उत्तर प्रदेश : निवेशकों की पहली पसंद
उत्तर प्रदेश सरकार सितंबर-अक्टूबर के महीने में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी की तैयारी कर रही है। इस ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में मिले प्रस्तावों को जमीन पर उतारने की कोशिश होगी।
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आपको बता दें कि इस ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (Ground braking cermoney) में 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के समझौता प्रस्तावों को अमली जामा पहनाने की तैयारी की जा रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक अलग-अलग विभागों द्वारा 8 लाख करोड़ रुपये के 50,000 प्रस्तावों को चिह्नित कर लिया गया है। इस महत्त्वपूर्ण कार्य को तेजी से प्रोफेशनल तरीके से आगे बढ़ाने के लिए सभी विभागों में इन्वेस्टमेंट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट (Investment Implementation Unit) का गठन किया गया है। इसके साथ ही जनपद स्तर पर उद्यमी मित्रों का चयन किया गया है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में जो एमओयू हस्ताक्षरित हुए थे उनको सुचारू रूप से आगे बढ़ाकर निवेश को धरातल पर उतारने में ये टीम अपना महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगी। यहां ये समझना आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेशकों की रुचि का आखिर कारण क्या है। क्यों देश-विदेश का हर बड़ा औद्योगिक घराना आज यूपी में निवेश करने में दिलचस्पी ले रहा है।
इसके लिए हमलोगों को थोड़ा पीछे नजर डालनी होगी। अगर आप गौर करें तो पाएंगे कि उत्तर प्रदेश में पिछले 6 सालों में काफी कुछ बदला है। साल 2017 में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार के सत्ता में आने के बाद ढेर सारे बदलाव देखने को मिले हैं। साल 2017 से पहले यूपी एक बीमारू राज्य के रूप में पहचाना जाता था। यूपी की पहचान एक ऐसे राज्य के रूप में थी जहां की कानून व्यवस्था लचर थी और दूसरे प्रदेशों के लोग यहां आने से डरते थे खासकर अगर वो निवेशक हों। उनको ये डर सताता था कि उनका निवेश सुरक्षित नहीं है, लेकिन योगी आदित्यनाथ के सत्तासीन होने के बाद परिस्थितियां काफी तेजी से बदलीं। सबसे पहले सरकार ने कानून व्यवस्था को सही करने की दिशा में मेहनत की और इसी का नतीजा रहा कि आज उत्तर प्रदेश की सुदृढ़ कानून व्यवस्था की मिसाल अब पूरे देश में दी जाने लगी है।
अपवादों को छोड़ दिया जाए तो 25 करोड़ की बड़ी आबादी वाले इस प्रदेश में पूरी तरह से कानून का राज स्थापित हो चुका है। ये योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व का ही करिश्मा है कि लगभग हर क्षेत्र में यूपी विकास की एक नई इबारत लिख रहा है। सुदृढ कानून व्यवस्था, बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश फ्रेंडली नीतियों की वजह से यहां निवेश का एक बेहतरीन माहौल बना है। आज उत्तर प्रदेश में विभिन्न प्रकार के नए-नए उद्योग स्थापित हो रहे हैं। सरकार एमएसएमई ईकाईयों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन मुहैया करा रही है। प्रदेश में लगने वाली मेगा परियोजनाओं के लिए 15 दिन में भूमि आवंटन का कार्य संपन्न किया जा रहा है, जहां तक स्टाम्प शुल्क में छूट की बात है तो पूर्वाचल और बुंदेलखंड में 100 प्रतिशत, पश्चिमांचल और मध्यांचल में 75 प्रतिशत, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में 50 प्रतिशत की और महिला उद्यमियों को जमीन खरीदने पर कोई स्टाम्प शुल्क देय नहीं है।
टेक्सटाइल और गारमेंट नीति 2022 के तहत 1000 से ज्यादा व्यक्तियों को रोजगार देने पर प्रति व्यक्ति 3200 रु पये मासिक की प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था है। इसके अलावा 10 करोड़ रु पये से कम निवेश पर 50 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने पर प्लांट एवं मशीनरी की लागत पर 35 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीसीडा) द्वारा 40000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास की तैयारी की गई है। यूपी में वेयर हाउस और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में 40 से अधिक कंपनियां अपने प्रोजेक्टस शुरू करने जा रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर निवेश के धरातल पर उतरने से रोजगार सृजन के अलावा प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी तेजी से कार्य होगा। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी उत्तर प्रदेश में तेजी से हो रहे विकास कायरे को सराहा है उनका मानना है कि यूपी को अब गुड गवन्रेस की वजह से पहचाना जाता है।
डबल इंजन की सरकार (government of double engine) ने पिछले सालों में इन्फ्रास्ट्रक्चर का बेहतरीन नेटवर्क तैयार किया है। आज उत्तर प्रदेश की पहचान ‘एक्सप्रेस प्रदेश’ के रूप में स्थापित हो चुकी है। उत्तर प्रदेश पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों वाला देश का एक मात्र राज्य बन गया है। क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के 9 एयरपोर्ट संचालित हैं और 12 एयरपोर्ट की निर्माण प्रक्रिया चल रही है। एक्सप्रेसवे के किनारों पर इंडस्ट्रीयल क्लस्टर्स बनाने की प्रक्रिया भी गतिशील है। वहीं अगर आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर की बात करें तो भारत के कुल मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग का 45 प्रतिशत हिस्सा अब यूपी में निर्माण हो रहा है। लखनऊ, कानपुर और आगरा में मेट्रो परियोजनाओं की शुरुआत हो चुकी है और गोरखपुर में मेट्रो के लिए डीपीआर तैयार है, प्रयागराज, मेरठ, बरेली जैसे शहरों में मेट्रो रेल के लिए सर्वे का कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक सशक्त ब्यूरोक्रॅट्स की टीम लगातार इन विकास संबंधी परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तत्पर है, जिसका नतीजा है कि आज प्रदेश निवेशकों की पहली पसंद के रूप में उभरा है।
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