Uttar Pradesh : निशाने पर अवैध मदरसे

Last Updated 24 May 2023 01:40:16 PM IST

मदरसा (madrassa) या स्कूल शिक्षा के केंद्र होते हैं। वहां वैसी शिक्षा प्रदान की जाती है, जो हमें जीवन जीने का सलीका सिखाती है, मानवता का पाठ पढ़ाती है। लेकिन कई मदरसे हैं, जिन पर धर्म के नाम पर आतंक का पाठ पढ़ाए जाने का आरोप है।


उत्तरप्रदेश में निशाने पर अवैध मदरसे

यह मिथ्या नहीं, बल्कि सच्चाई है। वहां जिहाद की तालीम दी जाती है। हालांकि देश के कई राज्यों में ऐसे मामलों में कार्रवाई हो चुकी है, और कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं। इसके बावजूद यह सिलसिला थम नहीं रहा। इस संदर्भ में संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार ने करीब 4000 ऐसे मदरसों को चिन्हित किया है, जो अपने कार्यकलाप से संदेह के घेरे में हैं। उन पर कार्रवाई की तैयारी है।
कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में ऐसे 4000 मदरसे चल रहे हैं, जिन्हें विदेशों से फंडिंग मिल रही है। इनमें कई गैर-मान्यताप्राप्त हैं, और कुछ संदेहास्पद गतिविधियों के आरोप में चिन्हित किए गए हैं। उन पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

यूपी सरकार (UP Government) की मदरसों पर शिंकजा कसने की तैयारी को लेकर आलोचनाएं भी हो रही हैं परंतु यह सच है कि इनमें शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों को उचित तालीम भी नहीं मिल पा रही है। मदरसा बोर्ड की परीक्षा के बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर कार्रवाई करने वाली है। इससे पहले असम सरकार ने धर्म के नाम पर बरगलाने वाले मदरसे चिन्हित किए और उन पर कार्रवाई की। करीब 700 मदरसों पर बुलडोजर चलवा दिया और कहा कि असम सरकार चाहती है कि मदरसों में अल्पसंख्यक बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा का प्रबंध हो और और मदरसों में सुधार हों। यूपी सरकार ने पिछले साल राज्य में गैर-मान्यताप्राप्त मदरसों का सर्वे कराया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में इस बाबत मैराथन बैठक हुई थी। बैठक में महत्त्वपूर्ण बिंदु यह भी था कि आखिर, मदरसों की आय के स्रेत क्या हैं? उस सर्वे में 8441 मदरसे ऐसे मिले थे जो अवैध रूप से चल रहे थे। विशेषकर उत्तर प्रदेश-नेपाल के सीमावर्ती जिलों में तो ऐसे मदरसों का जाल मिला था।

आंकड़े की बात करें तो सिद्धार्थनगर में 500 से ज्यादा, बलरामपुर में 400 से ज्यादा, लखीमपुर खीरी में 200, महाराजगंज में 60, बहराइच और श्रावस्ती में 400 से ज्यादा मदरसे गैर-मान्यताप्राप्त मिले थे। हालांकि ज्यादातर मदरसा संचालकों ने दलील दी कि उनके मदरसे चंदे और जकात से चल रहे हैं, लेकिन यह बात सच निकल कर सामने आई कि यहां 4000 से अधिक मदरसों में विदेशी फंडिंग हो रही है। मदरसा संचालकों की मानें तो मुंबई, चेन्नई कोलकाता, दिल्ली, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों से उन्हें फंड मिलता है। विदेशी चंदे के रूप में उन्हें सऊदी अरब एवं अन्य देशों से भी पैसा आता है। खासकर, दुबई के लोग काफी पैसा भेजते हैं। नेपाल और बांग्लादेश से भी पैसा आने की बात सामने आई है। इसे चंदा बताया जाता है।

मगर इस चंदे की रकम इतनी छोटी भी नहीं होती है। इस वजह से ये राज्य सरकार के रडार पर आ गए हैं। सरकार की दलील है कि इन पैसों का उपयोग गलत शिक्षा देने में किया जाता है। समाज को तोड़ने वाली बातें बच्चों को सिखाई जाती हैं। सरकार चाहती है कि अल्पसंख्यक बच्चे भी बेहतर शिक्षा ग्रहण करें। आधुनिक शिक्षा लेकर कंप्यूटर समेत नई तकनीक के बारे में जानकारी हासिल करें। मगर गरीबी का फायदा उठाकर ऐसे बच्चों को गलत पाठ पढ़ाया जाता है और बाद में संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त करा दिया जाता है। धारणा गलत है कि गरीब परिवार ही अपने बच्चों को शिक्षा के लिए मदरसा भेजते हैं। जामिया इस्लामिया सनाबिल, दिल्ली और जामिया सलाफिया, बनारस की कक्षाओं में संपन्न परिवारों के बच्चों को देखा जा सकता है। निश्चित रूप से जब कभी मदरसे की शुरु आत की गई होगी तो उस समय इसे धार्मिंक शिक्षा का केंद्र ही बनाया गया होगा परंतु अब कई मदरसे संदेहास्पद और दागदार हो चुके हैं।
ज्ञात हो कि 2001 में अमेरिका में 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद मदरसे पहली बार जांच के दायरे में आए। इस्लामी नेतृत्व वाले मदरसों में कई तालिबान नेताओं और अल कायदा के सदस्यों को कट्टरपंथी बना दिया गया था। इन लोगों को आत्मघाती और चरमपंथी बनाने का आरोप लगा था। भारत में 2018-19 में करीब 25000 मदरसे थे जिनमें से करीब 5000 गैर-मान्यताप्राप्त थे। कहा जा रहा है कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द अकेले उत्तर भारत में 20,000 से अधिक मदरसे चलाती है, जबकि अन्य मदरसे निजी धार्मिंक संप्रदाय द्वारा चलाए जाते हैं। भारत में मदरसा पण्राली को नियमित बनाए जाने की जरूरत है। शिक्षा ऐसी हो जिसमें देश और समाज के प्रति अनुराग हो। रोजी-रोजगार का पाठ मिले यानी देश की प्रगति और आर्थिक विकास से ताल्लुक रखने वाले पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाना चाहिए। विज्ञान और धर्मनिरपेक्ष विषयों को तवज्जो दी जानी चाहिए। इसी तरह मदरसा को लेकर सहयोग और सुधार की गुंजाइश बन सकती है। वैसे यूपी सरकार द्वारा विदेशी फंडिंग वाले मदरसों पर शिंकजा कसने वाली कार्रवाई से अन्य राज्यों को भी सीख लेने की जरूरत है। योगी सरकार का यह कदम सराहनीय है। 

सुशील देव


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