इंटरपोल : कल्पना को वास्तविकता से मात

Last Updated 17 Oct 2022 01:32:06 PM IST

आज हम जिन खतरों का सामना कर रहे हैं, वे तेज, गतिशील, अपने-आप में सशक्त और परस्पर जुड़े हुए हैं।


इंटरपोल : कल्पना को वास्तविकता से मात

इन वैश्विक खतरों से निपटने के लिए इंटरपोल की गतिविधियां मुख्य रूप से तीन कार्यक्रमों पर आधारित हैं-आतंकवाद, साइबर अपराध और संगठित एवं उभरते अपराध, जो हमारे सदस्यों की कानून-व्यवस्था को बनाए रखने से जुड़ी चिंताओं को भी दशर्ती हैं। हमारे वैश्विक सदस्य 18 से 21 अक्टूबर तक नई दिल्ली में हमारी 90वीं महासभा, जो संगठन की सर्वोच्च शासी निकाय है, के लिए एकत्रित होंगे। इंटरपोल की स्थापना क्षेत्रीय और वैश्विक पुलिस समन्वय की अत्यधिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए 1923 में की गई थी।

एक बटन के क्लिक के साथ दुनिया में कहीं भी पुलिस तुरंत इंटरपोल के 19 वैश्विक डेटाबेस के आधार पर जांच कर सकती है, जिनमें डीएनए प्रोफाइल और चेहरे की पहचान के लिए फोटो सहित 126 मिलियन रिकॉर्ड हैं। हमारे डेटाबेस का हर दिन 20 मिलियन से अधिक बार खोज के लिए उपयोग किया जाता है-जो प्रति सेकंड लगभग 250 उपयोग के बराबर है। कोई भी डेटाबेस किसी संवाद को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता। यही कारण है कि हमारी महासभा का आयोजन इंटरपोल के मिशन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है-एक सुरक्षित विश्व के लिए पुलिस को परस्पर जोड़ना।

इंटरपोल के माध्यम से वैश्विक सहयोग राष्ट्रीय स्तर पर वास्तविक परिणाम कैसे लाता है, इसका एक उदाहरण है हाल में मादक पदाथरे की तस्करी को लक्षित ऑपरेशन लायनफिश में भारत की भागीदारी। भारतीय अधिकारियों ने ऑपरेशन के दौरान हेरोइन की सबसे बड़ी खेप को पकड़ा, जिसमें मुंद्रा बंदरगाह में 75.3 किलोग्राम नशीली दवा को जब्त किया गया था। इसके बाद ऑपरेशन गरुड़ सफल हुआ, जहां केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इंटरपोल और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ निकट समन्वय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले ड्रग कार्टेल को लक्षित करते हुए कार्रवाई की। परिणामस्वरूप देश भर में 175 गिरफ्तारियां हुई और 127 मामले दर्ज किए गए। इंटरपोल के माध्यम से सहयोग के महत्त्व का एक अन्य उदाहरण हमारा अंतरराष्ट्रीय बाल यौन शोषण (आईसीएसई) डेटाबेस है। आईसीएसई डेटाबेस में बाल यौन शोषण से जुड़ी चार मिलियन से अधिक तस्वीरें, वीडियो और हैश मौजूद हैं, जो प्रति दिन औसतन सात बाल शोषण पीड़ितों की पहचान करने में मदद करते हैं। आज तक डेटाबेस ने दुनिया भर में 30,000 से अधिक पीड़ितों की पहचान करने में सहायता की है।

इस वर्ष की शुरु आत में भारत इस विशेष डेटाबेस से जुड़ने वाला 68वां देश बन गया और वह समाज के सबसे कमजोर सदस्यों की सुरक्षा के लिए समर्पित इस वैश्विक  नेटवर्क का हिस्सा बनने के महत्त्वपूर्ण परिणाम पहले ही देख चुका है। निश्चित रूप से लगभग 100 साल पहले इंटरपोल के निर्माण के पीछे का एक मौलिक कारण आज भी हमारे काम में सबसे महत्वपूर्ण है-भगोड़ों को न्यायालय के समक्ष पेश करने में दुनिया के देशों की मदद करना, चाहे वे कहीं भी छिपने का प्रयास करें और चाहे वे कितनी भी दूर तक भागने की कोशिश करें।
हर साल इंटरपोल रेड नोटिस, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वॉन्टेड भगोड़ों के बारे में दुनिया भर में पुलिस को सचेत करते हैं, जिनसे विभिन्न देशों को हजारों हत्यारों, दुष्कर्म के अपराधियों, आतंकवादियों, धोखेबाजों और अन्य अपराधियों की पहचान करने तथा उन्हें गिरफ्तार करने में मदद मिलती है।

हालांकि भू-राजनीतिक स्तर पर मतभेद हो सकते हैं परंतु कानून प्रवर्तन के लिए कानून के शासन को बनाए रखने पर ध्यान दिया जाना चाहिए और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि जांच हमें कहां ले जा रही है, या पुलिस के लिए महत्त्वपूर्ण जानकारी कहां से आ रही है। वास्तव में, आज मजबूत अंतरक्षेत्रीय पुलिस व्यवस्था एक वास्तविकता है, और हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सीमा पार सूचनाओं का ऐसा आदान-प्रदान देख रहे हैं,  जैसा वैश्विक इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया था। भारत जैसे सदस्य देशों में कानून प्रवर्तन की प्रतिबद्धता और पेशेवर दृष्टिकोण इंटरपोल को वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन में भारत के योगदान को स्वीकारते हुए पिछले साल महासभा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो के विशेष निदेशक प्रवीण सिन्हा को एशिया के लिए कार्यकारी समिति का प्रतिनिधि चुना।

भारत के समृद्ध इतिहास और भविष्य के दृष्टिकोण की पृष्ठभूमि में दुनिया भर के प्रतिनिधि आज के सबसे महत्त्वपूर्ण आपराधिक मुद्दों के समाधान के लिए इकट्ठा होंगे और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों को जारी रखने के तरीकों पर विचार-विमर्श करेंगे। पूरे वर्ष के दौरान संगठन का महत्त्वपूर्ण आयोजन है महासभा की बैठक और मैं इस आयोजन के लिए नई दिल्ली से अधिक उपयुक्त जगह के बारे में कल्पना नहीं कर सकता।
(लेखक इंटरपोल के महासचिव हैं)

जुर्गन स्टॉक


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