टीम इंडिया : पंत और पांडय़ा हैं नये हीरो
भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ उसके घर में टी-20 सीरीज के बाद वनडे सीरीज भी जीत ली। इस सीरीज में भारतीय टीम के हीरो के रूप में ऋषभ पंत और हार्दिक पांडय़ा उभरकर आए हैं।
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इससे टीम इंडिया को फायदा यह हुआ है कि अब उसकी कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली पर निर्भरता कम हो गई है। हालांकि इस सीरीज में विराट और रोहित दोनों ही रंगत में नजर नहीं आए, लेकिन इन दोनों के रंगत में आ जाने पर यह दोनों अब बिना किसी दवाब के अपना स्वाभाविक प्रदर्शन कर सकेंगे, क्योंकि उन्हें मालूम होगा कि उनके नहीं चलने पर टीम को संभालने वाले पंत और हार्दिक पांडय़ा मौजूद हैं। इसका आगे टी-20 विश्व कप और भविष्य के मैचों में टीम इंडिया को फायदा मिलने वाला है।
मैनचेस्टर पर खेले गए निर्णायक मैच में इंग्लैंड के 260 रन का लक्ष्य रखने के जवाब में भारत ने 38 रनों तक स्कोर पहुंचते कप्तान रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली के विकेट खो दिए। यही नहीं 72 रन तक स्कोर पहुंचते सूर्यकुमार यादव भी पेवेलियन लौट चुके थे। इस मुश्किल स्थिति में जिस तरह से पंत और हार्दिक ने मोर्चा संभाला, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है। पंत को आमतौर पर आक्रामक शॉट खेलने वाला माना जाता है, जिसकी वजह से वह कई बार महत्त्वपूर्ण मौकों पर अपना विकेट गंवाते रहे हैं, लेकिन इस मैच में पंत एक अलग ही अंदाज में दिखे।
वह जब हार्दिक के साथ मिलकर टीम को मुश्किल से निकाल रहे थे, तब वह बहुत ही शांत भाव से अपनी पारी को आगे बढ़ा रहे थे। इस साझेदारी के दौरान प्रति गेंद से कम रन बना रहे थे और उन्होंने अपने को हार्दिक से पीछे रखा। पंत और हार्दिक ने धड़कनों पर काबू रखकर 133 रन की साझेदारी बनाकर टीम को हार के कगार से निकालकर जीत की तरफ बढ़ा दिया। जब यह लगने लगा कि यह जोड़ी ही टीम को जीत तक पहुंचा देगी, मगर तभी हार्दिक पांडय़ा 71 रन की पारी खेलकर आउट हो गए, लेकिन उनके आउट होने तक भारत जीत की तरफ बढ़ चुका था। इसके बाद पंत ने धमाकेदार पारी से पहले शतक बनाया और फिर टीम को बिना कोई गलती किए जीत दिला दी। इसमें उन्होंने 16 चौकों और दो छक्कों से नाबाद 125 रन बनाए। उन्होंने आखिरी समय में विली पर लगातार पांच चौके जमाकर यह दिखाया कि उनका आक्रामक अंदाज बरकरार है। हमें याद है कि इसी मैदान पर तीन साल पहले विश्व कप के सेमीफाइनल में पंत सेंटनर की गेंद पर स्लॉग स्वीप लगाकर आउट हो गए थे और भारत न्यूजीलैंड से हार गया था, लेकिन तीन साल बाद वह एक परिपक्व खिलाड़ी के तौर पर दिखे। पंत के खेलने जाने से पहले कोच राहुल द्रविड़ उनसे काफी देर बात करते नजर आए। लगता है कि वह अपने इस मैच विनर को समझाने में सफल हो गए। भारतीय वनडे टीम में एक समय उनके ऊपर के.एल. राहल को विकेटकीपर के तौर पर वरीयता दी जाने लगी थी। इसके अलावा टेस्ट क्रिकेट में ऋद्धिमान साहा का दवाब था, लेकिन अब लगता है कि पंत इन सभी से अपने को ऊपर रखने में सफल हो गए हैं। उन्होंने इस सीरीज के दौरान बेहतरीन विकेटकीपिंग के अलावा बल्ले की चमक से अपने को हीरो बना दिया है। वह सेना देशों के खिलाफ भारत के सबसे सफल विकेटकीपर बल्लेबाज हैं। भारतीय विकेटकीपर बल्लबेजों ने अब तक इन देशों के खिलाफ सात शतक लगाए हैं, जिसमें से पांच पंत के नाम हैं। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट में और एक वनडे में, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक-एक टेस्ट में शतक बनाया है। हार्दिक पांडय़ा के पीठ की सर्जरी के बाद लौटने पर काफी समय तक गेंदबाजी नहीं करने पर उनके कॅरियर को लेकर तमाम शंकाएं व्यक्त की जा रहीं थीं, लेकिन वह आईपीएल के पिछले सत्र में एक नये अवतार में दिखे और अब इस दौरे पर शानदार प्रदर्शन करके यह दिखा दिया कि वह अब भी मैच विनर हैं। उन्होंने इस सीरीज में बल्लेबाजी के साथ अपनी गेंदबाजी से भी प्रभावित किया। वह बुमराह (8) और युजवेंद्र चहल (7) के बाद सबसे ज्यादा छह विकेट निकालने में कामयाब रहे। आखिरी वनडे में तो उन्होंने कमाल की गेंदबाजी करके 24 रन पर चार विकेट निकालकर इंग्लैंड की पारी को थामने में अहम भूमिका निभाई।
पांडय़ा के रंगत में आने से टीम में संतुलन बढ़ गया है, क्योंकि वह बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में योगदान करते हैं। जसप्रीत बुमराह ने एक बार फिर दिखाया कि उनका कोई जवाब नहीं है। उन्होंने सीरीज के पहले मैच में इंग्लैंड की पारी 110 रन पर समेंटकर भारत की जीत की राह बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इस पारी में 19 रनों पर छह विकेट निकाले। वैसे भी वह सीरीज में दो मैचों में सबसे ज्यादा आठ विकेट निकालने में सफल हुए। मोहम्मद शमी और सिराज मोहम्मद की मौजूदगी ने यह दिखा दिया कि भारतीय पेस अटैक बहुत ही जानदार है। विदेशी भूमि पर पेस के अनुकूल विकेट बनाने में अब मेजवान टीमें असहज नजर आने लगीं हैं। अब टीम के लिए कोई दिक्कत है तो वह विराट का फॉर्म में नहीं होना। उनके फॉर्म में लौटते ही भारत की टीम को विश्व कप के लिए अंतिम रूप मिल जाएगा।
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