योगी सरकार : निडर तो हुई हैं महिलाएं
भारतीय समाज में महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, जाति, धर्म, लिंग और विकलांगता के आधार पर बहुत अत्याचार और भेदभाव सहना पड़ता है।
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इन समस्याओं के समाधान के लिए कानून के माध्यम से बहुत प्रयास किए गए हैं। आंकड़ों में सुधार तो हुए, मगर अभी भी वस्तुस्थिति बहुत आशाजनक नहीं है। 2017 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद ही योगी आदित्यनाथ ने अपराध के प्रति जीरो टोलरेंस नीति अपनाने की अपनी मंशा स्पष्ट कर अपराधियों के विरुद्ध व्यापक अभियान छेड़ दिया। उन्होंने ‘एंटी रोमियो स्क्वॉड’ और अन्य अपराध रोकने के लिए विशेष कदम उठाकर और अनेक योजनाएं बनाकर उन्हें क्रियान्वित करने का संकल्प लिया और उसको आज अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में स्थापित नहीं कर दिया।
उन्होंने एंटी रोमियो स्क्वॉड और अन्य अपराध रोकने के लिए विशेष कदम उठाकर और अनेक योजनाएं बनाकर उन्हें क्रियान्वित करने का संकल्प लिया। हाल ही में ़आरटीआई के एंटी रोमियो स्क्वॉड्स की ओर से की गई गिरफ्तारियों से संबंधित सवाल पर उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय महानिदेशक से ये जवाब मिला, ‘मुख्यालय को उपलब्ध सूचना के मुताबिक 22.03.2017 से 30.11.2020 के बीच कुल 14,454 गिरफ्तारियां की गई।’ इस जवाब के मायने निकलते हैं कि बताई गई अवधि के दौरान हर दिन औसतन गिरफ्तारियां की गई। यूपी पुलिस की पहल के कारण राज्य में महिलाओं के खिलाफ समग्र तौर पर अपराध की घटनाओं में गिरावट तो आई है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डेटा के मुताबिक 2017 में जब एंटी रोमियो स्क्वॉड बने थे तो महिलाओं के खिलाफ अपराध के 153 केस सामने आए थे, लेकिन 2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 164 हो गया। 2017 में 139 बच्चियों के साथ बलात्कार किया गया जबकि 2018 में ये संख्या 144 रही। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में 2,736 मामलों के साथ अपराध के मामले में लखनऊ 19 शहरों में शीर्ष पर है। उत्तर प्रदेश में 2018 में दहेज हत्याएं के 2,444 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2017 में ये संख्या 2,524 थी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘उत्तर प्रदेश में बलात्कार के मामले 3,946 हैं, न कि 4,322। 2017 के मुकाबले 2018 में बलात्कार के मामलों में वास्तव में 7 प्रतिशत की कमी आई है।’ क्योंकि अब पीड़िता आसानी से बिना डरे अपनी शिकायत लिखा सकती है। इसीलिए हमें आंकड़ों में भले ही यह संख्या ज्यादा लगे परन्तु यह योगी सरकार पर लोगों का विश्वास है कि वह अब बिना डरे बेबाकी से अपनी बात कह पा रहे हैं। कानूनी और न्यायालय स्तर पर भी महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा में भी न्यायालय सामान्यत: अत्याचार निवारण या ‘प्रिवेन्शन ऑफ एट्रोसिटीस’ अधिनियम का इस्तेमाल नहीं करते हैं, जबकि यह कानून खासतौर पर उन्हीं के लिए बनाया गया है। बावजूद इसके 2006 के महाराष्ट्र के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अधिनियम को यह कहकर किनारे कर दिया कि इसका इस्तेमाल सिर्फ इस बुनियाद पर नहीं किया जा सकता कि यह एक दलित जाति की महिला से जुड़ा हुआ है। ऐसे मामलों में अक्सर न्यायालय साक्ष्य मांगता है। कोई महिला इस बात के साक्ष्य कैसे प्रस्तुत कर सकती है कि उसके दलित या विकलांग होने के कारण ही उसके साथ अत्याचार हुआ है। अनुसूचित जाति/जनजाति की महिलाओं को इस आधार पर न्याय मिलने की संभावना रहती है कि दोषी को महिला की जाति का ज्ञान था। परंतु कमजोर वर्ग की विकलांग महिलाओं के पास तो यह आधार भी नहीं होता, परंतु योगी सरकार ने जांच एजेंसियों और न्यायालय प्रक्रिया के कार्यप्रणाली को सुगम और उपयुक्त बनाने के लिए अपनी अनुशंसा की है। जिसका परिणाम है कि अब ऐसे अपराध की न्यायिक कार्रवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से की जा रही है। महिला-बेटियों की सुरक्षा और स्वावलंबन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई ‘मिशन शक्ति’ योजना भी इस दिशा में सरकार के गंभीर रु ख को इंगित करती है। मिशन शक्ति योजना के सार्थक परिणाम दिखने लगे हैं। महिलाओं में सुरक्षा और आत्मसम्मान के प्रति सामाजिक जागरूकता और चेतना में भी वृद्धि हुई है।
सरकार प्रदेश में ऐसा माहौल बनाने की कोशिश में लगी है, जिससे समाज में लोग बेटियों के पैदा होने पर निराश होने की बजाए जश्न मनाएं। बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ‘कन्या सुमंगला योजना’ मनोबल बढ़ाने वाली है। इसमें बेटियों के पैदा होने के समय से लेकर उनकी डिग्री तक की पढ़ाई के लिए अलग-अलग चरणों में सरकार 15 हजार रुपये की आर्थिक मदद करती है। अब तक 6.13 लाख परिवारों को इस योजना का लाभ मिला है। महिलाओं के सुरक्षा और संवर्धन के वादे पर भाजपा उत्तर प्रदेश में चुनाव जीत कर आई थी। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अथक प्रयास किए हैं। इनमें महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर अंकुश समेत अन्य अधिकांश प्रकार के अपराधों पर नियंत्रण, पुलिस व्यवस्था में सुधार करने के निर्देश देने सहित अन्य लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अनेक कार्य शामिल हैं।
पुलिस व्यवस्था को मजबूत करने और पुलिस की छवि में सुधार के 40 से अधिक नये पुलिस थाने, एक दर्जन से ज्यादा नई पुलिस चौकियां और लगभग डेढ़ लाख नई पुलिस भर्तियों की प्रक्रिया पूरी की गई है। योगी सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए रात्रि सुरक्षा कवच योजना, महिला सहायता डेस्क, गुलाबी बूथ समेत गुलाबी बस सेवा आरंभ की। इन सभी प्रयासों का सकारात्मक परिणाम राज्य में दिखाई भी देने लगा है। सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए पंचायत स्तर पर बैंकिंग सहित अन्य योजनाओं में सहयोग के लिए ‘बीसी सखी योजना’ शुरू की है। इसके पहले चरण में 58 हजार महिला अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। कानून-व्यवस्था सुधारने के लिए मुख्यमंत्री ने निश्चित ही अभूतपूर्व दूरदृष्टि, इच्छाशक्ति, और प्रतिबद्धता का परिचय दिया है।
(लेखिका उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं)
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