स्वर्णिम इबारत दर्ज कराती आधी आबादी

Last Updated 30 Apr 2023 01:21:27 PM IST

हाल के दिनों में विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। महिलाएं अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर भौतिक, रसायन और मिसाइल निर्माण के क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में खड़ी दिखाई दे रही हैं।


इसरो की डिप्टी डायरेक्टर नंदिनी हरिनाथ (फाइल फोटो)

वैज्ञानिक के रूप में उनकी सशक्त भूमिका ने देश-दुनिया का ध्यान अपनी ओर सहज आकृष्ट किया है। इसकी ताजा बानगी है भारतीय अंतरिक्ष अनुंधान संस्थान (ISRO) जहां महिलाएं न केवल सफल अंतरिक्ष मिशन की हिस्सा बन रही हैं, बल्कि बहुआयामी नेतृत्वकर्ता की भूमिका में भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। इसरो के महत्त्वपूर्ण मिशनों में उन्होंने अपनी भूमिका निभाई है।

साठ से 90 के दौर में अधिकांशत: वे प्रयोगशाला की दीवारों तक ही सिमटी रहीं, लेकिन मौजूदा दौर में उनके अभूतपूर्व योगदान और उपलब्धियों ने उन्हें मुख्यधारा के वैज्ञानिकों की पांत में ला खड़ा किया है। अकेले इसरों में 16 हजार से ज्यादा महिलाएं वैज्ञानिक (ISRO has more than 16 thousand women scientists) की अपनी छोटी-बड़ी भूमिका में कुशलतापूर्वक काम कर रही हैं। दूसरी ओर, हजारों महिला वैज्ञानिक पुरुषों के साथ कदमताल करते हुए शोध,अनुसंधान एवं निर्माण में लगातार अपना योगदान दे रही हैं।

हालांकि इस क्षेत्र में सक्रिय महिलाओं की लंबी फेहिरस्त है, लेकिन कुछेक नाम ऐसे हैं, जिनके अवदान को भूला नहीं जा सकता। इनमें टेसी थॉमस (Tessy Thomas0 का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है जिन्होंने अग्नि 4 और अग्नि 5 (मिसाइल) मिशन (Agni 4 and Agni 5 (Missile) Mission) में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया। इसरो की डिप्टी डायरेक्टर नंदिनी हरिनाथ (ISRO Deputy Director Nandini Harinath) 20 सालों से निरंतर कार्य करते हुए मंगलयान मिशन योजना में योगदान दे चुकी हैं। एन. वलारमथी (N. valaramathi) ने देश की पहली देशज राडार इमेजिन उपग्रह रिसेट वन (Indigenous Radar Imagine Satellite Reset One0 की लॉन्चिंग का प्रतिनिधित्व किया है। टीके अनुराधा के बाद वे इसरो की पहली ऐसी महिला हैं जो रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट में प्रयुक्त मिशन की प्रमुख भूमिका में हैं।

मीनल संपथ (Minal Sampath) का काम कैसे भूला जा सकता जिन्होंने इसरो की सिस्टम इंजीनियर के तौर 500 वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व किया है। भारत की पहली महिला भौतिकविद् आनंदीबाई गोपालराव (Anandibai Gopalrao) और वैज्ञानिक जानकी अम्मल (Janaki Ammal) के योगदान को क्या देश कभी भूल पाएगा। इंदिरा हिंदूजा और डॉ. अदिति पंत (Indira Hinduja and Dr. Aditi Pant) भी सफल महिला वैज्ञानिक के तौर पर जानी जाती रही हैं। चांद की धरती को मापने से लेकर अग्नि, पृथ्वी और ब्रह्मोस के निर्माण में इन महिला विभूतियों ने कामयाबी का परचम लहराया है और स्पेस सेंटर से परीक्षण प्रयोगशाला तक हिम्मत का लोहा मनवाया है।

सामाजिक अध्ययन बताते हैं कि महिला वैज्ञानिक पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा सक्रिय, तर्कशील और उचित निर्णय लेने में सक्षम होती हैं। नेतृत्व की अदभूत क्षमता उन्हें भीड़ से अलग बनाती है। इन महिला वैज्ञानिकों का मनोबल ऊंचा बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें तमाम आर्थिक मदद मुहैया कराई जाएं। साथ ही, समय-समय पर उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाए ताकि भविष्य में उनके लिए संभावनाओं के नये द्वार खुलें और महिला वैज्ञानिकों की एक नई खेप तैयार हो सके। अब समय आ गया है कि उनकी उपलब्धियों और योगदान को गंभीरतापूर्वक स्वीकारा और सराहा जाए। तभी राष्ट्र का सर्वागीण विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा। आखिर, चांद की चांदनी भी तो इन्हीं वीरांगनाओं से रोशन है।

डॉ. दर्शनी प्रिय


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