ओमीक्रॉन : कोविड वायरस का ज्यादा संक्रामक रूप

Last Updated 02 Dec 2021 12:29:09 AM IST

दनिया कोरोना की दूसरी लहर के धीमे होने से राहत की सांस ले ही रही थी कि तीसरी लहर के नये अवतार में ओमीक्रॉन वेरिएंट आ पहुंचा। कोविड वायरस का यह वेरिएंट बी.1.1.529 है।


ओमीक्रॉन : कोविड वायरस का ज्यादा संक्रामक रूप

इसका म्यूटेशन बहुत तेजी से हो रहा है। यह छह गुणा तेजी से फैलने की क्षमता रखता है। इसका संक्रमण पिछले डेल्टा वेरिएंट से बहुत तीव्र है। शुरू में यह बोत्सवाना में मिला था। बाद में दक्षिण अफ्रीका ने इसकी पहचान की। दक्षिण अफ्रीका ने इसकी पुष्टि करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसका नाम ओमीक्रॉन रखा।

छब्बीस नवम्बर को इसकी उपस्थिति हांगकांग, बेल्जियम और इजरायल में भी थी। दूसरे दिन ही ब्रिटेन में भी दो लोगों में ओमीक्रॉन के लक्षण पाए गए। इस खलबली से ब्रिटेन ने दक्षिण अफ्रीका से हवाई उड़ानें बंद कर दीं। इस तरह से बहुत सारे देशों ने हांगकांग और दक्षिण अफ्रीका से उड़ानें बंद कर दीं। भारत सरकार ने भी ओमीक्रॉन के तेजी से फैलने के गुणों को देखते हुए हवाई उड़ानें दक्षिण अफ्रीका  के लिए बंद कर दी हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वेरिएंट की आक्रामकता को देखते हुए राज्यों से सूचनाएं मांगी हैं, और कहा है कि पल-पल की गतिविधियों पर राज्य सरकारें नजर रखें। स्वास्थ्य मंत्रालय की मीटिंग से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को नई विपदा से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है।

अलबत्ता, असमंजस की स्थिति ऐसी है कि डॉक्टर निश्चित राय नहीं बना पा रहे हैं। एम्स के निदेशक ने बूस्टर देने पर अपनी दोहरी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस वायरस के लिए बूस्टर डोज लगाने की जरूरत नहीं है, फिर आगे राय देते हैं कि जिसको जरूरत महसूस हो, उसे बूस्टर डोज दे सकते हैं। देश में अभी पहले राउंड की एक डोज भी पूरी नहीं हुई है। हालांकि सौ करोड़ से ऊपर लोगों को पहली डोज दी जा चुकी है और जल्दी ही 50 हजार करोड़ और लोगों पहली डोज दी जाएगी।

लेकिन 27 नवम्बर तक के आंकड़ों को लेकर जॉन्सन हॉपकिंस विश्वविद्यालय ने बताया है कि कोविड वैक्सीनेशन के बावजूद प्रति दिन कोविड के संक्रमण के केस जर्मनी में सबसे ज्यादा हैं। प्रति दिन 65 हजार से अधिक केस आ रहे हैं और मौतें भी 303 हो रही हैं। अमेरिका में 51 हजार संक्रमित और मौतें साढ़े पांच सौ, ब्रिटेन में हर दिन केस 50 हजार आ रहे हैं और मौतें डेढ़ सौ हो रही हैं। रूस में 34 हजार केस प्रति दिन आ रहे हैं और मौतें 12 सौ के करीब हो रही हैं।

फ्रांस, पोलैंड, तुर्की, नीदरलैंड, बेल्जियम, इटली और स्पेन में 3 से 9 हजार के बीच प्रति दिन संक्रमित केस आ रहे हैं। उस हिसाब से भारत में 8 हजार तीन सौ अठारह केस थे और मृत्यु भी साढ़े चार सौ के लगभग थीं। लेकिन आंकड़ों पर विश्वास करें तो भारत में दोनों टीके लगने का प्रतिशत सिर्फ 32 है। जॉन हॉफकिंस विश्वविद्यालय ने यह जानकारी भी दी कि यूरोप में टीके लगने का प्रतिशत 60 से 80 के बीच होने के बावजूद  संक्रमण में कमी नहीं आई। नये-नये वेरिएंट अपने तरह-तरह के रूपों में दस्तक दे रहे हैं।

ओमीक्रॉन जिस जगह से पैदा हुआ है, उस जगह दक्षिण अफ्रीका से एक महिला भी भारत आई, उसका पता तेजी से लगाया गया, उसको भी आरटी पीसीआर टेस्ट से गुजरना पड़ा। नये वेरिएंट को रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने भी पिछले दिनों उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की जिसका मकसद था कि ओमीक्रॉन को पछाड़ने के लिए देश भर के विशेषज्ञ अपनी प्रयोगशालाओं या दुनिया के डाटा पर नजर रखते हुए वेरिएंट को रोकें। भारत में दोनों टीके लगाने के जो आंकड़े हैं, उनका प्रतिशत 46.6 है और कम से कम एक डोज लगे हुए व्यक्तियों का प्रतिशत 83.3 है। दो ही राज्य-हिमाचल और जम्मू व कश्मीर-हैं जहां शत प्रतिशत लोगों को पहला टीका लग चुका है।

नये वेरिएंट ओमीक्रॉन का पुर्तगाल, स्कॉटलैंड, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हांगकांग, इटली, चेक रिपब्लिक, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, जापान और फ्रांस में तेजी से संक्रमण हो रहा है। लेकिन विशेषज्ञ एक ओर यह भी बता रहे हैं कि इसमें मृत्यु उतनी नहीं हैं, जितनी डेल्टा  वेरिएंट से हुई। यह भी देखने में आ रहा है कि 40 वर्ष से कम आयु के लोगों को संक्रमण अधिक हो रहा है। सरकार को बूस्टर डोज देने से नहीं हिचकना चाहिए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी कहा है कि सरकार को जरूरत पड़ने पर ही नहीं, बल्कि इम्युनिटी के लिए बूस्टर लगाना चाहिए। एम्स के निदेशक भी बूस्टर देने की बात कर रहे हैं।

भगवती प्रसाद डोभाल


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