आम बजट : अर्थव्यवस्था में फूंकेगा जान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया वर्ष 2022-23 का बजट कोरोना की चुनौतियों से उबरती भारतीय अर्थव्यवस्था को गतिशील करने और विभिन्न वर्गों की मुश्किलों को कम करने के लिए अभूतपूर्व बजट है।
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बजट के तहत कृषि और किसान हितों, बुनियादी ढांचे की मजबूती, उद्योग-कारोबार की गतिशीलता, निर्यात वृद्धि, शेयर बाजार को प्रोत्साहन, रोजगार के नये अवसर, महंगाई पर नियंत्रण, नई मांग का निर्माण, टीकाकरण एवं अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक न्याय के लिए भी प्रभावी प्रावधान सुनिश्चित किए गए हैं। वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था के लिए प्रोत्साहन की बूस्टर डोस देते समय राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.4 फीसदी तक विस्तारित करने में कोई संकोच नहीं किया है। बजट से अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी जा सकेगी।
इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि वर्ष 2022-23 का बजट बनाते हुए वित्त मंत्री के समक्ष कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, महंगाई, आय की असमानता, करीब 8 फीसदी की बेरोजगारी दर, सरकारी विभागों की कमजोर व्यय क्षमता, निजीकरण पर कम सफलताएं जैसी विभिन्न आर्थिक एवं वित्तीय मुश्किलं मुंह बाए खड़ी थीं। निस्संदेह नये बजट में खेती और किसानों के हितों को उच्च प्राथमिकता दी गई है। कृषि की विकास दर बढ़ाने और छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन दिया गया है। बजट में प्राकृतिक खेती और मांग आधारित खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष घोषणा की गई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाने वाली सरकारी खरीद के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
किसानों की गैर-कृषि आय बढ़ाने के लिए पशुधन विकास, डेयरी, पोल्ट्री, मत्स्य पालन और बागवानी जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहन के साथ घरेलू किसानों को आधुनिक तकनीक मुहैया करने के लिए नई व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। कृषि क्षेत्र में कुशल मानव संसाधनों की जरूरत के मद्देनजर कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया जाना सुनिश्चित किया गया है एवं कृषि अनुसंधान पर आवंटन बढ़ाया गया है। ऊंचे दाम वाली विविध फसलों के उत्पादन को विशेष प्रोत्साहन और छोटे किसानों की आमदनी में वृद्धि जैसे कदमों की घोषणा भी बजट में की गई है। बजट में वित्त मंत्री ने बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों, खपत और नौकरियों के सृजन को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई है। 2022-23 के लिए 7.5 लाख करोड़ रु पये के पूंजीगत व्यय का प्रावधान है। 2022-23 में यह जीडीपी का 2.9 फीसदी है। 2022-23 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत 80 लाख घरों के निर्माण को पूरा करने के लिए 48 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। चूंकि सरकार चाहती है कि आने वाले वर्षो में दुनिया भर में भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनकर उभरे तो ऐसे में इस परिप्रेक्ष्य में वित्त मंत्री ने बजट में बड़े ऐलान किए हैं। रिकॉर्ड निर्यात का लक्ष्य रखते हुए विभिन्न कच्चे मालों पर आयात शुल्क घटाते हुए दिखाई दी हैं। आयात शुल्क खास तौर से ऐसी चीजों के कच्चे माल पर घटाए गए हैं, जिनका पीएलआई क्षेत्र के उद्योगों में उपयोग होता है। बजट में वोकल फॉर लोकल को प्रोत्साहन देने के कदम भी दिखाई दे रहे हैं।
बजट के तहत वित्त मंत्री ने देश में खुदरा कारोबार और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने और कारोबार करने के लिए आवश्यक लाइसेंस की संख्या घटाकर उनका अनुपालन बोझ हल्का करने के तरीके भी सुनिश्चित किए हैं। स्टार्टअप के लिए टैक्स छूट 31 मार्च, 2023 तक के लिए बढ़ाई गई है। साथ ही, एमएसएमई के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का विशेष राहत पैकेज दिया गया है। विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) को अधिक उपयोगी बनाने के लिए बजट में विशेष घोषणा की गई है। आपातकालीन क्रेडिटलाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को मार्च, 2023 तक बढ़ाया गया है। गारंटी कवर को 5 लाख करोड़ रुपये तक विस्तारित किया गया है। बजट में आतिथ्य, पर्यटन, आराम और अन्य संपर्क वाली यानी संबद्ध सेवाओं को समर्थन दिया गया है। नई शिक्षा प्रणाली और कौशल विकास, डिजिटल विकास, पीएमई-विद्या का विस्तार किया गया है। शासकीय स्कूलों की गुणवत्ता, सार्वजनिक परिवहन जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों के साथ-साथ रोजगार वृद्धि के लिए टेक्सटाइल सेक्टर को भारी प्रोत्साहन दिए गए हैं। शोध एवं नवाचार, निर्यात डवलपमेंट फंड तथा फॉर्मा उद्योग आदि के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए गए हैं। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे और टीकाकरण के लिए अधिक निवेश किया गया है। डिजिटल करंसी लाए जाने का ऐलान किया गया है।
बजट में सामाजिक क्षेत्र पर आवंटन को प्राथमिकता दी गई है। सामाजिक क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलकूद, संस्कृति के साथ-साथ गरीबों और अन्य वगरे के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं आती हैं। महिला और बाल विकास मंत्रालय की मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य और आंगनवाड़ी और पोषण-2 को नया रूप दिया गया है। अलबत्ता, बजट की एक बड़ी कमी छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा राहत के प्रावधान न होना है। टैक्सपेयर्स को उम्मीद थी कि सरकार टैक्स में छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख कर सकती है। शेयर बाजार को बजट से तेजी से बढ़ने के प्रोत्साहन दिए गए हैं।
यही कारण है कि जैसे-जैसे वित्त मंत्री बजट प्रस्तुत करती गई वैसे-वैसे शेयर बाजार ऊंचाई पर पहुंचता गया। लेकिन वित्त वर्ष 2022-23 के बजट के समक्ष कई चुनौतियां भी उभर कर दिखाई दे रही हैं। बजट बनाते समय वृद्धि अनुमान कच्चे तेल की 70-75 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर आधारित हैं जबकि इस समय कच्चे तेल की कीमतें करीब 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं। उम्मीद करें कि बजट से एक ओर आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ेगी, नई मांग का निर्माण होगा वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंत तक विकास दर करीब 9 फीसदी के स्तर पर पहुंचते हुए दुनिया में अव्वल दिखाई दे सकेगी। उम्मीद करें कि बजट कोरोना की चुनौतियों के बाद अर्थव्यवस्था को गतिशीलता देने वाला महत्त्वपूर्ण बजट सिद्ध होगा।
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