योगी सरकार : बदली परिपाटी, बदली धारा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में कई मिसाल कायम की हैं। प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि कोई मुख्यमंत्री हर जिले में कम से कम तीन से चार बार लोगों के बीच पहुंचा और उनके सुख-दुख में शामिल हुआ। पहले ऐसा चुनावों के पहले ही देखने को मिलता था।
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योगी मिथक तोड़ने में भी पीछे नहीं रहे और नोएडा से लेकर अयोध्या तक कई दौरे किए।
उत्तर प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का सटीक उदाहरण देखना हो तो सीएम योगी की कार्यशैली से समझा जा सकता है। प्रदेश की कमान संभालने के बाद से लेकर अब तक वह न थके, न रुके, न आराम किया है। रोजाना सुबह करीब आठ बजे से उनके सार्वजनिक जीवन की शुरुआत हो जाती है, जो देर रात तक चलती रहती है। पहले शासन स्तर के ज्यादातर वरिष्ठ अधिकारी शुक्रवार शाम को ही दिल्ली या नोएडा रवाना हो जाते थे लेकिन अब अवकाश में भी अपने विभागों में काम करते दिख जाते हैं।
योगी की खास बात यह भी है कि कभी भी किसी अधिकारी को बुला लेते हैं जिस कारण अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहना पड़ता है। शासन स्तर के अधिकारियों के ज्यादातर समय लखनऊ में रहने के कारण उनकी कार्य क्षमता में बढ़ोतरी हुई है, और लोगों को भी इसका लाभ मिला है। योगी पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने लखनऊ में निजी आवास नहीं बनाया है जबकि प्रदेश में कई ऐसे मुख्यमंत्री हुए हैं, जिन्होंने कोठियां बनाई हैं।
सीएम योगी ने शासन-प्रशासन को न सिर्फ समझा, बल्कि अपने मंत्रियों को भी समझवाया। सरकार बनने के बाद उन्होंने देर रात तक सभी विभागों की समीक्षा की और विभागवार लक्ष्य तय किए। समय-समय पर उनकी समीक्षा भी की। नतीजा हुआ कि हर विभाग में कमोबेश नवाचार को बल मिला और योजनाएं धरातल पर आम लोगों तक पहुंचीं। योगी कोरोना काल की शुरुआत से लेकर अब तक लगातार खुद रोजाना उच्चाधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं, जिनमें न सिर्फ कोरोना से जुड़ी तैयारियों, बल्कि शासन स्तर के अन्य विभागों के अहम मुद्दों पर भी चर्चा, रणनीति और दिशा-निर्देश जारी करते हैं। पहली बार हुआ है कि प्रदेश में किसी मुख्यमंत्री ने विभागों के लक्ष्य तय किए।
योगी ने प्रदेश में लंबे समय से चली आ रही एक और परिपाटी को खत्म किया है। प्रदेश में ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग पर विराम लगा दिया है। पहले ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर हर साल करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार होता था। अब ऐसा नहीं हो पाता। ट्रांसफर सीजन में ही तबादले होते हैं, इसके इतर तबादले के लिए फाइल मुख्यमंत्री तक भेजनी पड़ती है, जिस कारण वरिष्ठ अधिकारी भी तबादले की फाइल मुख्यमंत्री को भेजने से कतराते हैं।
वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी सीएम योगी ने सूझ-बूझ से प्रदेश को बचाया। पहली लहर के दौरान योगी के पूर्व आश्रम के पिता के दुखद निधन की सूचना मिली। इस दौरान वह बैठक कर रहे थे, थोड़ी देर के लिए भावुक हुए लेकिन बैठक को बीच में नहीं छोड़ा। जनहित को प्राथमिकता देते हुए पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए। दूसरे राज्यों से जब प्रवासियों का पलायन शुरू हुआ तो सीएम योगी पूरी रात जगकर प्रवासियों को गंतव्य तक पहुंचाने में लगे रहे। दूसरी लहर के दौरान खुद कोरोना संक्रमित होने के बावजूद लगातार सुबह से शाम तक वर्चुअल बैठकें करते रहे।
ठीक होते ही उन्होंने प्रदेश के हर जिले का दौरा किया, व्यवस्थाओं को परखा और जनता के सुख-दुख में सबसे पहले सहभागी बने। इससे इतर तमाम व्यस्ततम कार्यक्रम के बावजूद योगी मुख्यमंत्री बनने के पहले बतौर सांसद और गोरक्षपीठाधीर जो काम करते थे, वे अब भी अनवरत जारी हैं। पूर्वाचल में वनटांगिया, मुसहर और थारू जनजाति के लिए सात दशक तक आजादी का वास्तविक मतलब बेमानी था। उनका वजूद राजस्व अभिलेखों में न होने की वजह से ये समाज विकास की मुख्यधारा से कटे हुए थे। योगी ने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें आजाद देश में मिलने वाली बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराकर विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है। सीएम अब भी हर साल दीपावली वनटांगियों के साथ उनके गांव में मनाते हैं। गोरखपुर में दशहरा और होली के जुलूस में शामिल होते हैं। शिवरात्रि पर भरोहिया शिव मंदिर में पूजा-पाठ करते हैं।
दशकों से बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे पूर्वाचल को उन्होंने जीवन दान दिया है। प्रदेश में नदियों के संरक्षण की दिशा में बड़े पैमाने पर कार्य किया गया है। प्रदेश में विलुप्त हो चुकी 68 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित किया गया है। योगी पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो बाढ़ और बारिश के दौरान लोगों को राहत पहुंचाने और राहत सामग्री वितरित करने के लिए खुद गांव-गांव पहुंचे हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री हवाई सर्वेक्षण तक सीमित थे। पहले कोई आपदा आती थी तो महीनों और साल लग जाते थे, लेकिन योजनाओं का लाभ आम लोगों को नहीं मिल पाता था। आज कहीं भी आपदा आती है, तो सरकार पहले बचाने का पूरा उपाय करती है, जन धन की हानि होने पर 24 घंटे के अंदर राहत देने का प्रयास करती है।
प्रदेश में पहली बार धार्मिंक स्थलों को प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह वही उत्तर प्रदेश है, जिसने अपनी परंपरागत पहचान को आज देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। अयोध्या का दीपोत्सव, काशी की दीपावली और बरसाना का रंगोत्सव यूपी की पहचान और विरासत को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के माध्यम बने हैं। शताब्दियों, दशकों से लंबित आस्था के केंद्रों को भी सम्मान देने का कार्य किया जा रहा है। काशी विनाथ धाम, चित्रकूट धाम, विंध्यवासिनी धाम, बृज क्षेत्र के विकास की नई तस्वीर सामने आ रही हैं। नैमिषारण, शुक्र तीर्थ, बौद्ध पर्यटन स्थलों के विकास की योजना हो या मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना के तहत हर विधानसभा क्षेत्र के पर्यटन केंद्र हों, उन सबकी सुरक्षा का बेहतर वातावरण प्रदेश सरकार ने स्थापित किया है।
लब्बोलुआब यह है कि सीएम योगी ने दिन-रात एक कर प्रदेश को विकास के मुहाने पर खड़ा किया है। सरकार के ऐसे तमाम प्रोजेक्ट हैं, जो आने वाले समय में प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमकाएंगे। योगी ने अपनी कार्यशैली से पूर्व मुख्यमंत्रियों की तुलना में बड़ी लकीर खींची है, और कई मिसाल पेश की हैं। कुछ साल पहले तक पिछड़े राज्यों में गिने जाने वाले उत्तर प्रदेश को ऐसे ही कर्मठ मुख्यमंत्री की जरूरत है, जो प्रदेश को पूरी ईमानदारी से आगे ले जा सके।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। निजी विचार हैं)
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