महंगाई ने फिर तरेरी आंख

Last Updated 15 Oct 2022 01:35:12 PM IST

अक्टूबर 12 को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2022 में खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 7.41 फीसदी पर पहुंच गई जो अगस्त में 7 फीसदी थी।


महंगाई ने फिर तरेरी आंख

खुदरा मुद्रास्फीति में इजाफा मुख्य रूप से खाने पीने की चीजों के दाम बढ़ने की वजह से हुआ है। सितंबर में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति दर 8.6 फीसदी रही। तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के निर्णय से 12 अक्टूबर को यह 99 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हो गई। इससे भी महंगाई बढ़ी है।

महंगाई बढ़ने का एक प्रमुख कारण डॉलर के मुकाबले रु पए का कमजोर होना भी है। 12 अक्टूबर को एक डॉलर की कीमत 82.30 रु पए के निचले स्तर पर पहुंच गई। रु पए की गिरावट से न केवल कच्चे तेल की महंगी कीमत चुकाना पड़ रही है, बल्कि कारोबारियों के लिए कच्चा माल भी महंगा हो गया है। लंबे समय से खाद्य तेलों में भी तेजी दिखाई दे रही है। ऐसे में त्योहार के इन दिनों में महंगाई आम आदमी के लिए चिंता का कारण बन गई है। हाल ही में 3 अक्टूबर को मौद्रिक स्थिति पर प्रकाशित भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि यद्यपि देश में महंगाई में कुछ कमी आई है, लेकिन अभी भी महंगाई दर सहनक्षमता के स्तर के ऊपर है।

आरबीआई की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में इसके 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। साथ ही अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ जाएगी और इसका स्तर 5.2 फीसदी तक रहने की उम्मीद है। गौरतलब है कि इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अवरोधों और आपके देशों के द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी की जाने की वजह से पूरी दुनिया के लगभग सभी देशों में महंगाई की दर दो-तीन दशकों की रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचकर हाहाकार मचाते हुए दिखाई दे रही हैं, भारत में महंगाई नियंत्रण के लिए रिजर्व बैंक नरम मौद्रिक नीति से पीछे हटकर नीतिगत दरों में वृद्धि की रणनीति पर आगे बढ़ा है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि रिजर्व बैंक की नीति व सरकारी प्रयासों से महंगाई पर कुछ नियंत्रण हुआ है।

स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि त्योहारी सीजन के बावजूद खाद्य वस्तुओं की महंगाई काबू में है। जबकि खुले बाजार में सरकारी गोदामों से 80 लाख टन से अधिक खाद्यान्न की बिक्री (ओएमएसएस) से गेहूं व चावल के मूल्य में गिरावट का रु ख है। आमतौर पर सितम्बर में आलू व प्याज की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच जाती थीं, जबकि इस बार सरकारी तैयारियों के तहत बफर स्टॉक बनाए जाने से बाजार में इन के जिंसों की पर्याप्त उपलब्धता है। यदि हम महंगाई की वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत में महंगाई के नियंत्रित होने के परिदृश्य को देखें तो इसके लिए चार प्रमुख रणनीतिक कदम उभरकर दिखाई दे रहे हैं।

एक, सरकार के द्वारा रूस से कच्चे तेल का सस्ता आयात, दो, रिजर्व बैंक के महंगाई नियंत्रण के रणनीतिक उपाय। तीन, पर्याप्त खाद्यान्न भंडार एवं कमजोर वर्ग के लोगों तक खाद्यान्न की निशुल्क आपूर्ति। चार, पेट्रोल में एथनॉल का अधिक उपयोग। निसंदेह रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देशों में विशेषकर अमेरिका व यूरोपियन यूनियन के दबाव के बावजूद भारत ने किसी पक्ष का समर्थन नहीं किया और भारत ने जिस तरह तटस्थ रूख अपनाया, उसका एक बड़ा फायदा भारत को रूस से सस्ते कच्चे तेल के रूप में मिलते हुए दिखाई दे रहा है। केंद्र सरकार वर्तमान परिस्थितियों में देश को महंगाई से बचाने के लिए कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं की खरीदी संबंधी बेहतरीन सौदा करने की नीति पर आगे बढ़ी है। जहां महंगाई को घटाने के लिए कई वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाने की रणनीति के साथ-साथ वैश्विक जिंस बाजार में भी कीमतों में आई कुछ नरमी अहम हैं, वहीं महंगाई को घटाने में देश में अच्छी कृषि पैदावार पर्याप्त खाद्यान्न भंडार, गेहूं तथा चावल के निर्यात पर उपयुक्त नियंत्रण की नीति और आम आदमी तक खाद्यान्न की निशुल्क आपूर्ति भी प्रभावी रही हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के मुताबिक फसल वर्ष 2021-22 के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन करीब 31.57 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर रहा है। साथ ही 1 जुलाई 2022 को देश के केंद्रीय पूल में 8.33 करोड़ टन खाद्यान्न (गेहूं एवं चावल) का बफर और आवश्यक भंडार संचित पाया गया है। 28 सितम्बर को देश के 80 करोड़ गरीबों के लिए मुफ्त राशन की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेएवाय) को तीन महीने और बढ़ाते हुए इसे दिसम्बर 2022 तक विस्तारित किए जाने के निर्णय से त्योहार के इस सीजन में देश के करोड़ों लोग महंगाई से बहुत कुछ राहत प्राप्त किए हुए हैं, लेकिन अभी आम आदमी को महंगाई से राहत देने के लिए महंगाई को छह फीसद के स्तर पर लाने के लिए कई और कारगर प्रयासों की जरूरत है।

अब देश में अब कच्चे तेल के अधिक उत्पादन व कच्चे तेल के विकल्पों पर ध्यान देना होगा। इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के साथ-साथ अन्य हाई ब्रिड वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जाना होगा। सरकार  द्वारा ई कारों की तरह हाइब्रिड कारों पर भी जीएसटी घटाया जाना लाभप्रद होगा।

सरकार के द्वारा पेट्रोल व डीजल से चलने वाली कारों को हतोत्साहित करते हुए ग्रीन ईधन वाले वाहनों को प्रोत्साहित करना होगा। अभी रूस से कच्चे तेल के आयात में और वृद्धि की जाना लाभप्रद होगी। रूस से कच्चे तेल के आयात में और वृद्धि की जाना लाभप्रद होगी। अभी रेपो रेट में कुछ और वृद्धि करके अर्थव्यवस्था में नकद प्रवाह को कम किया जाना उपयुक्त होगा। देश में महंगाई को रोकने के लिए अनावश्यक आयात को नियंत्रित करना होगा। यह भी जरूरी है कि वर्ष 2023-24 के आगामी केंद्रीय बजट को वृद्धि की गति बरकरार रखने और महंगाई को ध्यान में रखते हुए बहुत सावधानी से तैयार किया जाए।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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