्यादि कई महत्त्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं। भारतीय खिलाड़ी अब तमाम स्पर्धाओं में पदक जीतकर अहसास भी करा रहे हैं कि उन्हें सही ढंग से तराशा जाए तो वे दुनिया में किसी से कम नहीं हैं। भारत की बेटियां भी अब खेलों की दुनिया में निरंतर स्वर्णिम इतिहास लिख रही हैं।
बेशक, खेलों में हमारी ये उपलब्धियां प्रशंसनीय तो हैं, लेकिन फिर भी प्रश्न उठता ही है कि हमारी तैयारियों में कुछ तो बड़ी कमी अवश्य है, जो हम ओलंपिक, राष्ट्रमंडल या एशियाई खेलों जैसी बड़ी स्पर्धाओं में शीर्ष को छूने में सफल नहीं हो पा रहे। इसीलिए अब हमारा ध्यान इसी पर केंद्रित होना चाहिए कि भारत को खेलों की दुनिया में नंबर एक कैसे बनाया जाए ताकि हम चीन से भी बेहतर प्रदशर्न करने में सफल हो सकें। इसके लिए जरूरी है कि देश भर में खेल प्रतिभाओं के लिए स्वस्थ वातावरण तैयार करते हुए बिना भेदभाव के सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराकर सही ढंग से तराशा जाए और विभिन्न स्पर्धाओं के लिए चयन भी उचित प्रक्रिया द्वारा ही हो। अंतरराष्ट्रीय खेल मंचों पर भारत को सिरमौर बनाने के लिए भारत को अब खेलों के अपने बुनियादी ढांचे में व्यापक बदलाव करने की दरकार है।
| Tweet![]() |