ओडीएफ : मंजिल अभी दूर

Last Updated 21 Jun 2023 01:15:15 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत चलने वाले बहुप्रचारित ‘खुले में शौच मुक्ति अभियान’ (ODF) को शुरू हुए नौ साल पूरे हो गए हैं।


ओडीएफ : मंजिल अभी दूर

इस योजना के पीछे प्रधानमंत्री की मंशा में केवल स्वच्छता नहीं,  बल्कि इसके तहत पर्यावरण में सुधार के साथ लोगों की आदतों में सुधार करके एक सामाजिक परिवर्तन करना भी था। लेकिन राज्य सरकारों द्वारा जमीन पर कुछ कर दिखाने की बजाय केवल आंकड़ेबाजी करने से यह अभियान सौ दिन में अढाई कोश चलने वाली कहावत को ही चरितार्थ कर रहा है।

खुले में शौच मुक्त योजना के ऐलान के बाद स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वित्तीय छूट उपलब्ध नहीं है, यहां तक कि योग्य परिवारों के लिए भी नहीं और इसीलिए दूसरी योजनाओं के जरिए फंड लाने की जरूरत होती है। इसलिए राज्य सरकारें इस योजना में पहले तो बढ़-चढ़ कर आंकड़े पेश कर देती हैं,  लेकिन जब आगे काम करने के लिए फंड की जरूरत होती है, तो केंद्र सरकार के आगे असलियत बयां कर देती हैं। इस अभियान के तहत कई राज्यों ने स्वयं को 2017 में ही ओडीएफ घोषित कर दिया था। लेकिन अगर आप आज की तारीख में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के डैशबोर्ड पर नजर डालें तो 2017 से की जा रही आंकड़ेबाजी की पोल स्वयं ही खुल जाती है। इस अभियान में खुले में शौच शत-प्रतिशत मुक्ति तो दूर, अभी तक केवल 50 प्रतिशत ही उपलब्धि हासिल हुई हैं जिसकी पुष्टि हाल में पीआईबी के माध्यम से जारी विज्ञप्ति से भी हो जाती है। जिन गांवों को खुले में शौच-मुक्त घोषित किया भी गया है, उनमें से कई गांवों में शौचालयों में पानी की पूरी व्यवस्था तक नहीं है। जिन लोगों को दूर से पानी ढोकर लाना पड़ता है, उनके लिए अपने शौचालय की फ्लशिंग के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पाता।

प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर, 2014 को संपूर्ण स्वच्छता के लिए स्वच्छ भारत मिशन की शुरु आत की थी। मिशन के तहत, सभी गांवों, ग्राम पंचायतों, जिलों, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को गांधी जी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर, 2019 तक देश में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण कर ‘खुले में शौच मुक्त’ घोषित करने का लक्ष्य रखा गया था। इस साल स्वच्छ भारत मिशन के नौ साल पूरे हो गए हैं, और अभी तक केवल खुले में शौच-मुक्त गांवों के मामले में 50 प्रतिशत की ही उपलब्धि हासिल हो सकी है।

इस मिशन के तहत 2017 में स्वयं को खुले में शौच-मुक्त घोषित करने वाला उत्तराखंड चौथा राज्य बना था। उत्तराखंड से पहले केरल, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश स्वयं को आडीएफ घोषित कर चुके थे। उत्तराखंड ने स्वयं को 22 जून, 2017 को शत-प्रतिशत खुले में शौच-मुक्त घोषित कर दिया था। खुले में शौच-मुक्ति का एक लक्ष्य मार्च, 2017 भी था और राज्य सरकारों से प्राप्त रिपोटरे के आधार पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन ने राज्यों की प्रगति की जो सूची जारी की थी उसमें गुजरात, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश को शत-प्रतिशत और केरल को 99 प्रतिशत खुले में शौच-मुक्त घोषित किया गया था। इनके अलावा, उस अवधि तक उत्तराखंड को 71 प्रतिशत, हरियाणा-67, मणिपुर-60, मिजोरम-58, महाराष्ट्र-55, अरुणाचल प्रदेश-52, छत्तीसगढ़-49, मेघालय-45, मध्य प्रदेश-39, आध्र प्रदेश-35, तेलंगाना-33 और तमिलनाडु को 32 प्रतिशत खुले में शौच-मुक्त घोषित किया गया था। लेकिन अगर आप जल शक्ति मंत्रालय के स्वच्छता मिशन के आज की तारीख के डैशबोर्ड पर नजर दौड़ाएं तो सरकारी दावों की पोल खुद ही खुल जाती है। स्वच्छता मिशन के 13 मई, 2023 के डैशबोर्ड के अनुसार जिस उत्तराखंड ने स्वयं को 22 जून, 2017 को संपूर्ण ओडीएफ घोषित किया था, उसकी प्रगति 25 से लेकर 50 प्रतिशत के बीच दिखाई गई है। अपनी कमजोरियों और गलतियों को छिपाने के लिए फर्जी आंकड़ों से वाहवाही लुटवाने वाला उत्तराखंड अकेला राज्य नहीं है। डैशबोर्ड के अनुसार आज की तारीख में शत-प्रतिशत ओडीएफ कोई राज्य नहीं है।

जिन राज्यों की 75 प्रतिशत से अधिक उपलब्धि दिखाई गई है, उनमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, तेलंगाना और तमिलनाडू शामिल हैं जबकि 50 से लेकर 75 प्रतिशत उपलब्धि में केवल गुजरात और सिक्किम को शामिल किया गया है। इसी तरह उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मेघालय और मिजोरम को 25 से लेकर 50 प्रतिशत तक की उपलब्धि में रखा गया है। शून्य से लेकर 10 प्रतिशत तक की सबसे कम उपलब्धि वाले राज्यों में अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर को रखा गया है। भारत की राजधानी का प्रदेश दिल्ली भी सबसे फिसड्डी राज्यों में शामिल किया गया है, जिसकी प्रगति 10 से लेकर 25 प्रतिशत तक आंकी गई है। ऐसे ही राज्यों में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और झारखंड को भी रखा गया है।

दूसरी तरफ, 10 मई, 2023 को जारी जल शक्ति मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया है कि खुले में शौच-मुक्त गांवों के प्रतिशत की दृष्टि से श्रेष्ठ प्रदशर्न करने वाले राज्य हैं-तेलंगाना (शत-प्रतिशत), कर्नाटक (99.5 प्रतिशत), तमिलनाडु (97.8), उत्तर प्रदेश (95.2) और गोवा (95.3) और छोटे राज्यों में सिक्किम (69.2 प्रतिशत) हैं। केंद्रशासित प्रदेशों में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, दादरा नगर हवेली और दमन दीव एवं लक्षद्वीप में शत- प्रतिशत खुले में शौच-मुक्त आदर्श गांव हैं। जिस मंत्रालय की विज्ञप्ति हैं, उसी का डैशबोर्ड भी है। आखिर, विश्वास करें तो किस पर?

2014-15 और 2021-22 के बीच केंद्र  सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के लिए  कुल 83,938 करोड़ रु पये आवंटित किए हैं।  इस मद में चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में 52,137 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इतना धन खर्च होने पर भी अभी तक कुल मिला कर 50 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने को सरकार बड़ी उपलब्धि मान रही है। नवीनतम सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार खुले में शौच-मुक्त 2,96,928 गांवों में से 2,08,613 गांव ठोस अपशिष्ट प्रबंधन या तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था के साथ खुले में शौच-मुक्त आकांक्षी गांव हैं। इन मामलों में भी केवल शौचालय गिने गए हैं, और उनके इस्तेमाल का सरकार के पास आंकड़ा नहीं है।

जयसिंह रावत


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