मुद्दा : गरीबों को मुफ्त अनाज

Last Updated 01 Apr 2022 02:00:21 AM IST

केंद्र सरकार ने मुफ्त खाद्यान्न वितरण कार्यक्रम ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ (पीएमजीकेएआई) को इस साल सितम्बर तक बढ़ाने का फैसला किया है।


मुद्दा : गरीबों को मुफ्त अनाज

केंद्र सरकार के इस फैसले से देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को एक बार फिर से राहत मिली है। बता दें कि पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना की आखिरी तारीख 31 मार्च, 2022 थी लेकिन अब अब इसे 30 सितम्बर, 2022 तक बढ़ाया गया है। देश के 80 करोड़ से अधिक लोग पहले की तरह 30 सितम्बर तक इसका लाभ उठा सकेंगे। इस योजना पर सरकार की ओर से सितम्बर तक होने वाले खर्चे की बात करें तो यह 3.40 लाख करोड़ रुपये होगा।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान के लॉकडाउन में रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे लोगों के लिए सरकार ने मार्च, 2020 में मुफ्त में राशन देने की योजना शुरू की थी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीबों को प्रति व्यक्ति 5 किलो खाद्यान्न मुफ्त मिलता है और करीब 80 करोड़ राशन कार्डधारकों को मुफ्त राशन दिया जाता है। अब तक खाद्य मंत्रालय ने कुल 759 लाख टन खाद्यान्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को वितरित किया है।
   बहरहाल, सरकार के इस फैसले से करीब 80,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ सरकारी खजाने पर आएगा। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में योगी कैबिनेट ने अपने पहले फैसले के तहत मुफ्त अनाज मुहैया कराने का समय तीन माह बढ़ाकर 30 जून, 2022 तक कर दिया है। दोनों ही फैसले बेहद मानवीय हैं क्योंकि कोरोना महामारी के 24 महीनों के बाद भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं। करीब 25 करोड़ लोग गरीबी-रेखा के तले जीवन जीने को विवश हैं। यह आज की विकराल समस्या है, क्योंकि बेरोजगारी की राष्ट्रीय दर 8 फीसदी से अधिक है। जिनके रोजगार आपदा के दौर में छिन गए थे, उनकी 100 फीसदी बहाली में कितना वक्त लगेगा, शायद सरकारों के पास भी सटीक आकलन नहीं हैं।

हालांकि भारत सरकार में आर्थिकी से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के सुझाव थे कि कोरोना-पूर्व की अर्थव्यवस्था की पूर्ण बहाली के लिए अब मुफ्त अन्न योजना बंद कर देनी चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सुझाव को सिरे से नकार दिया। उन्हें गरीब तबकों की नाजुक स्थिति का पता है, और वे किसी सूरत नहीं चाहते कि गरीबों को उनके हाल पर छोड़ा जाए। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना की अवधि बढ़ाने का निर्णय फैसला किया। खैर, गौर करने वाली बात यह है कि महामारी के बाद रूस-यूक्रेन संकट  के बीच जहां एक तरफ दुनिया भर में अनाज की सप्लाई पर असर पड़ रहा है, वहीं भारत न केवल दुनिया भर के कई देशों को गेहूं का निर्यात बढ़ा रहा है, बल्कि मोदी सरकार देश के लोगों को मुफ्त में अनाज उपलब्ध भी करा पा रही है। केंद्र सरकार ने इस पर कहा है कि आम लोगों को जरूरत के दौरान मुफ्त राशन मुहैया कराना सिर्फ  इसलिए संभव हुआ है क्योंकि महामारी के बीच भी किसानों से रिकॉर्ड मात्रा में खाद्यान्न की खरीद की गई है। सरकार पहले भी कह चुकी है कि फसलों की ऊंची कीमतें मिलने से न केवल खरीद बढ़ी है वहीं किसान उत्पादन और बढ़ाने के लिए भी प्रेरित हुए हैं। सरकार ने कहा है कि मुफ्त अनाज की योजना बढ़ाने का यह फैसला किसानों की वजह से संभव हुआ है। वहीं माना जा रहा है कि फिलहाल सरकार के अन्न भंडार भरे हुए हैं, और आने वाले समय में फिर से रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। इसलिए सरकार के पास फिलहाल योजना को बढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं थी।
कोविड-19 महामारी ने पूरे देश को कई तरह से प्रभावित किया है। इसने लोगों के जीवन और उनकी आजीविका को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से नुकसान पहुंचाया है। इसने समाज के सबसे कमजोर तबके को झकझोर कर रख दिया। लेकिन ऐसी निराशाजनक हालात में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से इन लोगों को बड़ी राहत मिली। हालांकि इस योजना पर राजनीतिक तौर पर संदेह भी व्यक्त किए जा रहे थे कि चुनावों के बाद इसे समाप्त किया जा सकता है अथवा कुछ कटौतियां संभव हैं! संदेह गलत साबित हुए। बहरहाल, केंद्र और राज्य, दोनों के स्तर पर गरीबों को कमोबेश भुखमरी का शिकार नहीं होना पड़ेगा। यदि छह माह के दौरान वितरित किए जाने वाले अनाज को भी जोड़ दिया जाए तो सरकार 1003 लाख मीट्रिक टन अनाज नि:शुल्क ही गरीबों को मुहैया करा देगी। यह मात्रा अभूतपूर्व है। अब तक इस योजना पर सरकार 2.60 लाख करोड़ रु पये खर्च कर चुकी है और अगले छह महीनों में इस पर 80 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

रवि शंकर


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