बजट में रेलवे : नेटवर्क क्षमता बढ़ाने पर बल

Last Updated 03 Feb 2022 12:44:42 AM IST

देश के त्वरित और समावेशी आर्थिक विकास के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में रेलवे की आधारिक संरचना को मजबूत करने के लिए व्यापक सुधारों और दीर्घकालिक प्रतिबद्वताओं पर अत्यधिक बल दिया है।


बजट में रेलवे : नेटवर्क क्षमता बढ़ाने पर बल

कोरोना महामारी से उबारते हुए रेलवे को अधिक विसनीय, टिकाऊ और डिजिटल रूप से सक्षम बनाने का प्रयास बजट में किया गया है।
बजट में भारतीय रेलवे की नेटवर्क क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ अगले तीन वष्रो में 400 वंदे भारत ट्रेनें चलाने की बात कही गई है। बायो-वैक्यूम शौचालय, वाई-फाई ऑनबोर्ड, पूरी तरह से स्वचालित दरवाजे आदि विस्तरीय आधुनिक सुविधाओं से लैस भारत में निर्मिंत वंदे भारत ट्रेनों के परिचालन के साथ ही भारत यात्रा प्रौद्योगिकी के नये युग में प्रवेश कर रहा है, जिसका सीधा असर पर्यटन क्षेत्र को बढ़ाने के रूप में परिलक्षित होगा जो परोक्ष रूप से भी रोजगार के अवसरों का सृजन करेगा। 400 वंदे भारत ट्रेनों के स्वदेशी निर्माण में भारत आत्मनिर्भर की दिशा में एक कदम और बढ़ाएगा। वर्ष 2022-23 के बजट में सुरक्षा और क्षमता में वृद्धि के लिए स्वदेशी तकनीकी कवच के तहत 2,000 किमी. नेटवर्क का और विस्तार किया जाएगा। बजट में नागरिक संरचनाओं सहित मेट्रो प्रणालियों के डिजाइन को भारतीय परिस्थितियों और जरूरतों के लिए उन्मुख और मानकीकृत करने की बात भी कही गई है। इसमें रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास भी शामिल है। रेलवे के विकास से मेक इन इंडिया की रणनीति को भी बल मिलेगा। वंदे भारत ट्रेनों की गति 200 किमी. प्रति घंटा करने के लिए शोध एवं विकास पर काम करने की आवश्यकता है। बजट में रेलवे के विद्युतीकरण से कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में भी कार्य किया गया है।

वित्त मंत्री ने बजट में छोटे किसानों और छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए नये उत्पादों और कुशल रसद सेवाओं को जल्दी पहुंचाने के लिए डाक और रेलवे नेटवर्क के एकीकरण को प्रोत्साहन दिया है। बड़े पैमाने पर शहरी परिवहन और रेलवे स्टेशनों के बीच मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को प्राथमिकताओं के आधार पर और सुगम बनाया जाएगा। स्थानीय व्यवसायों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से एक स्टेशन, एक उत्पाद पहल को क्रियान्वित किया जाएगा। छोटे व्यापारियों एवं किसानों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। स्टेशनों के बीच मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी से अर्थव्यवस्था के लॉजिस्टिक क्षेत्र के विकास को भी गति मिलेगी। नये भारत की बढ़ती आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एवं लॉजिस्टिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए बजट में 100 पीएम गतिशक्ति कार्गो टर्मिंनल विकसित किए जाएंगे जिससे अधिक कुशल परिवहन और माल ढुलाई की त्वरित आपूर्ति से न केवल विकास को गति मिलेगी, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला के अधिक मजबूत होने से निर्यात में भी बृद्धि होगी। लॉजिस्टिक क्षेत्र के विकास से माल ढुलाई की लागत में कमी आने से रेलवे की हिस्सेदारी में भी बढ़ोतरी होगी जिसका सीधा सकारात्मक प्रभाव आर्थिक विकास पर पड़ेगा।
कोयले पर घटती निर्भरता और आधुनिक तकनीकी ने रेलवे क्षेत्र में रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है परंतु आत्मनिर्भरता के मंत्र द्वारा एवं रेलवे से जुड़े उद्योगों में विस्तार द्वारा रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी द्वारा संसाधनों के सर्वोत्तम प्रयोग के लिए मानव संसाधन को सर्वोच्च प्राथमिकता के क्रम में रखे जाने से रोजगार सृजन और 400 वंदे भारत के स्वदेश में निर्मिंत होने से रोजगार की संभावनाओं को बल मिलेगा। भारतीय रेलवे अपने विस्तार के साथ बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन में भी सक्षम है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे दुनिया में सबसे बड़े नियोक्ताओं में शुमार है। ऑटोमोबाइल उद्योग, पर्यटन, लॉजिस्टिक क्षेत्र, वेयरहाउस आदि की प्रगति प्रत्यक्ष रूप रेलवे के विकास के साथ जुड़ी है। रेलवे उपकरण आपूर्ति, उत्पाद और सेवा कंपनियों के साथ-साथ आउटसोर्सिग द्वारा भी रोजगार के नये अवसर तलाशे जा सकते हैं। भारतीय रेलवे न केवल औपचारिक रोजगार पैदा कर सकती है, बल्कि बड़े पैमाने पर अनौपचारिक रोजगार उत्पन्न करने में भी सक्षम है। इसलिए बजट में 60 लाख नौकरियों की बात कही गई है। बजट में सरकारी व्यय बढ़ाने पर बल दिया गया है, जिससे निजी निवेश को अधिक आकर्षित किया जा सके और अर्थव्यवस्था विकास के मार्ग पर बढ़ सके। आर्थिक वृद्धि से राजस्व आएगा, राजकोष के मजबूत होने से रोजगार भी बढ़ेगा। आधुनिकीकरण की सीढ़ियां चढ़ते रेलवे क्षेत्र को  भारत के विकास में इंजन के रूप में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना होगा। निजी निवेश विकास की गति को तेजी तो दे सकता है परंतु निजी निवेश की अपनी शत्रे भी रहती हैं। सरकार को प्रयास करना होगा कि देशहित को सर्वोपरि रखते हुए ही निजी निवेश को बढ़ावा मिले।

डॉ. सुरजीत सिंह गांधी


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