बतंगड़ बेतुक : सोता है ईश्वर बहरा है खुदा

Last Updated 10 Apr 2022 12:55:44 AM IST

हमारे पास बैठते ही झल्लन बोला, ‘ददाजू, आज हम बहुत दुखी हैं, हमारे मन में शोक का भाव जग रहा है।’


बतंगड़ बेतुक : सोता है ईश्वर बहरा है खुदा

हमने कहा, ‘तेरे चेहरे पर न कहीं दुख दिखाई देता है, न कहीं से शोक का भाव निकल रहा है, तू हमेशा जैसा दिखाई देता था वैसा आज भी लग रहा है।’ झल्लन बोला, ‘क्या ददाजू, आपने बाबा रहीम की बात नहीं सुनी कि-रहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखौ गोय, सुनि मुस्कहिएं लोग सब बांट न लहिएं कोय। सो ददाजू, हमने निज मन की व्यथा गोय के रखी है, चेहरे पर नहीं उतारी है, पर भीतर से हमारा मन सचमुच बहुत भारी है।’ हमने कहा, ‘तेरा मन भी गजब रंग बदलता है, कभी हल्का हो जाता है और कभी भारी हो जाता है, पता नहीं कब तेरे दिमाग पर क्या तारी हो जाता है।’ वह बोला, ‘ददाजू, आप अच्छी तरह जानते हैं कि हमारे सुख-दुख निजी सुख-दुख नहीं होते हैं, हम तो समाज के सुख पर सुखी होते हैं और दुख पर दुखी होते हैं।’ हमने कहा, ‘अब बता भी दे कि समाज के किस दुख को तू अपने अंदर पाल रहा है जो तुझे बुरी तरह साल रहा है?’ वह बोला, ‘ददाजू, हमारा ये बहुधर्मी समाज एक बार फिर हिंदू-मुस्लिम हो रहा है, जो होना चाहिए वह कहीं होता हुआ नहीं दिखता और जो नहीं होना चाहिए वह हर जगह हो रहा है, बस इसी बात पर हमारा मन रो रहा है।’ हमने कहा, ‘देख झल्लन, तेरी इंसानियत के इस दुख में हम पूरी तरह साझीदार हैं पर क्या करें, हम कुछ नहीं कर सकते पूरी तरह लाचार हैं।’

झल्लन बोला, ‘बताइए, पहले हिजाब पर हल्ला हो रहा था अब इस पर हल्ला हो रहा है कि मस्जिद का लाउडस्पीकर बजे या नहीं, नौराते में मीट की दुकान चले या नहीं। अरे, हम कहते हैं कि यहां साथ-साथ रहना है, साथ-साथ जीना-मरना है तो ऐसी छोटी-मोटी बातों पर टंटा क्यों खड़ा कर दिया करते हो, आपस में प्यार से बातचीत करके क्यों नहीं मसले को सुलझा लिया करते हो।’ हमने कहा, ‘यही तो इंसानी फितरत है झल्लन, जिससे इंसान कभी नहीं उबर पाता, जरा-जरा सी बात पर लड़ मरता है और उसकी भरपाई पूरा समाज करता है। हिंदू-मुसलमान के झगड़े यहां तब से चल रहे हैं जब से मुसलमान इस मुल्क की धरती पर आये हैं मगर उनके बीच अभी तक साथ-साथ जीने-रहने के रास्ते नहीं बन पाये हैं।’
झल्लन बोला, ‘आप ही इन्हें क्यों नहीं समझाते, क्यों नहीं दोनों जमातों को अपने पास बुलाते और क्यों नहीं उन्हें साथ-साथ जीने का सलीका सिखाते।’ हमें हंसी आयी और हमने कहा, ‘इस दुनिया में बड़े-बड़े लोग आये हैं जो धर्म-मजहब से पैदा हुई नफरत को मिटाना चाहकर भी नहीं मिटा पाये हैं। सुन, पांच सौ साल पहले कबीर ने क्या कहा था-हिंदू कहे मोहि राम पियारा, तुरक कहे रहिमाना, आपस में दोउ लरि-लरि मुए, मरम न कोउ  जाना।’ झल्लन बोला, ‘यही तो दिक्कत है ददाजू, ये मरम नहीं पहचानते, पहचानकर भी उसे नहीं जानते। अरे भई, लाउडस्पीकर की आवाज से आस-पड़ोस को परेशानी हो रही है तो वाल्यूम थोड़ा कम कर दो। मस्जिद के आगे से देवी-देवता का जुलूस निकाल रहे हो तो ढोल-ताशे बंद कर दो, जो सही है वो सही है इसमें जिद की जरूरत ही नहीं है।’
हमने कहा, ‘तुझे पता है कबीर ने मुसलमानों से पूछा था- कांकर पाथर जोरि कै मस्जिद लई बनाय, ता चढ़ि मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।’ और हिंदुओं से पूछा था कि ‘मंदिर जाके घंट बजावें क्या ईर तेरा सोता है।’ ऐसे सवालों के जवाब न हिंदू देते हैं न मुसलमान देते हैं और सारी समझदारी दरकिनार कर आपस में लड़ मरने की ठान लेते हैं। रही हमारी बात तो हम तो कबीर की तरह मंदिर-मस्जिद को ईर-अल्लाह का घर ही नहीं मानते हैं, हम तो इन्हें अलग-अलग कौमों की अलग पहचान के तौर पर पहचानते हैं। कबीर ने कहा था-हिंदू मुस्लिम दोनों भुलाने, खटपट मांय रिया अटकी; जोगी जंगम शेख सेवड़ा, लालच मांय रिया भटकी।’
झल्लन बोला, ‘इसका अर्थ पल्ले नहीं पड़ा ददाजू, जरा बताइए, थोड़ा ठीक से समझाइए।’ हमने कहा, ‘इसका अर्थ है कि हिंदू और मुसलमान दोनों ही आज ईर-अल्लाह के रास्ते से भटक गये हैं, इन्हें कोई सही रास्ता दिखाने वाला नहीं है और जो दिखाते हैं उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। पंडित, मौलवी और फकीर सब बुनियादी मोहमाया और धन के लालच में फंसे हुए हैं। जब इन्हें खुद ही ईर-अल्लाह का ज्ञान नहीं है तो वो आम लोगों को क्या ज्ञान कराएंगे, मतलब यह कि ये खुद भटके हुए हैं तो आम लोगों को भी सिर्फ भटकाएंगे और भड़काएंगे।’
झल्लन बोला, ‘ददाजू, ये बात तो हमें सौ टंच खरी लग रही है, बाबा कबीर की बातों से तो हमारे भी दिमाग की ज्योति जग रही है।’ हमने कहा, ‘याद रख, बाबा कबीर ने ये बातें पांच सदी पूर्व कही थीं यानी जब पांच सदियों में कुछ नहीं बदल पाये तो अब क्या बदल पाएंगे। दोनों चैन से नहीं रहेंगे, लड़ते-मरते रहे हैं और सदियों तक लड़ते-मरते रहेंगे।’

विभांशु दिव्याल


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment