सामयिक : कैसे बचेंगे देवदार के दरख्त?

Last Updated 10 Apr 2022 01:04:29 AM IST

सामयिक : कैसे बचेंगे देवदार के दरख्त? सुरेश भाई उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच निर्माणाधीन ऑलवेदर सड़क चौड़ीकरण के कारण पर्यावरण संरक्षण व लोगों की आजीविका की सुरक्षा के लिए केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को जिलाधिकारी उत्तरकाशी के माध्यम से कई संगठन ज्ञापन भेज रहे हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर उत्तरकाशी से लगभग 2 कि.मी. की दूरी पर स्थित तेखला बाईपास से सिरोर गांव होते हुए हिना-मनेरी तक प्रस्तावित नई ऑलवेदर रोड का विरोध भी किया जा रहा है। क्योंकि यहां से मैजूदा सड़क गंगोरी वेलीब्रिज, गरमपानी, गणोशपुर होते हुए मनेरी से गंगोत्री जाती है जिस पर लोगों के वर्षो पुराने होटल, फल-सब्जी की दुकानें आदि व्यावसायिक गतिविधियों से सैकड़ों लोगों की आजीविका तीर्थाटन व पर्यटन पर निर्भर है। इसी तरह यहां पर सुखी आदि गांव के लोगों ने सन 1961-62 में अपनी खेती की जमीन सरकार को नि:शुल्क देकर सीमा सुरक्षा के लिए गंगोत्री तक सड़क बनाई गई थी। यहां के गांव वाले भी इसलिए चिंतित हैं, कि उनकी पुरानी मोटर सड़क को छोड़कर सुखी बैंड से टनल बनाकर सीधे झाला पहुंचाने की योजना है, जिससे सुक्खी, जसपुर आदि गांव के होटल व खेती के उत्पाद के केंद्र सुनसान हो जाएंगे। लोगों ने इस टनल का विरोध किया है और यहां पर काटे जाने वाले हजारों देवदार के पेड़ों को बचाने की मुहिम भी चलाई है। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए लाखों देवदार के पेड़ों को काटने के लिए झाला से जांगला तक छपान किया गया है। इनको बचाने का विकल्प भी शासन-प्रशासन को पत्र भेजकर दिया गया है। यदि सरकार यहां के संवेदनशील पर्यावरण की रक्षा के लिए ध्यान दें तो यहां पर देवदार के वनों को बचाने के लिए जसपुर से पुराली, हर्षिल, बगोरी, मुखवा (गंगा का गांव) से जांगला तक नई सड़क बनाई जा सकती है। जहां पर बहुत ही न्यूनतम पेड़ों की क्षति हो सकती है और नये गांव भी सड़क से जुड़ जाएंगे, लेकिन संसद में नितिन गडकरी जी ने कहा है कि वे मार्ग निर्माण में आने वाले पौधों को रिप्लांट करेंगे। यह भी महत्त्वपूर्ण है। दूसरी ओर झाला से जांगला तक सड़क की चौड़ाई 7 मीटर तक रखी जाए तो गंगोत्री जाने वाली गाड़ी धराली होते हुए जा सकती हैं और वापस आने के लिए जांगला से मुखवा, हर्षिल, बगोरी, जसपुर से सुखी होते हुए उत्तरकाशी पहुंचा जा सकता है। इस तरह गंगोत्री के बचे-खुचे हरे देवदार के छोटे-बड़े लगभग दो लाख से अधिक पेड़ो को बचाया जा सकता है। क्योंकि घने वनों के बीच 24-30 मीटर की चौड़ाई में वनों की अंधाधुंध कटाई करने से भागीरथी संवेदनशील जोन को असीमित नुकसान पहुंचाएगा। उत्तरकाशी में ऑल वेदर चारधाम सड़क संधर्ष समिति द्वारा तेखला बाईपास से प्रस्तावित नई सड़क निर्माण का पुरजोर विरोध चल रहा है। इनका विरोध इसलिए जायज है कि पहले से ही निर्मिंत सड़क पर लोगों की अनेकों व्यावसायिक गतिविधियों है, जिन्हें बचाना पड़ रहा है। यह क्षेत्र (भागीरथी जलागम) बहुत ही संवेदनशील है। जहां बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प से भारी तबाही हो चुकी है। मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना (90 मेगा) की टनल भी यहां से गुजर रही है, जिसके ऊपर जामक आदि गांव में 1991 के भूकंप से दर्जनों लोग मारे गए थे। इसलिए यहां पर बड़े निर्माण कार्य जानलेवा साबित होंगे। इसलिए यह ध्यान रखा जाए कि यहां पर चल रहे बड़े निर्माण कार्य सोच-समझकर किया जाए। निर्माण से उत्पन्न हो रहे मलबे के निस्तारण के लिए हरित निर्माण तकनीक का उपयोग हो। वनों की अधिकतम क्षति रोकी जाए। लोगों की खेती-बाड़ी और आजीविका की वस्तुएं जैसे होटल, ढाबे, दुकानों से चल रहे रोजगार समाप्त न हो। सुखी गांव के नीचे नई ऑल वेदर सड़क के लिए टनल का निर्माण न हो। तेखला से सिरोर गांव होते हुए हिना-मनेरी तक प्रस्तावित नई सड़क का निर्माण रोका जाए। भागीरथी में असीमित मलवा न गिरे। इस प्रकार यहां के संवेदनशील पर्वतों को छेड़छाड़ से बचाकर मौजूदा सड़क मार्ग पर चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को मजबूती प्रदान की जा सकती है। इससे यहां के लोगों का पलायन और रोजगार भी चलेगा, और मां गंगा का उद्गम स्थल भी काफी हद तक बचाया जा सकता है।


सामयिक : कैसे बचेंगे देवदार के दरख्त?

उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच निर्माणाधीन ऑलवेदर सड़क चौड़ीकरण के कारण पर्यावरण संरक्षण व लोगों की आजीविका की सुरक्षा के लिए केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को जिलाधिकारी उत्तरकाशी के माध्यम से कई संगठन ज्ञापन भेज रहे हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर उत्तरकाशी से लगभग 2 कि.मी. की दूरी पर स्थित तेखला बाईपास से सिरोर गांव होते हुए हिना-मनेरी तक प्रस्तावित नई ऑलवेदर रोड का विरोध भी किया जा रहा है। क्योंकि यहां से मैजूदा सड़क गंगोरी वेलीब्रिज, गरमपानी, गणोशपुर होते हुए मनेरी से गंगोत्री जाती है जिस पर लोगों के वर्षो पुराने होटल, फल-सब्जी की दुकानें आदि व्यावसायिक गतिविधियों से सैकड़ों लोगों की आजीविका तीर्थाटन व पर्यटन पर निर्भर है।
इसी तरह यहां पर सुखी आदि गांव के लोगों ने सन 1961-62 में अपनी खेती की जमीन सरकार को नि:शुल्क देकर सीमा सुरक्षा के लिए गंगोत्री तक सड़क बनाई गई थी। यहां के गांव वाले भी इसलिए चिंतित हैं, कि उनकी पुरानी मोटर सड़क को छोड़कर सुखी बैंड से टनल बनाकर सीधे झाला पहुंचाने की योजना है, जिससे सुक्खी, जसपुर आदि गांव के होटल व खेती के उत्पाद के केंद्र सुनसान हो जाएंगे। लोगों ने इस टनल का विरोध किया है और यहां पर काटे जाने वाले हजारों देवदार के पेड़ों को बचाने की मुहिम भी चलाई है।

गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए लाखों देवदार के पेड़ों को काटने के लिए झाला से जांगला तक छपान किया गया है। इनको बचाने का विकल्प भी शासन-प्रशासन को पत्र भेजकर दिया गया है। यदि सरकार यहां के संवेदनशील पर्यावरण की रक्षा के लिए ध्यान दें तो यहां पर देवदार के वनों को बचाने के लिए जसपुर से पुराली, हर्षिल, बगोरी, मुखवा (गंगा का गांव) से जांगला तक नई सड़क बनाई जा सकती है। जहां पर बहुत ही न्यूनतम पेड़ों की क्षति हो सकती है और नये गांव भी सड़क से जुड़ जाएंगे, लेकिन संसद में नितिन गडकरी जी ने कहा है कि वे मार्ग निर्माण में आने वाले पौधों को रिप्लांट करेंगे। यह भी महत्त्वपूर्ण है। दूसरी ओर झाला से जांगला तक सड़क की चौड़ाई 7 मीटर तक रखी जाए तो गंगोत्री जाने वाली गाड़ी धराली होते हुए जा सकती हैं और वापस आने के लिए जांगला से मुखवा, हर्षिल, बगोरी, जसपुर से सुखी होते हुए उत्तरकाशी पहुंचा जा सकता है। इस तरह गंगोत्री के बचे-खुचे हरे देवदार के छोटे-बड़े लगभग दो लाख से अधिक पेड़ो को बचाया जा सकता है। क्योंकि घने वनों के बीच 24-30 मीटर की चौड़ाई में वनों की अंधाधुंध कटाई करने से भागीरथी संवेदनशील जोन को असीमित नुकसान पहुंचाएगा।
उत्तरकाशी में ऑल वेदर चारधाम सड़क संधर्ष समिति द्वारा तेखला बाईपास से प्रस्तावित नई सड़क निर्माण का पुरजोर विरोध चल रहा है। इनका विरोध इसलिए जायज है कि पहले से ही निर्मिंत सड़क पर लोगों की अनेकों व्यावसायिक गतिविधियों है, जिन्हें बचाना पड़ रहा है। यह क्षेत्र (भागीरथी जलागम) बहुत ही संवेदनशील है। जहां बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प से भारी तबाही हो चुकी है। मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना (90 मेगा) की टनल भी यहां से गुजर रही है, जिसके ऊपर जामक आदि गांव में 1991 के भूकंप से दर्जनों लोग मारे गए थे। इसलिए यहां पर बड़े निर्माण कार्य जानलेवा साबित होंगे। इसलिए यह ध्यान रखा जाए कि यहां पर चल रहे बड़े निर्माण कार्य सोच-समझकर किया जाए। निर्माण से उत्पन्न हो रहे मलबे के निस्तारण के लिए हरित निर्माण तकनीक का उपयोग हो। वनों की अधिकतम क्षति रोकी जाए। लोगों की खेती-बाड़ी और आजीविका की वस्तुएं जैसे होटल, ढाबे, दुकानों से चल रहे रोजगार समाप्त न हो। सुखी गांव के नीचे नई ऑल वेदर सड़क के लिए टनल  का निर्माण न हो।
तेखला से सिरोर गांव होते हुए हिना-मनेरी तक प्रस्तावित नई सड़क का निर्माण रोका जाए। भागीरथी में असीमित मलवा न गिरे। इस प्रकार यहां के संवेदनशील पर्वतों को छेड़छाड़ से बचाकर मौजूदा सड़क मार्ग पर चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को मजबूती प्रदान की जा सकती है। इससे यहां के लोगों का पलायन और रोजगार भी चलेगा, और मां गंगा का उद्गम स्थल भी काफी हद तक बचाया जा सकता है।

सुरेश भाई


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